कोरोना वायरस के मरीजों में इन दिनों एक नई तरह की समस्या का पता चल रहा है, जिसके कारण हेल्थ एक्सपर्ट्स सकते में हैं। ये नई मुसीबत एक तरह का जानलेवा फंगल इंफेक्शन है, जो मरीजों के नाक और कान को प्रभावित कर रहा है। दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल में पिछले 15 दिनों में इस फंगल इंफेक्शन के 13 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। हैरानी की बात ये है कि इनमें से आधे मरीजों के आंखों की रौशनी हमेशा के लिए चली गई है। इसके अलावा इस फंगल इंफेक्श के कारण कई लोगों की जान भी गई है।
कितना खतरनाक है ये फंगल इंफेक्शन?
सर गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने बताया कि ये फंगल इंफेक्शन बहुत खतरनाक है क्योंकि पिछले 15 दिनों में जो भी मामले सामने आए हैं, उनमें से आधे लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं कुछ लोगों में इस फंगल इंफेक्शन के कारण आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। कुछ मरीजों में इसका दिमाग पर भी असर देखा गया है। एक्सपर्ट्स के अनुसार ये एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है, जिसका नाम म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) है। इसे ब्लैक फंगस (Black Fungus) या ज़ाइगोमाइकोसिस (zygomycosis) भी कहते हैं। इस फंगल इंफेक्शन का खतरा उन लोगों को होता है, जिनका शरीर गंभीर रूप से बीमार होने के कारण रोगों और जर्म्स से लड़ने की क्षमता खो देता है।
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क्या हैं इस फंगल इंफेक्श के लक्षण
सर गंगाराम हॉस्पिटल के ENT विभाग के सीनियर सर्जन डॉ. मनीष मंजुल ने बताया, "कोविड के कारण म्यूकरमाइकोसिस जैसे जानलेवा फंगल इंफेक्शन के मामले, वो भी इतनी जल्दी-जल्दी, चिंताजनक हैं। इस तरह के मामलों में जो शुरुआती लक्षण देखने को मिल रहे हैं, वो नाक में दबाव, कान और गाल में सूजन और नाक में काली-सूखी पपड़ी जैसा दिखना आदि हैं। अगर किसी मरीज में ये लक्षण दिखते हैं, तो उसे जितनी जल्दी हो सके उसकी बायोप्सी कराके एंटी-फंगल थेरेपी देना चाहिए।" इसके अलावा चेहरा सुन्न पड़ना भी इस समस्या का एक मुख्य लक्षण बताया जा रहा है।
पहले भी आ चुके हैं कोविड मरीजों में ऐसे मामले
आपको बता दें कि कोविड-19 से संक्रमित मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस नाम के इस खतरनाक फंगल इंफेक्शन के मामले पहली बार नहीं सामने आ रहे हैं, बल्कि सितंबर महीने में मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में भी ऐसा एक मामला सामने आया था, जिसमें 60 वर्षीय बुजुर्ग को सांस लेने की तकलीफ के चलते हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां RT-PCR टेस्ट में वो कोविड पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद नाक में तकलीफ के चलते जब मरीज के नाक का बायोप्सी टेस्ट किया गया तो यही फंगल इंफेक्शन नजर आया था। लीलावती हॉस्पिटल के ही डॉक्टर सलिल मेहता और डॉक्टर आभा पाण्डेय ने अपनी एक स्टडी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि संभव है मरीज को ज्यादा मात्रा में स्टेरॉइड्स और एंटीबायोटिक्स देने से ऐसा फंगल इंफेक्शन सामने आया हो। ये स्टडी रिपोर्ट Cureus.com पर छापी गई थी।
जून में नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के NCBI में प्रकाशित एक और स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के फंगल इंफेक्शन का खतरा कोविड-19 के ऐसे गंभीर मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रहा है, जिन्हें ICU में एडमिट किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे मामले ईरान और फ्रांस में भी देखे गए थे।
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कुल मिलाकर किसी भी मरीज में इस खतरनाक फंगल इंफेक्शन के दिखने के बाद जितनी जल्दी संभव हो, उसे डॉक्टर से मिलकर इलाज शुरू करना चाहिए, ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। डॉक्टर्स को भी इस तरह के मामलों के लिए विशेष रूप से तैयारी करने की जरूरत है।
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