आस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो दीमक की तरह हड्डियों को खोखला बना देती है। वर्तमान समय में यह रोग पुरुषों में इतना आम हो गया है कि हर तीसरा व्यक्ति आस्टियोपोरोसिस का शिकार हो रहा है। अगर आंकड़ों की बात करें तो हमारे देश में हर तीन में से एक ...
आस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो दीमक की तरह हड्डियों को खोखला बना देती है। वर्तमान समय में यह रोग पुरुषों में इतना आम हो गया है कि हर तीसरा व्यक्ति आस्टियोपोरोसिस का शिकार हो रहा है। अगर आंकड़ों की बात करें तो हमारे देश में हर तीन में से एक पुरुष आस्टियोपोरोसिस से ग्रसित है। वैसे तो इस रोग के बढ़ने के कई कारण हैं लेकिन पुरुषों में टेस्टास्टेरॉन हार्मोन की कमी की वजह से हड्डियों जल्दी कमजोर होती है। अगर इसके लक्षणों की बात करें तो शुरुआत में यह इतने सामान्य होते हैं कि लोगों को समझ ही नहीं आ पाता कि वह आस्टियोपोरोसिस के शिकार हो गए हैं। लेकिन कुछ संकेत ऐसे भी हैं जिन पर अगर आप ध्यान दें तो आपको समझ आ जाएगा कि आप इस रोग के शिकार हो रहे हैं। आज हम आपको आस्टियोपोरोसिस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वे—
पुरुषों में आस्टियोपोरोसिस के लक्षण
- बहुत जल्दी थक जाना और चक्कर आना
- सुबह उठते वक्त शरीर में दर्द होना
- सुबह के वक्त कमर में दर्द होना
- हल्की से चोट लगने पर फ्रैक्चर हो जाना
- हड्डियों और मांसपेशियों में हमेशा हल्का दर्द रहना
- शरीर के जोडों में जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में तेज दर्द होना
- पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का सा भी दबाव पड़ने पर तेज दर्द, आदि।
आस्टिओपरोसिस के कारण
- टेस्टास्टेरॉन हार्मोन पुरुषों में ही पाया जाता है, अनियमित दिनचर्या और खतरनाक बीमारियों के चलते पुरुषों में इसकी कमी हो जाती है। टेस्टोस्टेरॉन की कमी के चलते हड्डियों में खनिजों का घनत्व यानी बीएमडी कम हो जाता है, इसके कारण ही अधिक उम्र के पुरुषों की हडिृडयों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
- अगर किसी के परिवार में आस्टिओपरोसिस का इतिहास है, तो सामान्य व्यक्ति की तुलना में उसे यह रोग होने का खतरा अधिक होता है। शोध यह भी साबित करते है कि कुछ क्षेत्र-विशेष के लोगों को यह रोग होने का खतरा अधिक होता है। भारोपीय और एशियाई क्षेत्र के लोगों में अफ्रीकन अमेरिकन और हिस्पेनिक लोगों के मुकाबले ऑस्टेपोरिसिस अधिक देखा गया है।
- ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उम्रदराज पुरुषों को अधिक होती है। 50 की उम्र के बाद पुरुषों में इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल 50 की उम्र के बाद पुरुषों की हड्डी का घनत्व कम होने लगता है जिसके कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और पुरुष इसकी चपेट में आ जाते हैं।
- आस्टिओपरोसिस का एक बड़ा कारण हमारी जीवनशैली भी हो सकती है। आप क्या खाते हैं, पीते हैं और कैसा जीवन जीते हैं, इन सब बातों का ऑस्टोपोरोसिस के होने से सीधा संबंध होता है। अगर आपके आहार में पर्याप्त कैल्शियम, विटामिन डी और जरूरी पोष्ज्ञक तत्व जैसे फास्फोरस और मैग्नीशियम न हों, तो इससे आपकी हड्डियों को मिलने वाले पोषण में कमी आती है। इन पोषक तत्वों की कमी से आपकी अस्थियां कमजोर हो सकती हैं, क्योंकि उनकी सेहत के लिए ये सभी तत्व बेहद जरूरी होते हैं।
- कैल्सियम और विटामिन डी की कमी से भी ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्सियम और विटामिन डी की आवश्यकता होती है। अगर शरीर में इनकी कमी हुई तो पुरुष आसानी से ऑस्टियोपोरोसिस की चपेट में आ सकते हैं। 50 की उम्र के बाद पुरुषों को नियमित रूप से मिग्रा कैल्सियम का सेवन करना चाहिए।
- निष्क्रिय जीवनशैली भी ऑस्टोपोरोसिस का कारण बन सकती है। आपको रोजाना व्यायाम अथवा किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। इसके साथ ही अगर आप वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज, जैसे वेट लिफ्टिंग, पुश-अप्स आदि, कर सकें तो आपके लिए अच्छा होगा। इसके साथ ही आपको दौड़, पैदल चलना और एरोबिक्स जैसी कसरत करनी चाहिए। इससे भी आपके बॉन मॉस में बढ़ोत्तरी होती है।
- धूम्रपान का सेवन फेफड़ों के साथ-साथ हड्डियों के लिए भी हानिकारक है। तंबाकू के सेवन से हड्डियों का घनत्व कम होता है। इसलिए किसी भी प्रकार के धूम्रपान से बचें। इसके साथ ही कुछ आहार आपकी हड्डियों पर बुरा असर पड़ता है। धूम्रपान और अल्कोहल का अधिक सेवन भी आपके शरीर और हड्डियों के लिए अच्छा नहीं। इससे आपका अस्थि घनत्व कम होता है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। प्रोटीन का अत्यधिक सेवन और कैफीन का जरूरत से ज्यादा सेवन भी हड्डियों के लिए अच्छा नहीं होता। ये सब तत्व मिलकर भी ऑस्टोपोरोसिस की वजह बन सकते हैं।
- कुछ दवायें भी आपकी हड्डियों को कमजोर बना सकती हैं। कुछ दवायें आपकी हड्डियों पर नकारात्मक असर डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। खासतौर पर अगर आप किसी गंभीर बीमारी के लिए लंबे समय से दवायें ले रहे हैं, तो इसका आपकी अस्थियों पर गहरा असर पड़ सकता है। रहेयूमेटायड अर्थराइटिस अथवा अस्थमा आदि के लिए ली जाने वाली दवायें अस्थियों को प्रभावित कर सकती हैं। इन दवाओं की उच्च मात्रा आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।
आस्टियोपोरोसिस से बचाव
अगर आस्टियोपोरोसिस का जल्दी पता चल जाए और समय पर इसका इलाज शुरू कर दिया जाए, तो भविष्य में होने वाले फ्रेक्चर के जोखिम को कम किया जा सकता है। हालांकि अब तक ओस्टियोपोरोसिस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। इसलिए यदि समय रहते आस्टियोपोरोसिस के इलाज में ध्यान दिया जाए तो इस बीमारी के होने की आशंका को टाला जा सकता है। वैसे ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए डॉक्टर शुरू से ही यानी 30 की उम्र के बाद खाने में कैल्शियम और विटामिन डी मात्रा अधिक बढ़ाने की सलाह देते हैं।
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