
यह बहुत ही आम बात है कि किसी महत्वपूर्ण काम या किसी नई चुनौती का सामना करने पर आप घबरा जाते हैं या फिर चिंता करते हैं। हालांकि यह सामान्य है, जो जरूरी है लेकिन कुछ लोगों के लिए, चिंता जीवन भर का एक साथी सा बन जाती है। वे लगातार घबराते या चिंतिंत रहते हैं, जिसका कि उनके जीवन और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। कई बार चिंता, डिप्रेशन और अन्य मानसिक विकारों की ओर ले जाती है। यही वजह है कि लंबे समय तक चिंता आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है। आइए यहां हम आपको चिंता संबंधी तीन विकारों के बारे में बताते हैं।
1. सलेक्टिव म्यूटिज्म डिसऑर्डर (Selective Mutism Disorder)
सेलेक्टिव म्यूटिज़्म एक ऐसा विकार है, जिसमें व्यक्ति बोलने में घबराहट महसूस करता है। यह एक सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर है। इसमें लोग कुछ विशेष स्थितियों में बोलने में विफल होते हैं, जैसे अनजान लोगों से बात नहीं कर पाते, बाहरी लोगों से डर आदि। सेलेक्टिव म्यूटिज़्म में व्यक्ति के आत्मविश्वास की कमी उस स्थिति में पैदा हुई चिंता से उपजी होती है। यह डिसऑर्डर खासकर बच्चों में होता है, लेकिन यह वयस्कों में भी हो सकता है। सेलेक्टिव म्यूटिज़्म का इलाज किया जा सकता है, इसमें साइकोथेरेपी का उपयोग किया जाता है और कांउसलिंग कर व्यक्ति की विचार प्रक्रिया और व्यवहार को लक्षित किया जाता है।
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2. बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (Body Dysmorphic Disorder)
बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर, सेलेक्टिव म्यूटिज्म से बिलकुल अलग तरह का डिसऑर्डर है। इसमें व्यक्ति को अपने चेहरे या शरीर में कुछ खराबी या दोष उत्पन्न होने का डर रहता हे। बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति की ये खामिया दूसरों के लिए अनजान होती हैं, लेकिन उसे खुद को लगता है कि उसके चेहरे में कुछ अजीब बदलाव हो रहे हैं या बाडी का आकार बदल रहा है। जैसे कि व्यक्ति को लगता है कि उसकी नाक का आकार बदल रहा है, उसके होंठ भद्दे दिखने लगे हैं। इसलिए वह हमेशा अपनी दिखावट या पर्सनैलिटी के बारे में सोचता रहता है और उसे सुधारने के लिए काफी समय खर्च करता है। घंटों शीशे के सामने यड़े रहकर खुद को देखना और बदलने की कोशिश करना, जिसकी वज से वह खुद को बदसूरत समझने लगते हैं। ऐसे में वह लोगों से छिपते और मिजना-जुलना पसंद नहीं करते।
ट्रिकोटिलोमेनिया डिसऑर्डर (Trichotillomania Disorder)
ट्रिकोटिलोमेनिया को एक तरह का हेयर पुल्लिंग डिसऑर्डर भी कहा जाता है। क्योंकि यह विकार व्यक्ति को अपने अपने शरीर में मौजूद बालों को खींचने के लिए मजबूर करता है। इसमें रोगी अपने बालों भोंहों और पलकों को खींचता या उखाड़ने की कोशिश करता है। ट्रिकोटिलोमेनिया रोगी जब चिंतित या भयभीत महसूस करता है, तो उसे अपने बालों को उखाड़ने पर शांमि मिलती है। परिणाम स्वरूप, जब उसे महसूस होता है कि उसके बाल झड़ गए हैं या गंजापन हो गया है, तो वह खुद को लोगों से दूर रखने की कोशिश करता है।
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ट्रिकोटिलोमेनिया के पीछे पारिवारिक इतिहास, चिंता, तनाव आदि शामिल हो सकते हैं और यह कई बार आजीवन रह सकता है। इसलिए समय पर उपचार इसके लिए बहुत जरूरी है। इसलिए हमेशा कोशिश करें कि चिंता और तनाव का प्रबंधन करने का प्रयास करें, खुद को खुश रखें और स्वस्थ जीवन जीने के लिए अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
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