Breastfeeding And Depression: पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन से निपटने में मदद कर सकता है ब्रेस्‍टफीडिंग करवाना

क्‍या आप जानते हैं कि ब्रेस्‍टफीडिंग बच्‍चे के साथ-साथ मां के लिए कितनी जरूरी है? इससे महिला को पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन से निपटने में मदद मिल सकती है।  

Sheetal Bisht
Written by: Sheetal BishtUpdated at: Aug 11, 2020 17:58 IST
Breastfeeding And Depression: पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन से निपटने में मदद कर सकता है ब्रेस्‍टफीडिंग करवाना

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क्‍या आप जानते हैं कि स्‍तनपान यानि ब्रेस्‍टफीडिंग बच्‍चे को पोषण देने के साथ मां के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देता है। जी हां ब्रेस्‍टफीडिंग एक नई माँ को मानसिक संकटों से उबरने में मदद कर सकता है। गर्भावस्था और मातृत्व, दोनों ही एक महिला के जीवन में बहुत सारे बदलाव लाते हैं। जिसमें कुछ शारीरिक बदलावों के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक बदलाव भी शामिल हैं। एक महिला में उसके प्रसव के बाद कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जिसमें बच्चे के होने की खुशी के साथ चिंता, तनाव या डिप्रेशन भी महसूस हो सकता है। ऐसा माना जाता है कई ऐसी महिलाएं है, जो पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन का अनुभव करती हैं, जो बच्‍चे को जन्म देने के बाद पहले वर्ष के भीतर कभी भी महसूस हो सकता है। इसमें लगातार मूड स्विंग्‍स, चिडचिड़ापन और उदासी के साथ निराशा की भावनाएं हो सकती हैं। लेकिन ऐसे में ब्रेस्‍टफीडिंग एक ऐसा प्राकृतिक उपाय है, जो बच्‍चे को पोषण देने के साथ-साथ महिला को पोस्‍ट पार्टम डिप्रेशन से निपटने में मदद कर सकता है। 

Breastfeeding And Depression

ब्रेस्‍टीफीडि़ंग और पोटस्‍पार्टम डिप्रेशन 

बच्चे के जन्म के बाद एक महिला में बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो उन्हें मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ज्यादातर मामलों में, माँ उदास महसूस कर सकती है, जो उसे तनाव या डिप्रेशन की ओर धकेलता है। ऐसे में वह अपने आसपान दुख और उदासी महसूस करती है। इसे ही पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि स्तनपान पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन से निपटने का एक सबसे अच्‍छा औ प्राकृति उपाय हो सकता है। 

पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन से निपटने में मददगार है ब्रेस्‍टफीडिंग?

ब्रेस्‍टफीडिंग जितना एक बच्‍चे के लिए जरूरी है, उतना ही एक महिला के लिए भी। ऐसा माना जाता है ब्रेस्‍ट फीडिंग न करवाने से महिला को कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का खतरा बढ़ सकता है।

कई अध्ययनों से पता चलता है कि ब्रेस्‍टफीडिंग एक एंटी-इंफ्लामेटरी एक्टिविटी है, जिससे छोटी और लंबी अवधि में डिप्रेशन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

इसके अलावा विशेष रूप से ब्रेस्‍टफी‍डिंग या स्‍तनपान करने कराने वाली महिलाओं में फॉर्मूला फीड वालों की तुलना में एक अच्‍छी नींद सोने में मदद मिलती है, जो मानसिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।

एक स्तनपान कराने वाली मां को एक पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, जो न केवल स्तन के दूध उत्‍पादन में, बल्कि पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन से निपटने में भी मदद करेगा। ब्रेस्‍टफीडिंग कराने वाली महिलाएं अपने ब्रेस्‍ट मिल्‍क को बढ़ाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक घरेलू उपाय भी अपना सकती हैं। 

Postpartum Depression

इस प्रका ब्रेस्‍टफीडि़ग मां और बच्‍चे, दोनों के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य में काफी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह बच्चे मानसिक और संज्ञानात्मक विकास में सहायता करता है। इसके अलावा, बच्चे को स्तनपान कराने के बच्चे में कुपोषण का जोखिम कम होता है क्योंकि मां का दूध कई आवश्‍यक पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है। इस सभी बातों को ध्‍यान में रखते हुए हर नई मां को अपने बच्‍चे और अपनी मानसिक भलाई के लिए ब्रेस्‍टफीडिंग करवाना चाहिए। 

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