Meningitis vaccine for children: छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल करना बहुत मुश्किल होता है। नवजात अवस्था में इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण बच्चों में कई तरह के संक्रमण का खतरा मंडराता रहता है। बदलते मौसम, धूल-मिट्टी के कारण बच्चों को हेपेटाइटिस बी हेपेटाइटिस यकृत, डिप्थीरिया, काली खांसी, बुखार, सर्दी और गले में इंफेक्शन जैसी बीमारियां होती हैं।
छोटे बच्चों को होने वाली बीमारियों में से एक है मेनिनजाइटिस। पोलियो, खसरा और टीबी जैसी बीमारियों के मुकाबले मेनिनजाइटिस को लेकर आज भी छोटे बच्चों के माता-पिता में जागरुकता की कमी देखी जाती है। सर्दियों के मौसम में छोटे बच्चों में मेनिनजाइटिस के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसलिए आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं मेनिनजाइटिस के लक्षण और इसकी वैक्सीन के बारे में।
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मेनिनजाइटिस के लक्षण क्या हैं?
मेनिनजाइटिस से संक्रमित बच्चों में सिर दर्द, बुखार, त्वचा के एक हिस्से का पीला होना, कपकपी होना, उल्टी या मतली महसूस होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस संक्रमण में दिमागी बुखार का खतरा भी हो सकता है। नवजात शिशुओं में मेनिनजाइटिस के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। छोटे बच्चों में मेनिनजाइटिस जैसी बीमारी न हो इसके लिए पहले वैक्सीनेशन करवाया जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
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कब लगवाई जाती है मेनिनजाइटिस?
छोटे बच्चों को मेनिनजाइटिस वैक्सीन 15 से 18 महीने की उम्र में लगाई जाती है। पोलिया, खसरा और टीबी के टीके की तरह बच्चों के लिए मेनिनजाइटिस वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। बच्चों को मेनिनजाइटिस वैक्सीन लगाने के बाद मामूली सिरदर्द, लालिमा, सूजन और हल्का बुखार जैसी समस्या हो सकती है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार यदि बच्चे को कोई दुर्लभ प्रतिरक्षा प्रणाली रोग है, उस क्षेत्र में रहते हैं जहां मेनिन्जाइटिस का प्रकोप दर्ज किया गया है, ऐसे देश की यात्रा कर रहे हैं जहां मेनिनजाइटिस आम है, प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाली दवाएं ले रहे हैं, प्लीहा क्षति है या उनकी प्लीहा हटा दी गई है, तो उन्हें मेनिनजाइटिस का टीका लगवाने की सलाह जरूर दी जाती है।