
हर कोई चाहता है कि उसकी स्किन सॉफ्ट, प्यारी और खूबसूरत हो। इसके लिए तरह-तरह के स्किन केयर प्रोडक्ट का यूज भी किया जाता है। लेकिन केमिकल बेस्ड स्किन प्रोडक्ट यूज करने की वजह से कोई न कोई नुकसान जरूर होता है, इसलिए इस तरह के स्किन प्रोडक्ट पर पूरी तरह भरोसा करना भी सही नहीं होता है। खासकर ऑयली त्वचा की बात करें, तो इस टाइप की स्किन को और ज्यादा केयर की जरूरत होती है। क्योंकि ऑयली स्किन में कील-मुंहासे आदि बहुत आसानी से हो जाते हैं। फिर कील-मुंहासे और दाग-धब्बों को हटाने के लिए और कई तरह के स्किन प्रोडक्ट का उपयोग करना पड़ता है। अगर लापरवाही से फेस क्रीम खरीदा जाए, तो स्किन को फायदा होने के बजाय नुकसान होने लगता है। आप चाहें तो केमिकल प्रोडक्ट के बजाय आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की मदद ले सकते हैं। आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी बूटियां मौजूद हैं, जो ऑयली स्किन के लिए लाभकारी हैं। नियमित रूप से इन जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाए, तो इससे ऑयली स्किन चमकदार, कोमल और स्वस्थ बनती है। साथ ही ये जड़ी बूटियां त्वचा के रोम छिद्र खोलती है, जिससे त्वचा संबंधी समस्याओं में भी कमी आती है।
एलोवेरा
आयुर्वेद में एलोवेरा को घृतकुमारी के नाम से जाना जाता है। एलोवेरा में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए इसे लाभकारी और उपयोगी बनाते हैं। आयुर्वेद में इसे सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाली जड़ी बूटियों में से एक माना गया है। ऑयली स्किन के लिए इसे ज्यादा उपायेगी इसलिए माना गया है क्योंकि इसमें एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और कूलिंग करने की क्षमता होती है। अगर आपकी ऑयली स्किन है, तो एलोवेरा का उपयोग करें। इससे चेहरे के दाग-धब्बे भी कम हो जाएंगे और स्किन कोमल बन जाएगी।
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चंदन
ऑयली स्किन में बहुत आसानी से चकत्ते, मुंहासे हो जाते हैं। इनसे राहत पाने के लिए जरूरी है कि ऑयली स्किन पर ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाए, जो ठंडक प्रदान करते हों। चंदन ऐसे ही तत्वों से भरपूर है। चंदन में त्वचा को ठंडक पहुंचाने वाले गुण पाए जाते हैं, जो मुंहासे, दाने, चकत्ते कम करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही यह सूजन को कम करने का काम भी करते हैं। आमतौर पर जिन लोगों की ऑयली स्किन होती है, वे गर्मी के मौसम में जब घर से बाहर निकलते हैं, तो उनकी स्किन ला हो जाती है। इस स्थिति से बचाव में भी चंदन का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा यह त्वचा को हाइड्रेट भी रखता है।
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चमेली के पत्ते
चमेली के पत्ते न सिर्फ ऑयली स्किन के लिए बहुत अच्छा है बल्कि इसमें कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो स्किन को माइक्रोबियल संक्रमण होने से रोकता है। इसके अलावा आयुर्वेदि विशेषज्ञों की मानें तो यह त्वचा से जो तेल उत्पादित होता है, उसे भी नियंत्रित रखने में मदद करता है। आप चाहें तो चमेली की पत्तियों को गुलाब जल के साथ मिलाकर यूज कर सकते हैं। यह त्वचा में रौनक को बढ़ाता है। इस मिश्रण का उपयोग सप्ताह में दो बार 15 मिनट के लिए कर सकते हैं।
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नीम
नीम भी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। नीम का उपयोग आप कई तरह से कर सकते हैं जैसे नीम के पत्तों का पेस्ट आदि। नीम त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा है। यह त्वचा की गहराई तक जाकर मृत कोशिकाओं को हटाने का काम करते हैं। यह प्राकृतिक तेल उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करने वाले बंद छिद्रों को भी खोलता है। आप चाहें तो नीम की पत्तियों का इस्तेमाल गुलाब जल के साथ मिलाकर पेस्ट के तौर पर कर सकते हैं। इससे जल्द ही चेहरे पर फर्क दिखने लगता है।
मोरिंगा
मोरिंगा के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो त्वचा पर किसी भी दाने, धब्बे या मुंहासे को ठीक करने में मदद करते हैं। यह सूजन को कम करने में मदद करता है और फाइन लाइंस तथा झुर्रियों को बनने से भी रोकते हैं।