हममें से बहुत से लोगों को बचपन में ही ब्रश करने के सही तरीके सिखाये जाते हैं और हम यही तरीके आजीवन अपनाते हैं। दुख की बात यह है कि हममें से बहुत से लोगों को ब्रश करने के गलत तरीके सिखाये गये। अभी भी अगर हम ब्रशिंग के सही तरीके अपना लें तो शायद हम ब्रशिंग के उन गलत तरीकों का पालन नहीं करेंगे। इसलिए डेंटिस्ट ऐसा कहते हैं कि ब्रशिंग मुश्किल है। अगर आप उन लोगों में से हैं जो डेंटिस्ट के सम्पर्क में नहीं आना चाहते तो आपके लिए ब्रश करने के कुछ खास तरीके।
सही टूथब्रश का इस्तेमाल:
डेंटिस्ट के अनुसार आज बाज़ार में बहुत से तरीके के ब्रश उपलब्ध हैं। लेकिन उनका मानना है कि एक सही तरीके का ब्रश कुछ इस प्रकार का होना चाहिए।
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- 7.8 से 9.5 मिलिमीटर चौड़ा ब्रश।
- 25.5 से 31.9 मिलिमीटर लम्बा ब्रश।
- 2 से 4 पंक्तियों में 5 से 12 गुच्छे हर एक पंक्ति में।
ब्रश करने का समय:
- खाली समय ब्रश करने की सलाह बहुत कम दी जाती है।विशेषज्ञों के अनुसार ब्रशिंग के दौरान टी वी या सुबह का समाचारपत्र भी नहीं देखना चाहिए।
- वास्तव में अधिक समय तक ब्रश करने से कोई लाभ नहीं होता। ब्रश का हत्था किस आकार का होना चाहिए।
- टूथब्रश के हत्थे का आकार प्रत्येक व्यक्ति की पसन्द पर निर्भर करता है।
- लेकिन ध्यान रखने योग्य सिर्फ एक बात है कि ब्रश को इस प्रकार से पकड़ना चाहिए कि ब्रश को पकड़ने में आसानी हो। सबसे आम तरीके का आकार है सीधा हत्था क्योंकि वो बहुत आसानी से काम करता है।
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पुराने ब्रश को कब हटायें ?
ऐसा पाया गया है कि अगर ब्रश जल्दी खराब हो रहे हैं तो इसका अर्थ है आप अधिक दबाव के साथ ब्रश कर रहे हैं। अगर ब्रश के बिस्टल्स 5 से 6 महीनों के बाद भी ठीक रहते हैं तो इसका अर्थ है कि ब्रशिंग हल्के हाथ से की गयी है। टूथब्रश 2 से 3 महीनों में खराब हो जाते हैं इसलिए इन्हें समय समय पर बदलते रहना चाहिए।
ब्रश करने का समय:
बारे में डाक्टरर्स की अलग अलग राय है इसलिए ऐसी कोई समय की बाध्यता नहीं है कि आपको कम से कम या ज़्यादा से ज़्यादा इतने समय तक ब्रश करना चाहिए। लेकिन ज़्यादातर यह सलाह दी जाती है कि व्यक्ति को लगभग 2 मिनट तक ब्रश करना चाहिए जिससे मुंह के अंदर मौजूद प्लाक के सभी कीटाणु मर जायें।
विशेष तरीके की ब्रशिंग:
दांत साफ करने के लिए विशेष तरीके के ब्रश आ रहे हैं जिनसे ब्रेसेज़ या डैंचर्स को साफ करना आसान होता है।
ब्रिस्टल्स के किनारे:
गोल या जिगजैक
ऐसा पाया गया है कि कुछ निर्माता ऐसा दावा करते हैं कि उनके टूथब्रश के ब्रिस्टल्स पूरी तरह से गोल होते हैं। लेकिन अविष्कारों से ऐसा पता चला है कि शुरू में जब ब्रिसटल्स का आकार ठीक नहीं होता है तो यह कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है। डेंटिस्ट ऐसा भी मानते हैं कि इस्तेमाल के बाद जिन ब्रिस्टल्स का रंग बदलता रहता है वो अच्छे होते हैं।
ब्रश करने का सही तरीका:
डेंटिस्ट हमेशा यह सलाह देते हैं कि सही तरीके से ब्रश करना चाहिए। अकसर ऐसा होता है कि हम दांत के अन्दर की सतह का ठीक प्रकार से ध्यान नहीं दे पाते और यह ठीक से साफ नहीं हो पाता। शुरुत में इस तकनीक को समझने के लिए मास्टरी की ज़रूरत होती है।
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तरह तरह के मुलायम और कठोर ब्रिस्टल्स
विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि कठोर ब्रिस्टल्स वाले ब्रश का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इनसे मसूड़े और दांतों को नुकसान पहुंच सकता है। बहुत अधिक मुलायम ब्रश का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि यह बहुत मुलायम होने के कारण ठीक तरीके से दांतों की सफाई नहीं कर पाते । सामान्य तरीके के ब्रिस्टल्स वाले ब्रश का इस्तेमाल ही एक अच्छा उपाय है।
बिजली के तरीके के ब्रश:
इस तरह के ब्रश अकसर उन लोगों को दिये जाते हैं जिन्हें मैनुअल चपलता जैसी कोई बीमारी है ा इस तरीके से दांतो की सफाई अस्पताल मंे भर्ती लोगों और बच्चों के लिए की जाती है। ऐसा आर्थोडांटिक मरीज़ों के लिए भी किया जाता है।
सही टूथब्रश और टूथपेस्ट कौन से हैं ?
- डेंटिस्ट के पास जाकर हम सभी ऐसे सवाल करते हैं कि अगर हम दिन में दो बार ब्रश करते हैं तो हमें किस प्रकार के ब्रश और टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। इसका जवाब प्रत्येक व्यक्ति की पसन्द और ज़रूरत पर निर्भर करता है।
- बाज़ार में बहुत से ब्रैंड के पेस्ट होने के कारण ऐसा नहीं हो सकता कि कोई एक ब्रैंड दूसरे से अच्छा है। जितना हो सके टूथपिक्स का कम इस्तेमाल करें क्योंकि इससे मसूड़ों से खून आ सकता है और संक्रमण हो सकता है। ऐसे में डेंटिस्ट का मानना है कि टूथपिक्स की जगह इन्टरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए।
- डेंटिस्ट ऐसा भी मानते हैं कि सिर्फ ब्रशिंग और फ्लासिंग से ही दांत स्वस्थ नहीं रहते हंर बल्कि व्यक्ति को यह ध्यान देना चाहिए कि वह क्या खा रहा है। हमारे दांतों में मौजूद प्लेक बैक्टीरिया मिठाइयों का इन्तज़ार करते हैं।
- ऐसा पाया गया है कि वो लोग जो सही तरीके के ब्रश करते हैं उनके दांत लगभग 70 साल तक या आजीवन ठीक रहते हैं।
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