अगर आप कोलोरेक्टल कैंसर के रोगी हैं और कॉफी पीना पसंद करते हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। हाल में हुए एक शोध में पाया गया है कि मेटास्टैटिक कोलोरेक्टल कैंसर के रोगियों में दिन के कुछ कप कॉफी का सेवन, उनमें लंबे समय तक जीवित रहने और कैंसर के कम जोखिम के साथ जुड़ा है।
मेटास्टैटिक कोलोरेक्टल कैंसर
मेटास्टैटिक कोलोरेक्टल कैंसर को समझने से पहले आप यह जान लें कि कोलोरेक्टल कैंसर क्या है। कोलोरेक्टल कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। कोलोरेक्टल कैंसर की शुरूआत बड़ी आंत की दीवार के सबसे भीतरी परत में होती है। यही वजह है कि इसे आंत का कैंसर के रूप में भी जाना जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर स्टेज I से लेकर IV तक होता है, जिसमें कि कैंसर जब दूर के अंगों तक फैल जाता है, जो ट्यूमर की उत्पत्ति के अंग से दूर है, इसे मेटास्टैटिक कोलोरेक्टल कैंसर कहा जात है।
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क्या कहती है रिसर्च?
हाल में हुए अध्ययन, जिसका नेतृत्व दाना-फार्बर कैंसर संस्थान और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने किया है। इस अध्यय में पाया गया कि नियमित रूप से कॉफी का सेवन करने वाले मेटास्टैटिक कोलोरेक्टल कैंसर रोगियों में सुधार देखा गया। यह अध्ययन JAMA ऑन्कोलॉजी में द्वारा प्रकाशित किया गया।
कैसे किया गया अध्ययन?
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मेटास्टैटिक कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज करने वाले 1171 रोगियों में देखा कि जो लोग एक दिन में 2 या 3 कप कॉफी पीते थे, उनकी हालत में सुधार था और एक लंबा जीवज जीने की संभावना रखते थे।
डैन- फारबर के चेन युआन, अध्यययन के सह-प्रथम लेखक ने कहा, ''यह ज्ञात है कि कॉफी में कई यौगिकों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लामेटरी और अन्य गुण हैं, जो कि कैंसर के खिलाफ सक्रिय हो सकते हैं।''
इस अध्ययन में पाया गया है कि कॉफी का सेवन स्टेज 3 में पेट के कैंसर के रोगियों में बेहतर अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ था। लेकिन मेटास्टैटिक रूप के साथ रोगियों में कॉफी की खपत और अस्तित्व के बीच संबंध पूरी तरह से ज्ञात नहीं है।
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हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन प्रतिभागियों ने प्रतिदिन दो से तीन कप कॉफी पी थी, उनमें जो लोग कॉफी नहीं पीते थे, उनकी तुलना में कैंसर की प्रगति और मौत का खतरा कम था। वहीं लि लोगों ने प्रतिदिन चार कप कॉफी या इससे अधिक का सेवन किया, इससे भी अधिक लाभ हुआ।
शोधकर्ता कहते हैं कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि कॉफी पीना हानिकारक नहीं हैं और यह कोलोरेक्टल कैंसर रोगियों के लिए संभावित रूप से फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, यह निर्धारित करने के लिए और शोध की जरूरत है कि क्या वास्तव में कॉफी की खपत और कोलोरेक्टल कैंसर के बीच संबंध है। कोलोरेक्टल कैंसर रोगियों में सुधार के परिणाम में कॉफी के भीतर कौन से यौगिक इस लाभ के लिए जिम्मेदार हैं।''
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