World Breastfeeding Week 2022: मां का दूध पिलाने से शिशु को मिलते हैं ये 5 फायदे

World Breastfeeding Week 2022: मां का दूध शिशु के लिए एक संपूर्ण आहार है। स्तनपान कराना शिशु के साथ मां के लिए भी फायदेमंद होता है।   
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World Breastfeeding Week 2022: मां का दूध पिलाने से शिशु को मिलते हैं ये 5 फायदे


ब्रेस्टफीडिंग कराने से महिला और शिशु दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी होती है। मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के साथ बच्चे को स्वस्थ रहने में मदद करता है। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है। मां के दूध में शिशु के विकास और पोषण के लिए जरूरी पोषक तत्‍व होते हैं। जन्म के 6 माह तक शिशु को केवल मां का दूध ही दिया जाता है, उसके बाद शिशु के ठोस आहार की शुरुआत की जाती है। मां बच्चे को 2 साल की उम्र तक भी दूध पिला सकती है। विश्व स्तनपान सप्ताह अगस्त के पहले सप्ताह में ब्रेस्टफीडिंग के महत्व पर जागरूककता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। आइए जानते है शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने से  उसे क्या फायदे होते हैं?

इम्यूनिटी को करें मजबूत

मां का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करता है। मां का दूध सुपाच्य होने के कारण आसानी से पच जाता है और शिशु को हेल्दी रहने में मदद करता है। मां के दूध में बच्चे के लिए सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चे को बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं।

शिशु का दिमाग तेज होता है

मां के दूध से शिशु को डीएचए मिलता है, जो शिशु के दिमाग को तेज करने में मदद करता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने से शिशु में पहचानने की क्षमता विकसित होती है। लगातर ब्रेस्टफीडिंग कराने से शिशु का मानसिक विकास बेहतर ढंग से हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग शिशु को भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करता है।

मोटापा को करें कंट्रोल

ब्रेस्टफीडिंग कराने से शिशु का वजन सही रहता है। कई बार मां किसी कारण से बच्चे को अगर स्तनपात नहीं करा पाती, तो ऐसे बच्चों की तुलना में स्तनपात करने वाले बच्चों का वजन सही रहता है। फार्मूला मिल्क या किसी और तरह का बाहर का दूध शिशु कई बार ज्यादा भी पी लेता है, जिससे शिशु का अत्याधिक वजन बढ़ने लगता हैं। 

पाचन तेज होता है

शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे का पाचन क्रिया सही रहती है। स्तनपात कराने से बच्चे हेल्दी रहते हैं। स्तपात कराने से बच्चे कम बीमार पड़ते हैं। बीमार होने पर भी स्तनपात करने वाले बच्चे जल्दी स्वस्थ होते हैं। स्तनपात अगर लंबे समय तक कराया जाए तो बच्चे को एंटीबायोटिक दवाइयों की कम जरूरत पड़ती हैं। स्तनपात कराने से बच्चे को प्रोबियोटिक्स मिलते हैं, जो शिशु के पाचन तंत्र में इंफेक्शन को दूर रखने में मदद करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे में पेट संबंधी बीमारियां होने का खतरा काफी कम हो जाता है।

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World Breastfeeding Week 2022

डायबिटीज का खतरा कम

शिशु को करीब 6 महीने तक स्तनपात कराने से डायबिटीज का खतरा 30 प्रतिशत तक का खतरा कम हो जाता है। स्तनपात से बच्चे में सही मात्रा में  प्रोटीन, विटामिन और कैल्शियम मिलने से बच्चों में बीमारियां लगने का खतरा काफी कम हो जाता है। शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने से कोलेस्ट्रॉल, दिल संबंधी बीमारी, सांस संबंधी इंफेक्शन और अस्थमा इत्यादि बीमारियों से बचाव होता है। 

ब्रेस्टफीडिंग शिशु के लिए संपूर्ण आहार है, जो बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करता है। स्तनपात कराने से मां और बच्चे दोनों की सेहत को भरपूर फायदा होता है। ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआत जन्म के कुछ घंटों के बाद डॉक्टर से परामर्श लेकर शुरू कर सकती हैं। स्तनपात कराने में किसी परेशानी का अनुभव होने पर घर के बड़ों की मदद लें या डॉक्टर से अवश्य बात करें। 

All Image Credit- Freepik

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