प्रोस्टेट ग्लैंड यूरीनरी ब्लैडर के पास होता है, इस ग्रंथि से निकलने वाला पदार्थ यौन क्रिया में सहायक बनता है। प्रोस्टेट कैंसर केवल पुरुषों को होता है, क्योंकि प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों में होती है। प्रोस्टेट कैंसर सबसे ज्यादा 40 साल की उम्र के बाद होता है। उम्र बढ़ने के साथ ही प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने लगती है जो कि कैंसर होने की संभावना को बढ़ाती है। 50 साल की उम्र पार कर रहे लोगों में यह कैंसर बहुत तेजी से फैलता है। अगर इसके लक्षण शुरूआती दौर में पता चल जाए तो इसे गंभीर होने से बचाया जा सकता है। अगर आप समय-समय पर 'पीसीए' टेस्ट करवाते हैं, तो प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है। आइए आपको बताते हैं कितनी महत्वपूर्ण है प्रोस्टेट ग्रंथि और क्या है पीसीए टेस्ट।
क्यों महत्वपूर्ण है प्रोस्टेट ग्रंथि
प्रोस्टेट ग्रंथि महत्वपूर्ण है क्योंकि इस ग्रंथि से निकलने वाला पदार्थ यौन क्रिया में सहायक बनता है और पुरुषों के लिए बहुत अहम होता है। प्रोस्टेट ग्रंथि अखरोट के आकार की एक ऐसी ग्रंथि होती है जो युरेथरा (पेशाब की नली) के चारों ओर होती है। इसका काम काम वीर्य में मौजूद एक द्रव पदार्थ का निर्माण करना है। बढ़ती उम्र, मोटापा, धूम्रपान, आलस्यपूर्ण दिनचर्या और अधिक मात्रा में वसायुक्त पदार्थो का सेवन करने के कारण प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिेए पीसीए टेस्ट किया जाता है।
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प्रोस्टेट कैंसर के लिए टेस्ट
प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए डॉक्टर प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) का टेस्ट कर सकता है। ये शरीर का एक रसायन होता है, जिसका स्तर अधिक हो जाए तो प्रोस्टेट कैंसर की संभावना अधिक हो जाती है। प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी टेस्ट किया जाता है। बायोप्सी से यह पता लगाया जा सकता है कि प्रोस्टेट कैंसर कितनी तेजी से शरीर में फैल रहा है। पीएसए व रेक्टल परीक्षण के आधार पर ही डॉक्टर बायोप्सी की सलाह देते हैं। यह शरीर के दूसरे हिस्सों को तो प्रभावित नहीं कर रहा, यह जानने के लिए सीटी स्कैन व बोन स्कैन भी किया जा सकता है।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर का इलाज
प्रोस्टैट कैंसर का शुरुआती स्थिति में पता चल जाने पर इसका पूर्ण उपचार संभव है। उपचार के दौरान शरीर से टेस्टोरोन के स्तर को कम किया जाता है जिसके लिए सर्जरी, कीमोग्राफी या हार्मोनल थेरेपी आदि का इस्तेमाल होता है। कई बार सर्जरी के बाद भी रेडियेशन थेरेपी व दवाओं से इसकी रोकथाम करनी पड़ती है। इसके बाद एक साल तक हर तीन महिने में पीएसए ब्लड टेस्ट व अन्य परीक्षणों से इसकी स्थिति की जांच की जाती है।
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प्रोस्टेट कैंसर के अन्य लक्षण
- बार बार पेशाब आना, विशेषतौर पर रात में
- पेशाब करने में समस्या होना
- रुक-रुक कर पेशाब होना या पेशाब का बहाव कमज़ोर होना
- पेशाब करते हुए दर्द व जलन होना
- संसर्ग के समय लिंग में कठोरता ना आना
- पेशाब में रक्त या सीमन आना।
- कूल्हे, जांघ की हड्डियां व पीठ में लगातार दर्द होना
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