अक्सर आपने देखा होगा बिना किसी कारण हाथ पैरों में जलन (Burning hand and feet) शुरू हो जाती है। कभी-कभी ये जलन इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति को इसके कारण असमान्यता महसूस होती है। इस जलन से राहत पाने के लिए व्यक्ति प्रभावित स्थान पर पानी डालता है लोकिन कोई भी फायदा नहीं होता है। ऐसे में आयुर्वेद में इस समस्या को दूर करने का उपाय है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि हाथ पैरों में जलन को दूर करने के लिए आप किन चीज़ों को उपयोग (tips to get rid of burning soles and hand) कर सकते हैं। इसके लिए हमने आयुर्वेद संजीवनी हर्बल क्लिनिक शकरपुर, लक्ष्मी नगर के आयुर्वेदाचार्य डॉ एम मुफिक (Ayurvedacharya Dr. M Mufik) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...
1 - हल्दी का उपयोग
हल्दी के माध्यम से हाथ पैरों की जलन को दूर किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हल्दी के अंदर करक्यूमिन पाया जाता है जो शरीर में रक्त के संचरण को सुधारना है। इसके अलावा हल्दी के अंदर एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो हाथ पैरों की जलन को दूर करने में उपयोगी हैं। ऐसे में हल्दी पाउडर को गर्म पानी मैं मिलाएं और इसका सेवन करें। ऐसा करने से समस्या जल्दी दूर होगी। इसके अलावा पानी और हल्दी को एक साथ मिलाकर पेस्ट तैयार कर सकते हैं और प्रभावित स्थान पर लगा सकते हैं। ऐसा करने से भी जलन में राहत मिलेगी।
2 - अदरक का उपयोग
अदरक का रस पैरों और हाथों की जलन को दूर करने में बेहद उपयोगी है। अदरक के अंदर पाए जाने वाले एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण शरीर में रक्त परिसंचरण रो बढ़ाते हैं। ऐसे में अदरक के रस को जैतून के तेल के साथ या नारियल का तेल के साथ मिलाएं और प्रभावित स्थान पर लगाएं। इसके अलावा अदरक की चाय भी इस समस्या को दूर करने में बेहद उपयोगी है।
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3 - नंगे पैर चलें घास पर
नंगे पैर घास पर चलने से भी शरीर में रक्त संचार अच्छा होता है। ऐसा करने से पैरों की जलन को भी दूर किया जा सकता है। इसके लिए नियमित रूप से वॉक करने के दौरान आप नंगे पैर हरी घास पर चलें। ध्यान रखें कि सूखी घास के बजाय नम वाली घास पर चलने से ज्यादा फायदा होगा।
4 - सौंफ का उपयोग
सौंफ के माध्यम से भी हाथ पैर की जलन को दूर किया जा सकता है। ऐसे में सौंफ के साथ साबुत धनिया और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और बने पाउडर का सेवन नियमित रूप से करें। ऐसा करने से समस्या में आराम मिलेगा।
5 - करेले का उपयोग
पैरों की जलन को दूर करने में करेले का उपयोग भी बेहद फायदेमंद है। ऐसे में करेले की पत्तियों को पीसकर बने पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं। ऐसा करने से जलन में राहत मिलती है। आप इस पेस्ट का उपयोग दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं लेकिन करेले को लगाते वक्त किसी भी प्रकार की एलर्जी महसूस हो तो इस उपाय को अपनाने से पहले एक बार एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
6 - नमक का उपयोग
सेंधा नमक के अंदर मैग्निशियम और सल्फेट पाया जाता है जो सूजन और दर्द को कम करने में बेहद उपयोगी है। नसों को ठीक करने में भी सेंधा नमक एक अच्छा विकल्प है। ऐसे में एक बाल्टी में सेंधा नमक डालें और गर्म पानी के साथ उसे अच्छी तरह से मिलाएं। अब अपनी प्रभाविक स्थान को उस पानी में डुबोएं। लेकिन ध्यान दें जो लोग हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह या दिल की समस्या से ग्रस्त हैं वह इस उपाय को ना करें।
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7 - ठंडे पानी का उपयोग
ठंडे पानी के उपयोग से सूजन, झनझनाहट, जलन आदि को दूर किया जा सकता है। बता दें कि आपको ठंडे पानी से भरा हुआ टब लेना है और उसमें अपने प्रभावित स्थान को डुबोना है। अगर एक बार में आराम ना मिले तो इस प्रक्रिया को बार बार दोहराएं। ऐसा करने से पैरों की जलन दूर हो सकती है लेकिन ठंडे पानी में ज्यादा देर तक अपने पैरों को ना रखें। वरना ऐसा करने से और समस्या पैदा हो सकती है।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि हाथ और पैरों में होने वाली जलन को दूर करने में कुछ घरेलू उपाय आपके काम आ सकते हैं। लेकिन आपको बता दें कि हाथ पैरों में जलन कभी विटामिन बी की कमी से हो जाती है तो अत्यधिक शराब का सेवन करने से हो जाती है। इसके अलावा किसी गंभीर बीमारी के चलते भी ये गंभीर समस्या हो सकती है। ऐसे में अगर ऊपर दिए गए उपायों का उपयोग करने के दौरान भी दर्द कम ना हो या जलन कम ना हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। इसके अलावा ऊपर बताई गई किसी भी चीज से यदि आपको एलर्जी है तो उसका सेवन या उपयोग अपने शरीर पर ना करें वरना इससे समस्या और बढ़ सकती है। गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी अपनी डाइट में कुछ भी चीज जोड़ने से पहले एक बार एक्सपर्ट की राय जरूर लें। यदि आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं या स्पेशल डाइट फॉलो कर रहे हैं तो आप अपनी डाइट में बदलाव करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
ये लेख आयुर्वेद संजीवनी हर्बल क्लिनिक शकरपुर, लक्ष्मी नगर के आयुर्वेदाचार्य डॉ एम मुफिक (Ayurvedacharya Dr. M Mufik) से बातचीत पर आधारित है।
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