महिलाओं की तरह पुरुषों को भी स्तन कैंसर का खतरा होता है। लेकिन इस विषय पर कोई भी खुलकर बात नहीं करता। इसलिए यह जानने की जरूरत ज्यादा है कि पुरुषों में स्तन कैंसर किस तरह महिलाओं से अलग है। इसके लक्षणों में क्या अंतर है? इसका पता लगाने के लिए क्या कोई जांच उपलब्ध है? इस अछूते विषय पर मैक्स हॉस्पिटल की डॉक्टर मीनू वालिया ने खुलकर बात की और पुरुषों में स्तन कैंसर की पूरी जानकारी दी।
आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि स्तन कैंसर केवल महिलाओं को ही होता है, हालांकि यह एक गलतफहमी है। दरअसल पुरुषों को भी स्तन कैंसर होता है। हालांकि पूरी दुनिया में कैंसर के कुल मामलों का केवल एक प्रतिशत पुरुषों को स्तन कैंसर होता है। अमेरिकी कैंसर सोसायटी (ACS) के अनुसार एक पुरुष को उसके जीवन काल में स्तन कैंसर होने का खतरा 883 में लगभग एक पुरुष को है। यह बहुत ही कम होने वाला कैंसर है जो पुरुषों के स्तन के टीश्यू में होता है।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल डॉ. मीनू वालिया (निदेशक, मेडिकल ओंकोलॉजी और हिमाटोलॉजी विभाग) ने बताया, "अप्रैल 2019 में जब अलीगढ़ के 54 वर्षीय चंद्र मोहन गोयल को स्टेज:2 स्तन कैंसर (कार्सिनोमा) होने का पता चला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें बिल्कुल अहसास न था कि उनके दायें स्तन में चार साल पुरानी गांठ है। हाइपरटेंशन जैसी अन्य समस्याएं होने की वजह से उनकी स्थिति पहले से ही बदतर थी। तम्बाकू का सेवन करने वाले गोयल की पहले ही किसी अन्य अस्पताल में सर्जरी की गई थी और मई 2019 में उन्हें मैक्स अस्पताल, पटपड़गंज लाया गया। उनके प्रॉग्नोसिस और अन्य शारीरिक परीक्षण के बाद अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने तुरंत गोयल की कीमोथेरेपी शुरू कर दी।"
गोयल ने बताया कि, कीमो के दौरान डॉक्टर ने उन्हें उबला खाना खाने की सलाह दी थी, कच्चा भोजन नहीं करना था। फिलहाल उनका स्वास्थ्य अब बेहतर है और वह हॉर्मोन की दवा ले रहे हैं।
पुरुषों में कैसे होता है स्तन कैंसर
यह आम तौर पर बूढ़े लोगों में देखा जाता है। हालांकि यह कम उम्र में भी हो सकता है। पुरुषों के स्तन कैंसर का संबंध मोटापा और अंडकोश की बीमारियों से है जैसे की क्रिप्टॉर्किडिज्म, मम्प्स, आर्काइटिस और टेस्टिकुलर ट्रोमा। हार्मोन असंतुलन पैदा करने वाली दवाईयां जैसे कि प्रॉस्टेट कैंसर की दवाईयों से भी यह खतरा बढ़ सकता है।
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कैसे पुरुषों के लिए है जानलेवा
देश में पुरुषों के स्तन कैंसर के मामले में डॉ. मीनू वालिया, बताती हैं कि पुरुषों के स्तन कैंसर का इलाज बहुत ही कारगार है बशर्ते डायग्नॉसिस जल्दी हो जाए। हालांकि जल्दी डायग्नॉसिस अक्सर मुमकिन नहीं होता क्योंकि इस विषय को लेकर पुरुषों में जागरूकता का अभाव है। इसलिए वे शुरूआती चरण में डॉक्टर से परामर्श नहीं लेते। आंकड़े बताते हैं कि स्तन कैंसर पीड़ित लगभग 40 प्रतिशत पुरुषों में एडवांस्ड स्टेज में डायग्नॉसिस होता है। इसलिए महिलाओं की तुलना में उनके जीवित रहने के चांस कम हो जाते हैं।
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पुरुषों को जागरूक होना क्यों है जरूरी
स्तन कैंसर के साथ जिंदगी गुजारना सभी मरीजों के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण है क्योंकि ऐसे कई हमारे समाज में कलंक माना जाता है और लोग इस पर बात नहीं करना चाहते। स्तन कैसंर के मरीज के लिए यह चुनौती और भी बढ़ जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस विषय में अधिक जागरूक पाया गया है। पुरुष मरीज अपने डॉक्टर से अपनी सभी समस्याओं पर खुलकर बात करने से झिझकते हैं। इसलिए पुरुषों में जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। उन्हें सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी देना और मुख्य लक्षणों और होने वाले दुष्परिणामों के बारे में बताना जरूरी है। जिससे वे इस समस्या को लेकिर किसी पूर्वाग्रह के बिना या इसे कलंक माने बगैर इस संवेदनशील मुद्दे पर खुल कर बात कर सकें।
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