दिवाली खुशियों का त्योहार है, यह रोशनी और हर्षोल्लास का त्योहार है। लेकिन, खुशी मनाने के चक्कर में हम पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा हैं। सजावट के सामान से लेकर, दिवाली में जलाए जाने वाले पटाखे भी कुदरत के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं। पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पटाखों के कारण ही होता है। इसके अलावा पटाखों के कारण चोट भी लग सकती है। इसलिए इस दिवाली पटाखों से दूर रहने की कोशिश करें। अगर पटाखे जला भी रहे हैं तो थोड़ी सावधानी बरतें।
सावधान रहिये
- पटाखे जलाते समय पैरों में चप्पल या जूते जरूर पहनें।
- पटाखे हमेशा खुले स्थान पर जलायें, कभी भी घर के अंदर या बंद स्थान पर पटाखे ना जलायें।
- पटाखे जलाते समय आसपास में पानी रखें और घर में जल जाने पर लगायी जाने वाली दवाएं भी रखें।
- अपने चेहरे को पटाखे जलाते समय दूर रखें।
- पटाखें को शीघ्रजलने वाले पदार्थों से दूर रखें।
- जल जाने पर पानी के छीटें मारें।
क्या ना करें
- पटाखे कभी भी हाथ में ना जलायें क्योंकि ऐसा करने से पटाखों के हाथ में फटने की अधिक संभावना रहती है।
- विस्फोटक कभी भी हाथों में ना रखें।
- पटाखों को दीये या मोमबत्ती के आसपास ना जलायें।
- जब आपके आसपास कोई पटाखे जला रहा हो, तो उस समय पटाखों का प्रयोग ना करें।
- बिजली के तारों के आसपास पटाखे ना जलायें।
- अगर किसी पटाखे को जलने में बहुत अधिक समय लग रहा है, तो उसे दोबारा ना जलायें, बल्कि किसी सुरक्षित स्थान पर फेंक दें।
- आधे जले हुए पटाखों को इधर–उधर ना फेंकें।
पटाखे शरीर के साथ पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए कोशिश करें कि पटाखों के बिना इस त्योहार को मनायें।
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