
डायबिटीज एक जटिल समस्या है। दुनियाभर में करोड़ों लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। डायबिटीज होना कई बार हार्ट और किडनी से जुड़ी समस्याओं का भी कारण बन सकती है। हाल ही में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित हुई एक स्टडी के मुताबिक अब केवल एक सामान्य ब्लड टेस्ट के जरिए ही डायबिटीज के मरीजों में हार्ट और किडनी की बीमारियों का पता चल सकेगा।
बायोमार्कर के जरिए लग सकता है पता
वैज्ञानिकों के मुताबिक बायोमार्कर के जरिए टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में किडनी और हार्ट से जुड़ी समस्या का पता लग सकेगा। बायोमार्कर ज्यादा होना किडनी और हार्ट की समस्याओं का संकेत हो सकता है। इस स्टडी में डायबिटीज से पीड़ित कुल 2627 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें मरीजों को canagliflozin नामक दवा खिलाई गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह दवा कुछ लोगों में हो रही जटिलताओं को कम करने में कारगर साबित होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक खून की जांच कर बायोमार्कर के जरिए किडनी और हार्ट की बीमारियों का पता लग सकेगा।
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क्या है बायोमार्कर?
दरअसल, बायोमार्कर एक प्रकार का मॉलिक्यूल है, जो शरीर में हो रही सेल्स और शरीर के अन्य हिस्सों की गतिविधियों का पता लगाने में लाभकारी होता है। बायोमार्कर के जरिए शरीर में जीन्स और प्रोटीन का भी पता लगाया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने के तरीके
टाइप 2 डायबिटीज को कई तरीकों से मैनेज किया जा सकता है। ऐसे में अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव जैसे हेल्दी डाइट या फिर एक्सरसाइज आदि कर इसे मैनेज किया जा सकता है। इसे मैनेज करने के लिए डाइट में हरी सब्जियां, नट्स और फाइबर से भरपूर आहार लें। शारीरिक रूप से एक्टिव रहना भी इस समस्या से निजात दिलाने में काफी मददगार होती है। ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लें साथ ही साथ स्ट्रेस कम करें। इससे बचने के लिए धूम्रपान और शराब का सेवन करने से भी आपको परहेज करना होगा।
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