बच्चों के विद्यालय जाने के ऊपर हुए शोध से यह पता चला है कि अगर बच्चे विद्यालय जाने से पहले ज्यादा से ज्यादा किताबो के संपर्क में आते हैं तो वह अपने प्रायमरी विद्यालय की परीक्षाओं में ज्यादा अच्छे परिणाम लाते है। यह शोध जो की यूके में की गयी थी इसके परिणाम यह बताते है की २ साल से कम उम्र के बच्चे जो की पुस्ताकालय में गए थे और जिन्होंने ज्यादा किताबे ली है उन्होंने ज्यादा अच्छे परिणाम पाए है।
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यह उन माता पिता के लिए एक संकेत है जो की अपने बच्चों में पढ़ने की इच्छा जगाते हैं और वो भी जितनी जल्दी हो सके उतनी वो लोग उन बच्चों में विद्यालय के लिए एक अच्छा आधार बना रहे हैं ।इस शोध में बच्चों के अन्य कार्यों पर भी धनात्मक प्रभाव डाला है ।
वो अभिभावक जिन्होंने की अपने बच्चों को तरह तरह के कार्य सिखाये हैं या जिन्होंने प्री स्कूल भेजा है उनमे परिणाम काफी अच्छे आये हैं उन बच्चों की अपेक्षा जो की टी वी से लम्बे समय के लिए संपर्क में रहे है और ऐसे बच्चों के उन बच्चों की अपेक्षा कम अंक भी आये हैं । बच्चों की शुरुआती तालीम के परिणामों पर भाषा का किरदार एक अध्ययन के द्वारा पता चला है जो की यूनिवर्सिटी आफ वेस्ट इंग्लेंड में की गयी थी ।
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यह शोध में बच्चों के सामाजिक और पारिवारिक वातावरण को ध्यान में रखा गया है और इनका प्रभाव बच्चों के विद्यालय जाने की इच्छा को भी देखा गया है लेकिन इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया गया है की यह बात ज्यादा ज़रूरी है की अभिभावक अपने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते है इससे पहले की उनके बच्चे उनसे बात करना चालू करे ।
प्रोफेसर जेम्स लौ के अनुसार, जो की न्यू कासल यूनिवर्सिटी के हैं और इस अध्ययन के एक शोधक हैं वे कहते है की यह बहुत ही अच्छा सन्देश है की बच्चे की शिक्षा पारंपरिक सूचक जो की सामजिक कारक हैं उन पर निर्भर नहीं करती है जैसे की धनी अभिभावक होना , माता की शिक्षा या घर की स्थिति पर। यह सामाजिक कारक बाद की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण किरदार निभाते हैं । इस अध्ययन के लिए आंकड़े यूनिवर्सिटी आफ ब्रिस्टल से पता चले हैं जिसमे की एवन लोंगित्युद्नल स्टडी आफ पेरेंट्स एंड चिल्ड्रन हुई थी।
इस शोध के मूलांकन से यह बात पता चली की एक माता का अपने बच्चे के साथ मेल जोल और उस तरह के कार्य जो की माता ने अपने बचो को करने के लिए प्रोसाहित किया है यह कार्य ने बच्चों के काम करने के तरीके पर बहुत ही महत्त्पूर्ण प्रभाव डाला है उस समय जब उनका बच्चा ५ साल का था ।
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बच्चे की माता भी इस बात से प्रभावित हुई थी की उसके बच्चे के पैदा होने के दो साल तक उसके पास कितने संसाधन थे और उसे भावनात्मक और वित्तीय रूप से कैसा महसूस हुआ था ।इस शोध के कुछ विशेष परिणाम यह थे की वो बच्चे जो की अच्छे संचारण में पले बढे हैं उनमे दो साल की उम्र तक ज्यादा बढ़िया शब्दकोष बन गया है उन बच्चों की अपेक्षा जिनमे की ऐसा नहीं था । ये बच्चे जब विद्यालय में घुसे थे तब इनमे भाषा ज्ञान, पढ़ने का ज्ञान और गणित का ज्ञान ज्यादा अच्छा था।
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