Can Breastfeeding Really Prevent Pregnancy In Hindi: किसी भी महिला के लिए मां बनना बेहद खुशी और उल्लास की बात होती है। हर महिला मां बनने के बाद खुद को कंप्लीट समझती है। वह अपने बच्चे के लिए हर वह चीज करती है, जो वह कर सकती है। यहां तक कि शिशु के जन्म के बाद महिलाएं अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में भी सिर्फ हेल्दी आदतों को अपनाती है। ऐसा इसलिए करती हैं, ताकि उनके शिशु का स्वास्थ्य बेहतर रहे। वास्तव में, शिशु के जन्म के बाद ज्यादातर मांएं अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं। स्तनपान कराने का मतलब है कि मां जो भी हेल्दी डाइट लेती है, शिशु के स्वास्थ्य में उसकी मदद से सुधार होता है। बहरहाल, यह भी माना जाता है कि ब्रेस्टफीड करवाने के दौरान असुरक्षित सेक्स करने से प्रेग्नेंसी नहीं होती है। सवाल है, क्या वाकई ऐसा होता है। आइए, वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से
क्या वाकई ब्रेस्टफीड कराने के दौरान असुरक्षित सेक्स से प्रेग्नेंसी नहीं होती?
यह सच है कि ब्रेस्टफीड के दौरान असुरक्षित सेक्स से प्रेग्नेंसी नहीं होती है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन, सिर्फ ब्रेस्टफीड को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। अगर आपको डिलीवरी के कुछ महीनों के अंतराल में प्रेग्नेंसी कंसीव नहीं करनी है, तो इस स्थिति में बर्थ कंट्रोल पिल या कंडोम का इस्तेमाल करना सही है। खैर, ब्रेस्टफीड को नेचुरल बर्थ कंट्रोल का अच्छा विकल्प हो कहा जाता है। कई अध्ययनों से भी यह स्पष्ट होता है कि जब तक शिशु पूरी तरह मां के ब्रेस्टफीड पर निर्भर रहता है, तब तक असुरक्षित सेक्स के बावजूद महिला कंसीव नहीं करती है। हालांकि, महिला को ब्रेस्टफीड कराते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि शिशु को कम से कम 6 माह तक फॉर्मूला मिल्क, बेबी फूड आदि नहीं देना चाहिए। इस प्रक्रिया को लैक्टेशनल एमेनोरिया के नाम से जाना जाता है।
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ब्रेस्टफीड के कारण महिला कंसीव क्यों नहीं करती है?
सवाल उठता है कि आखिर ब्रेस्टफीडिंग को नेचुरल बर्थ कंट्रोल क्यों माना जाता है? विशेषज्ञ की मानें, नियमित रूप से ब्रेस्टफीड करवाने की वजह से ओव्यूलेशन रुकता है। ओव्यूलेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जो कंसीव करने के लिए बहुत जरूरी है। इसे करीब 98 फीसदी तक सही माना जाता है। हालांकि, महज शुरुआती 6 माह तक कंसीव न करने के लिए यह तकनीक उपयोगी हो सकती है। हावर्ड मेडिकल स्कूल में प्रकाशित एक लेख की मानें, तो 100 में से महज दो महिलाएं ही इस अवधि में कंसीव करती हैं। लेकिन, अगर इस प्रक्रिया में जरा भी चूक हुई यानी शिशु को बाहरी प्रोडक्ट खाने के लिए दिया गया, तो ऐसेमें असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर महिला द्वारा कंसीव करने की संभावना बढ़ जाती है।
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जानें जरूरी बातें
- छह माह से कम उम्र के बच्चे को बाहरी पदार्थ खाने के लिए न दें।
- बच्चे की जरूरत के अनुसर मां को कुछ-कुछ घंटों में शिशु को दूध पिलाना चाहिए।
- डिलीवरी के बाद करीब 6 तक यानी ब्रेस्टफीड करवाने के दौरान महिला को पीरियड्स नहीं होते हैं, जिससे कंसीव करने की संभावना दर बिल्कुल कम हो जाती है।
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