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क्या लंबे समय तक ज्यादा तनाव के कारण भी डायबिटीज हो सकता है? डॉक्टर से जानें

लोगों को काम या भविष्य की अनिश्चितता जैसी वजहों से स्ट्रेस होना आम बात है। लेकिन, कुछ लोगों को लंबे समय तक तनाव के साथ कई अन्य समस्याओं का जोखिम रहता है। आगे जानते हैं कि क्या ज्यादा समय तक तनाव डायबिटीज का कारण बन सकता है?
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क्या लंबे समय तक ज्यादा तनाव के कारण भी डायबिटीज हो सकता है? डॉक्टर से जानें

आज के समय में अधिकतर लोगों को किसी न किसी चीज को लेकर स्ट्रेस हो सकता है। बच्चों को पढ़ाई और एग्जाम को लेकर तनाव (Stress) हो सकता है, तो वहीं वयस्कों को जॉब, भविष्य, फायनेंशियल गोल्स को पूरा करने को लेकर चिंता या स्ट्रेस हो सकता है। कुछ लोग ज्यादा समय तक तनाव (Chronic Stress) में रहते हैं। ऐसे में व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुछ लोगों में क्रोनिक स्ट्रेस की वजह से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या भी देखने को मिलती है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या क्रोनिक स्ट्रेस डायबिटीज (Diabetes) या ब्लड शुगर होने का कारण बन सकता है। इस लेख में नोएडा सेक्टर 20 स्थित हेल्थ क्लीनिक के इंटरनल मेडिसिन और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विनोद कुमार से जानते हैं कि क्या क्रोनिक स्ट्रेस डायबिटीज का कारण बन सकता है? 

क्या क्रोनिक स्ट्रेस डायबिटीज का कारण बन सकता है? - Can Chronic Stress Lead To Diabetes In Hindi 

क्रॉनिक स्ट्रेस लंबे समय तक चलने वाला तनाव होता है, जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से  प्रभावित करता है। जब व्यक्ति लगातार किसी बात को लेकर चिंता, डर, आर्थिक समस्या, पारिवारिक तनाव, काम का दबाव या अन्य कठिनाइयों का सामना करता है, तो उसको क्रोनिक स्ट्रेस हो सकता है। इस तनाव का असर शरीर पर कई तरह से होता है। जैसे कि जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में 'स्ट्रेस हार्मोन' (Stress Hormones) यानी कोर्टिसोल (Cortisol) और एड्रेलिन (Adrenaline) का स्तर बढ़ जाता है। इसकी वजह से दिल की धड़कन तेज हो जाती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है और ग्लूकोज का स्तर भी बढ़ सकता है। एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स बताते हैं कि केवल तनाव ही डायबिटीज की वजह नहीं होता है। इसके लिए कई अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं। तनाव व्यक्ति में टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकता है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। 

कोर्टिसोल के स्तर का प्रभाव

जब व्यक्ति लंबे समय तक स्ट्रेस में रहता है, तो शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन लगातार बढ़ सकता है। यह हार्मोन लिवर के कार्य को प्रभावित कर सकता है। इससे कुछ लोगों में ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है।

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इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) 

क्रॉनिक स्ट्रेस इंसुलिन की कार्यक्षमता को कम कर सकता है। इसका मतलब है कि शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित नहीं हो पाता और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

मोटापा बढ़ना 

कुछ लोग स्ट्रेस में अधिक खाना खाते हैं, इसकी वजह से मोटापा बढ़ सकता है। मोटापा शरीर के हार्मोनल बदलाव के लिए जिम्मेदार होता है और यह ब्लड शुगर को भी अनियंत्रित कर सकता है। 

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स्ट्रेस से बचने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से योग और मेडिटेशन करना चाहिए। इसके अलावा, पर्याप्त नींद लेना और पौष्टिक भोजन से भी स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। तनाव होने पर अपना पसंदीदा संगीत सुनने के साथ ही और हॉबी में व्यस्त रह सकते हैं। इसके अलावा, लोगों के साथ अपनी चिंताओं को शेयर करने से भी स्ट्रेस काफी हद तक कम होता है। यदि आपको स्ट्रेस की वजह से अन्य समस्याएं हो रही हैं तो ऐसे में आप इन्हें नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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