Ayurvedic Therapies For Body Pain: शरीर में वात, कफ और पित्त के असंतुलन से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। हजारों वर्षों से आयुर्वेद में व्यक्ति की वात, कफ और पित्त की प्रकृति को पहचान कर विभिन्न समस्याओं का इलाज किया जा रहा है। जब व्यक्ति अपने शरीर की प्रकृति के विरुद्ध आहार का सेवन करता है तो इससे कई तरह के दोष उत्पन्न होने लगते हैं। इन दोषों के कारण शरीर में दर्द, घबराहट, बैचेनी और समस्याएं शुरू हो सकती है। शरीर में होने वाले अलग-अलग तरह के दर्द को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक थेरेपी को जानने के लिए हमारी टीम ने मध्यप्रदेश में कार्यरत सरकारी आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (BAMS, DNHE, YIC) से बात की। उन्होंने बताया कि शारीरिक दर्द से बचने के लिए व्यक्ति को किस तरह की थेरेपी (Ayurvedic Therapies For Body Pain) को अपनाना चाहिए।
आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (Instagram-Vaidik_era_ayurveda) ने बताया कि शरीर में वात, कफ और पित्त की प्रकृति को संतुलित रखना बेहद आवश्यक होता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में वात कुपित होता है, तो इससे शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, आदि की समस्या होने लगती है। इस दोष को शांत करने के लिए आयुर्वेद में कई तरह की थेरेपी (ayurvedic remedies for body pain) का जिक्र किया गया है। यह थेरेपी व्यक्ति के दोष को कम करने के साथ ही दर्द में आराम देना का कार्य करती है। आगे जानते हैं उन थेरेपी के बारे में जो शरीर के विभिन्न दर्द को दूर करने में सहायक होती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में दर्द के प्रकार - Type Of Body Pain According To Ayurveda In Hindi
रुमेटीइड अर्थराइटिस (अमावाथ)
यह जोड़ों में अमा (विषाक्त पदार्थ) जमा होने के कारण होता है। जब भी इस प्रकार का अमा हड्डियो में एकत्रित होता है, तो इससे जोड़ों में दर्द, कठोरता और सूजन हो सकती है और यह रुमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) की वजह बन सकता है।
बुखार (ज्वर)
बुखार की वजह से व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं हो सकती है। बुखार व्यक्ति के मन, शरीर और इंद्रियों को प्रभावित करता है। यह किसी बैक्टीरिया या अन्य संक्रमण की वजह से हो सकता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस (संधिवात)
यह समस्या जोड़ों में संबंधित होती है। विभिन्न बीमारियों की वजह से शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती है। मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है। इस समस्या में जोड़ो में दर्द और कठोरता (Joint Pain) होने लगती है।
आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (वातज पांडु)
व्यक्ति के शरीर में पित्त दोष की कमी के साथ ही वात और कफ के अंसतुलन से कारण आयरन की कमी से एनीमिया की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से भी शरीर में दर्द शुरु हो सकता है।
शरीर में होने वाले विभिन्न दर्द के लिए आयुर्वेदिक थेरेपी - Ayurvedic Therapies For Different Types Of Body Pain In Hindi
शरीर में होने वाले विभिन्न दर्द को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कई तरह की थेरेपी का जिक्र मिलता है। अगर आपको शरीर या जोड़ों में दर्द हो रहा है, तो ऐसे में आयुर्वेदाचार्य से मिलें। वह आपके शरीर की प्रकृति और दर्द के कारण (वात, कफ और पित्त) को समझकर उसके लिए इलाज चुन सकते हैं। इसमें लक्षणों के आधार पर भी थेरेपी दी जा सकती है। आगे जानते हैं इन दौरान उपयोग की जाने वाली थेरेपी।
ओलियेशन थेरेपी (Oleation Therapy)
इसमें शरीर को आराम देने और विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए औषधिय युक्त तेल और अन्य जड़ी-बूटियों से शरीर की मालिश की जाती है। इस थेरेपी में रोगी के शरीर के प्रकार और स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। इसमें तीन से सात दिनों तक जड़ी-बूटियों, तेलों और घी का आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से प्रयोग किया जाता है। (Ayurvedic Treatment For Body Pain)
ताप चिकित्सा (Heat therapy)
यह अगला कदम है जो ओलियशन थेरेपी के बाद आता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें तेल और जड़ी-बूटियों के काढ़े के उपयोग की वजह से पसीना आने लगता है। इसमें उपचार के लिए भाप का उपयोग किया जाता है। जैसे ही सभी आवश्यक तेलों और जड़ी-बूटियों को शरीर पर लगाते हैं, भाप के कारण पसीना आने लगता है। जब माथे और पेट पर अच्छा पसीना आता है तो इसे बंद कर दिया जाता है। यह पसीने के माध्यम से शरीर में मौजूद अशुद्धियों को डिटॉक्सीफाई करने का एक तरीका है।
वमन (Therapeutic Vomiting)
इस विधि में मुंह के माध्यम से अपशिष्ट को बाहर निकाला जाता है। इस उपचार में, मुख्य श्वसन और जठरांत्र संबंधी मार्ग (gastrointestinal tract) से विषाक्त पदार्थों को समाप्त किया जाता है। इसके बाद लोगों को अक्सर कुछ समय के लिए सीने में जकड़न का अनुभव हो सकता है, जो बाद में ठीक हो जाता है। इस थेरेपी से व्यक्ति को अच्छी भूख लगती है।
आयुर्वेदिक डिटॉक्स (विरेचन)
संस्कृत में विरेचन को "शुद्धिकरण" या "रेचक" कहा जाता है। इसमें संक्रमित जगह से विषाक्त पदार्थों को इकट्ठा किया जाता है और छोटी आंत में केंद्रित किया जाता है, और इसे बाहर निकाल दिया जाता है। यह छोटी आंत, लिवर और स्पीन को साफ करता है। इस थेरेपी में जड़ी-बूटियों का चुनाव विकार के आधार पर तय किया जाता है।
रक्त शोधन चिकित्सा (Blood purification therapy)
संस्कृत में इसे रक्तमोक्षण कहा जाता है। इस थेरेपी में, विषाक्त पदार्थों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए रक्त की थोड़ी मात्रा को सावधानीपूर्वक निकाला जाता है। यह मुख्य रूप से रक्त संबंधी बीमारियों का इलाज करता है।
शरीर दर्द के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां - Ayurvedic Herbs For Body Pain In Hindi
एरंडा (Castor)
यह मूत्र पथ, पाचन तंत्र और सूजन से संबंधित समस्याओं के इलाज में मदद करता है। इन बीजों में औषधीय गुण होते हैं, और ये वास्तव में दांतों और कब्ज से संबंधित समस्याओं के इलाज में फायदेमंद होता है।
भारतीय बरबेरी (इला)
इसे सभी मसालों का राजा भी कहा जाता है। इसका उपयोग सर्दी, सांस संबंधी और पाचन से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए किया जाता है। इसे दूध के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
मुलेठी
यह श्वसन संबंधी विकार, लिवर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार, शरीर में संक्रमण और एलर्जी के इलाज में मदद करता है।
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शरीर में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए आप आयुर्वेदिक डॉक्टरों की सलाह ले सकते हैं। हमारी ‘आरोग्य विद आयुर्वेद’ सीरीज में आपको आने वाले समय आयुर्वेद से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियां प्रदान की जाएंगी। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें।