दिल्ली की हवा दिनों दिन जहरीली होती जा रही है। इसे रोकने के लिए यहां ग्रैप-2 की पाबंदियां भी लागू की गई हैं। राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार तक एक्यूआई लेवल 322 था, जबकि फिलहाल कुछ इलाकों में यह 418 तक पहुंच चुका है। एरिजोना बैरो न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (Arizona's Barrow Neurological Institute) के शोधकर्ताओं द्वारा प्रदूषण से पार्किंसन की बीमारी होने का दावा किया है। आइये जानते हैं।
वायु प्रदूषण और पार्किंसन के बीच संबंध
स्टडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से पार्किंसन डिजीज का खतरा बढ़ता है। स्टडी की मानें तो प्रदूषण में रहने वाले लोगों में पार्किंसन की बीमारी होने का खतरा 56 प्रतिशत तक रहता है। इंस्टीट्यूट के मुख्य शोधकर्ता Brittany Krzyzanowski ने बताया कि हवा में पीएम 2.5 या फिर उससे छोटे आकार के कुछ दूषित कण पाए जाते हैं, जो सांस के जरिए ब्रेन तक पहुंचकर ब्रेन में सूजन पैदा कर सकते हैं। इसके चलते धीरे-धीरे पार्किंसन की बीमारी विकसित हो सकती है।
दिल्ली और मुंबई में बढ़ा एक्यूआई लेवल
दिल्ली के साथ-साथ आर्थिक राजधानी मुंबई में भी पिछले कुछ समय से प्रदूषण बढ़ गया है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी किए गए एक आंकड़े की मानें तो दिल्ली के आनंद विहार इलाके में एक्यूआई लेवल 418 तक पहुंच चुका है। बवाना 389, आईजीआई एयरपोर्ट 330, आईटीओ 328 और पंजाबी बाग में एक्यूआई 380 तक जा चुका है। वहीं नवी मुंबई में एक्यूआई लेवल 286 तो पुणे में 134 तक जा चुका है। हालांकि, दिल्ली के मुकाबले यह थोड़ा कम है।
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पार्किंसन बीमारी से बचने के तरीके
- पार्किंसन की बीमारी से बचने के लिए आपको अपनी डाइट में सुधार करने की जरूरी है। इसके लिए विटामिन बी1 और जिंक आदि जैसे तत्व ले सकते हैं।
- इसके लिए स्ट्रेस और एंग्जाइटी को मैनेज करना भी जरूरी है।
- पार्किंसन बीमारी से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लें। इसके लिए दिनभर में कम से कम 6 से 8 घंंटे की नींद लें।
- इसके लिए नियमित तौर पर एक्सरसाइज करें और शारीरक रूप से सक्रिय रहें।
- पार्किंसन बीमारी से बचने के लिए लोगों से सोशल इंट्रेक्शन बढ़ाएं।
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