ऑस्टियोअर्थराइटिस हड्डियों से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें दर्द और जकड़न होने लगती है। ऐसी स्थिति में जोड़ों के साथ ही मांसपेशियों में भी दर्द हो सकता है। हाल ही में एक लांसेट रेमुटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक साल 2050 तक लगभग 1 बिलियन यानि 100 करोड़ ऑस्टियोअर्थराइटिस का शिकार होंगे।
15 प्रतिशत लोग हैं ऑस्टियोअर्थराइटिस का शिकार
स्टडी को करने के लिए शोधकर्ताओं ने 200 देशों के लोगों पर यह अध्यन किया, जिसमें पाया गया कि दुनियाभर में अभी 15 प्रतिशत लोग ऑस्टियोअर्थराइटिस से पीड़ित हैं। इस स्टडी को करने से पहले 20 सालों यानि साल 1990 से साल 2022 तक का डेटा इकठ्ठा किया गया था। साल 2020 में कुल 595 मिलियन लोग ऑस्टियोअर्थराइटिस का शिकार थे। वहीं साल 1990 में यह संख्या 256 मिलियन थी। इस दौरान 38 वर्षों में ऑस्टियोअर्थराइटिस के मरीजों में लगभग 132 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
ऑस्टियोअर्थराइटिस के कारण
ऑस्टियोअर्थराइटिस होने के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं। ऐसे में शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होना, रूमेटाइड अर्थराइटिस, वजन बढ़ना, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के साथ ही लाइफस्टाइल में होने वाली अन्य खराब आदतें भी इस बीमारी के होने का कारण मानी जाती हैं। आमतौर पर ऑस्टियोअर्थराइटिस उम्र बढ़ने के साथ भी हो सकता है तो कई बार इसके पीछे जेनेटिक कारण भी होते हैं। यह जोड़ों में चोट लगने और मेटाबॉलिक डिजीज के कारण भी हो सकता है।
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ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचाव के तरीके
ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचने में डाइट और एक्सरसाइज काफी अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में हेल्दी खाना जैसे फल, हरी सब्जियां, नट्स आदि का सेवन करें साथ ही प्रोसेस्ड और जंक फूड से दूरी बनाएं। ऐसे में नियमित तौर पर व्यायाम और मेडिटेशन करें। ऐसा करने से इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। इससे बचने के लिए धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं। ऐसे में हड्डियों को मडबूत बनाने वाले पोषक तत्व जैसे विटामिन डी और कैल्शियम आदि का सेवन करें।