
हृदय हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह आपके पूरे शरीर में रक्त का संचार करने में एक अहम भूमिका निभाता है। इसलिए हृदय को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए खानपान अच्छा होना बहुत जरूरी है, साथ ही कुछ एक्सरसाइज करना भी जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ ब्रीदिंग तकनीक का अभ्यास करने से भी दिल को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज आपके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतरन बनाने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए आप कौन सी ब्रीदिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं? चिंता न करें इसमें आपकी मदद करने के लिए हम यहां हैं। इस लेख में हम आपको हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए 4 ब्रीदिंग तकनीक (Breathing Techniques To Improve Heart Health In Hindi) या एक्सरसाइज बता रहे हैं।
हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ब्रीदिंग तकनीक (Breathing Techniques To Improve Heart Health In Hindi)
1. कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करना सिर्फ आपके हृदय के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ के लिए फायदेमंद होता है। यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है, शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है और शरीर में चुस्ती-फुर्ती लाता है। यह आपके हृदय तक ऑक्सीजन पहुंचाने और ब्लड सर्कलेशन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका अभ्यास करने के लिए बस आपको सिद्धासन पद्मासन या वज्रासन में बैठना है और सांस को बाहर छोड़ने की क्रिया करनी है। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है।
2. नोस्ट्रिल ब्रीदिंग
इसे करने से आपके मन को शांति मिलती और साथ ही ये आपके शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। नथुने से सांस लेने की प्रक्रिया को अनुलोम विलोम कहा जाता है। इस तकनीक का अभ्यास करने से रक्त शुद्ध होता है। साथ ही तनाव को कम करने में मदद मिलती है और फोकस बढ़ता है। यह आपके हृदय में रक्त के संचार को बढ़ावा देता है और कामकाज को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसका अभ्यास करना भी बहुत आसान है। आपको बस मैट पर आलती-पालती मारकर बैठना है और अपनी पीठ को सीधा रखना है। उसके बाद आप अपने दाएं हाथ के अंगूठे और तर्जनी को नाक के पास लाएं। फिर दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करें और नाक के दाएं छिद्र से लंबी सांस लें। फिर तर्जनी उंगली को अपने माथे पर लगाएं।इसके बाद सांस को रोकें और फिर बाएं छिद्र से सांस छोड़ें। सांस छोड़ते समय आपकी तर्जनी उंगली नाक के पास होगी और अंगूठा माथे पर लगा होगा। ठीक ऐसा ही नाक के दूसरे नथूने के साथ करें।
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3. डायाफ्राम ब्रीदिंग
हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए डायाफ्राम ब्रीदिंग का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। अपने फेफड़ों के जरिए स्वस्थ सांस लेना ही डायाफ्राम का उपयोग करता है, जो एक गुंबद के आकार की होती है और आमतौर पर हमारे धड़ और पेट के बीच में होती है। डायाफ्राम मसल्स हमारे फेफड़ों को सुविधा देता है कि वो पूरी तरह से हवा भरे और धीरे-धीरे उसे बाहर निकाले। इसे पेट से सांस लेने के रूप में भी देखा जाता है। इसलिए पेट प्रत्येक सांस के साथ ऊपर उठता और फिर नीचे गिरता है। तो जब आपको फेफड़ों में सांस लेने में परेशानी होती है तो इसके लिए आपको एक छोटी सी एक्सरसाइज करनी पड़ेगी जिससे की आप अपने फेफड़ों की क्षमता को बढ़ा सके। आप अपने पेट से सांस ले सकते हैं। आपको सांस लेते समय पेट पर एक हाथ और अपने धड़ पर एक हाथ रखना होगा। आप करीब दो सेकंड के लिए नाक के जरिए सांस लें और फिर लगभग दो सेकंड के लिए होंठ के माध्यम से उसे बाहर निकलें।
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4. माइंडफुल ब्रीदिंग
माइंडफुल ब्रीदिंग में आपको अपना पूरा ध्यान अपनी सांस पर केंद्रित करना होता है। आपको अपना पूरा फोकस अपनी सांसों पर रखना है। साथ ही इसका अभ्यास करते समय आपको सभी विकर्षणों से दूर रहना है जैसे आपका मोबाइल और अन्य गैजेट्स। आपको शुरुआत में ध्यान लगाने में थोड़ा मुश्किल हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे और लगातार अभ्यास से आपको जल्द फायदा मिलेगा। इसका अभ्यास करने से हृदय तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद मिलती है, साथ ही यह आपके फेफडों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
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