शरीर का न्यूनतम तापमान (Average Body Temperature) अगर आपसे पूछा जाए, तो झट से आप 98.6 डिग्री फारेनहाइड या 37 डिग्री सेल्सियस कहेंगे। जर्मन वैज्ञानिक कार्ल वुंडरलीज ने आज से 200 साल पहले शरीर के मानक तापमान को 98.6 डिग्री बताया था। तब से अगर शरीर का तापमान इससे ऊपर आताी है, तो हम समझते हैं कि व्यक्ति को बुखार हो गया है। लेकिन अब शरीर का न्यूनतम तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइड नहीं रहा। समय के साथ-साथ शरीर के तापमान का पैटर्न (Body Temperature) बदल रहा है। ब्रिटेन में करीब 35 हजार लोगों पर 2017 में शरीर के तामपान को लेकर अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में तापमान मानक से कम औसत 97.9 डिग्री था। वहीं, अमेरिका के लोगों का औसत तापमान 97.5 डिग्री फारेनहाइड बताया गया था।
कई देशों के शोधकर्ताओं द्वारा यह अध्ययन किया गया है। साइंस जर्नल में इस अध्ययन को प्रकाशित किया गया है। इंटीग्रेटिव एंथ्रोपोलॉजिकल साइंस के थॉमस क्राफ्ट और सेंटा बारबारा के प्रोफेसर माइकल गुरवेन के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन में एमेजॉन के जंगलों में रहने वाले सिमेने जनजाति के लोगों को भी शामिल किया गया था। पिछले करीब 16 साल से गुरवेन सिमेने हेल्थ एंड लाइव हिस्ट्री प्रोजेक्ट के निदेशक पर यह अध्यय किया जा रहा है। अध्ययन में देखा गया है कि सिमेने जनजाति के तापमान में गिरावट आई है। शोधकर्ताओं के लिए यह एक चौकाने वाली बात है कि पूरी दुनिया के लोगों के शरीर के तापमान में गिरावट आई है। इस अध्ययन में सिमेने जनजाति के लोगों का तापमान औसत 97.7 डिग्री बताया गया है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, हर साल तापमान में 0.09 डिग्री फारेनहाइड की गिरावट आ रही है।
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शरीर के तापमान घटने का क्या है कारण? (What is the reason for decreasing body temperature?)
शोधकर्ता गुरवेन का कहना है कि का कहना है कि पिछले 2 दशकों में शरीर के तापमान में उतनी गिरावट आई है, जितने की अमेरिका के देशों में 200 सालों से देखने को मिली है। इस अध्ययन में शरीर के तापमान बढ़ने के कई कारणों पर ध्यान दिया गया है। अध्ययन में शामिल होने वाले ऐसे लोगों को हटाया गया, जिनका किसी इंफेक्शन की वजह से तापमान में गिरावट नहीं आ रही थी या फिर जिनके शरीर के तापमान में बढ़ोतरी हो रही थी।
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गुरवेन ने कहा कि गृह युद्ध के समय ही अमेरिका के लोगों का सामान्य तापमान में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन उस समय सिर्फ एक मामले से कहना मुश्किल था कि शरीर के तापमान में गिरावट का क्या कारण है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि एक अवधारणा यह है कि लोगों ने समय के साथ अपने हाईजीन में सुधार किया है। पीने के पानी से लेकर खाने की चीजों में हाइजीन का खास ख्याल रखा गया है। वेक्सीनेशन और समय पर इलाज होने लगे हैं। जिसके कारण इंफेक्शन की समस्याओं में गिरावट आई है। इसके साथ ही कई तरह के इंफेक्शन के बारे में हम जानने लगे हैं। हालांकि, सिर्फ इंफेक्शन के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि तापमान में गिरावट का ये कारण है। क्योंकि सिमेने जनजाति के लोगों में इंफेक्शन होने का खतरा कम नहीं हुआ है।
इसके साथ ही गुरवेन का कहना है कि समय के साथ-साथ लोगों का स्वास्थ्य इप्रूव हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही दूसरे इंफेक्शन बोलोविया जैसे देशों में बढ़ रहे हैं। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि एंटी इंफ्लामेंटरी दवाइओं के इस्तेमाल से भी शरीर के तापमान में गिरावट दर्ज हो रही है। इसके साथ ही दूसरी संभावना यह भी जताई जा रही है कि आज के समय में शरीर के तापमान को कंट्रोल करना उतना कठिन नहीं रहा है, जितना पहले के समय में था।
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