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Auto Brewery Syndrome: ऐसी बीमारी जिसमें शरीर खुद ही बनाता है एल्कोहल, हर समय नशे में रहता है आदमी

बिना पिए अगर आपको नशा चढ़ रहा है, तो इसका कारण ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस समस्या के बारे में-  
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Auto Brewery Syndrome: ऐसी बीमारी जिसमें शरीर खुद ही बनाता है एल्कोहल, हर समय नशे में रहता है आदमी

शराब या फिर किसी अन्य तरह का एल्कोहल पीने के बाद नशा चढ़ते आपने कई बार देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी बिना पिए नशा चढ़ते देखा है? जी हां, कुछ लोगों को बिना पिए भी नशा चढ़ता है। इस समस्या को ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम (Auto Brewery Syndrome in Hindi) कहा जाता है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति अपना मानसिक और शारीरिक संतुलन खो देता है। ग्वालियर स्थित विजयाराजे सिंधिया कॉलेज की साइकोलॉजी की प्रोफेसर नीरा श्रीवास्तव का कहना है कि इन दिनों कई लोग चिंता और डिप्रेशन जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं। ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम चिंता और डिप्रेशन जैसी परेशानियों का दुष्प्रभाव हो सकता है। आज हम इस लेख में ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

क्या है ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम (What is Auto-brewery Syndrome)

डॉक्टर नीरा श्रीवास्तव बताती हैं कि ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति अपना मानसिक और शारीरिक संतुलन खो देता है। इस समस्या से प्रभावित व्यक्ति को कोई सुध नहीं रहता है। आपको इसमें प्रतीत होगा कि जैसे उस व्यक्ति ने किसी तरह का नशा कर लिया है। इससे पीड़ित व्यक्ति को हैंगओवर जैसा महसूस होता है और वह नशे में धुत रहता है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को वह चीजें खाने की इच्छा होती है, जिससे हैंगओवर उतर जाता है। 

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के कारण ( Auto-brewery Syndrome causes)

एनसीबीआई पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह समस्या से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में कार्बोहाइड्रेट एल्कोहल (इथेनॉल) का उत्सर्जन करता है। यानि अगर व्यक्ति अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेता है, तो उसके शरीर में नशा का प्रभाव अधिक दिख सकता है। 

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कार्बोहाइड्रेट से एल्कोहल आंत या आंतों के अंदर जमा होने लगता है। यह  आंत में बहुत अधिक ईस्ट ( yeast) जमा होने की वजह से हो सकता है। ईस्ट एक तरह का फंगस होता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ईस्ट जिसकी वजह से ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है। -

  • कैनडीडा अल्बिकन्स (Candida albicans)
  • कैंडिडा ग्लबराटा (Candida glabrata)
  • टोरुलोप्सिस ग्लबराटा (Torulopsis glabrata)
  • कैंडिडा क्रूसि (Candida krusei)
  • कैंडिडा केफिरो (Candida kefyr)
  • Saccharomyces cerevisiae (शराब बनाने वाला ईस्ट)

रिसर्च के अनुसार, कार्बोहाइड्रेट से उत्सर्जित एल्कोहल धीर-धीरे व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेता है और वह नशे में धुत हो जाता है।  

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के लक्षण (Auto-brewery Syndrome Symptoms) 

  • इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को काफी नशा जैसा अनुभव होता है। 
  • इसमें व्यक्ति को वे चीजें खाने की इच्छा होती है, जिससे उन्हें हैंगओवर से आराम मिल सके। 

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम व्यक्ति को वे सभी लक्षण महसूस होते हैं, जो नशा करने के बाद आता है। जैसे- 

  • स्किन का लाल होना। 
  • चक्कर आना
  • भटकाव
  • सिरदर्द दर्द
  • उल्टी जैसा महसूस होना। 
  • डिहाइड्रेशन होना
  • ड्राई माउथ
  • डकार आना
  • थकान महसूस होना।
  • स्मृति और एकाग्रता की समस्याएं
  • मनोदशा में बदलाव 

इसके अलावा ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को जन्म दे सकता है, जिसकी वजह से गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। जैसे-

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ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम का इलाज (Auto-brewery Syndrome Treatment) 

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम का इलाज किया जा सकता है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम मात्रा में करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा क्रोहन डिजीज जैसी समस्या का इलाज करके आंत में फंगस को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। इसके लिए डॉक्टर कुछ एंटीफंगल दवाएं दे सकता है। 

एंटीफंगस की दवाएं पेट में मौजूद फंगस संक्रमण से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा डॉक्टर लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं। जैसे- 

  • चीनी का कम मात्रा में सेवन करें। 
  • कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार न लें। 
  • शराब से दूरी बनाएं। 
  • मीठे खाद्य पदार्थों और साधारण कार्ब्स से बचें 
  • सफेद ब्रेड और पास्ता, सफेद चावल, रिफाइंड आटा, आलू के चिप्स, कोल्ड-ड्रिंक्स, फलों का जूस इत्यादि लेने से बचें।  

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम में व्यक्ति को नशा जैसा अनुभव होता है। अगर आपको इस तरह की परेशानी है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। ताकि समय पर आपका इलाज किया जा सके।

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