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बॉलीवुड में फ्लॉप होने पर डिप्रेशन में चले गए थे शरद मल्होत्रा, कैसे आए इस बुरे वक्त से बाहर, जानें उन्हीं से

शरद ने बताया कि करियर में असफलता का स्वाद चखने के बाद उन्होंने खुद को सबसे दूर कर लिया था। 

Ashu Kumar Das
Written by: Ashu Kumar DasUpdated at: May 26, 2023 20:08 IST
बॉलीवुड में फ्लॉप होने पर डिप्रेशन में चले गए थे शरद मल्होत्रा, कैसे आए इस बुरे वक्त से बाहर, जानें उन्हीं से

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टीवी एक्टर शरद मल्होत्रा इन दिनों अपने न्यू सॉन्ग 'दिल निसार हुआ' को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। जावेद अली द्वारा गाए गए इस गाने का फिलहाल सिर्फ 1 पार्ट ही दर्शकों के बीच रिलीज किया गया है। गाने के रिलीज होते ही शरद मल्होत्रा एक बार फिर लोगों के दिलों पर छा गए हैं। आज बेशक शरद मल्होत्रा करियर में कामयाबी के शिखर पर पहुंच चुके हों, लेकिन एक दौर था जब वह करियर को लेकर परेशान थे। दरअसल, छोटे पर्दे के टीवी शो 'बनूं मैं तेरी दुल्हन' में कामयाबी मिलने के बाद शरद मल्होत्रा ने बॉलीवुड में हाथ आजमाया था। हालांकि उन्हें वहां सफलता नहीं मिली और वह डिप्रेशन का शिकार हो गए। इस स्थिति से निकलने में शरद की मदद अध्यात्म और ध्यान ने की। आइए शरद से ही जानते हैं कि डिप्रेशन के बाद उन्हें कैसी परेशानियां हुईं और उन्होंने कैसे करियर में कम बैक किया।

शरद मल्होत्रा ने कहा, "बनूं मैं तेरी दुल्हन में एक्टिंग के बाद जब मुझे दर्शकों का बहुत सारा प्यार मिला, तो मुझको लगा कि मेरे लिए अब बड़े पर्दे पर जगह बन चुकी है। मैंने 2 बॉलीवुड फिल्मों 'सिडनी विद लव' और 'एक तेरा साथ' में काम किया है। दोनों फिल्मों से मुझको सुपर से भी ऊपर होने हिट होने की उम्मीद थी, लेकिन हुआ इसके विपरीत। मेरी दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बड़ी फ्लॉप साबित हुईं। इन फिल्मों के फ्लॉप होने की बात मैं अपने दिल और दिमाग से स्वीकार नहीं कर पा रहा था।" शरद ने आगे कहा, "बॉलीवुड में फ्लॉप होने के बाद ऐसा लग रहा था मेरे सारे सपने चकनाचूर हो चुके हैं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि अब क्या किया जाए। मुझको लोगों से मिलने, बातचीत करने और किसी भी तरह के असाइनमेंट का जिक्र अपने आसपास सुनने में एक अलग तक की चिढ़ महसूस हो रही थी।"

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खुद को किया सबसे दूर

शरद ने आगे बताया कि करियर में असफलता का स्वाद चखने के बाद उन्होंने खुद को सबसे दूर कर लिया था। वह परिवार और दोस्तों से भी मुलाकात करने में हिचकिचाहट महसूस करते थे। शरद कहते हैं, "मैंने बॉलीवुड में डेब्यू करने के बाद दोबारा टीवी पर आने की सोची भी नहीं थी। मुझको लगा था मैं किसी बड़े स्टार की तरह पर्दे पर राज करूंगा और करोड़ों लोगों का प्यार मुझे मिलेगा। हालांकि जब ऐसा नहीं हुआ तो मैं हर चीज से भागने लगा।" डिप्रेशन के दिनों को याद करते हुए एक्टर कहते हैं, "उन दिनों मेरे ऊपर क्या बीत रही थी यह मैं ही जानता हूं।" एक्टर ने कहा, "करियर में फ्लॉप होने और डिप्रेशन के गुजरते वक्त से खुद को निकालने के लिए मैंने अध्यात्म और ध्यान का सहारा लिया। इन चीजों ने न सिर्फ मुझको दोबारा खड़ा किया, बल्कि करियर में कमबैक करने में भी मदद की। मुझको करियर में वापसी करने में लगभग 4 साल का वक्त लगा, लेकिन अब मैं बहुत खुश हूं। अध्यात्म और ध्यान का रास्ता अपनाकर मैंने कई सारे चीजें सीखी हैं, जिनमें से एक है कि करियर में सफलता और विफलता लगी रहती है, पर आपको पेशेन्स से काम लेना आना चाहिए। 

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शरद मल्होत्रा की कहानी जानने के बाद अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे ध्यान और अध्यात्म किसी व्यक्ति की डिप्रेशन से निकलने में मदद कर सकते हैं? तो ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में आज हम ध्यान और अध्यात्म के जरिए कैसे डिप्रेशन और तनाव से छुटकारा पाया जा सकता है, इसके बारे में जानेंगे। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने दिल्ली के योग गुरु दीपक तंवर से बातचीत की।

डिप्रेशन से निकलने में मदद करता है ध्यान

योग गुरु दीपक तंवर ने कहा, "किसी भी इंसान के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि जीवन में उतार और चढ़ाव आते जाते रहते हैं। अगर आपके जीवन में हमेशा गिरावट ही आती है और आप इससे मानसिक तौर पर परेशान, दुखी और निराशा का अनुभव करते हैं, तो इससे छुटकारा पाने में ध्यान, अध्यात्म और योग आपकी मदद कर सकता है।" योग गुरु का कहना है कि ध्यान करते वक्त हमारी दिमाग और शरीर की मांसपेशियां रिलैक्स होने लगती हैं, जिससे फोकस बढ़ाने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, ध्यान शरीर के पैरासिम्पेथेटिक नरवस सिस्टम को भी रिएक्टिव करने में मदद करता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है।

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फोकस बढ़ाने के लिए कितनी देर ध्यान करना चाहिए?

योग गुरु का कहना है कि जो लोग मानसिक तौर पर किसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें प्रतिदिन 30 से 40 मिनट तक ध्यान करना चाहिए। ध्यान करने के दौरान एक मंत्र का उच्चारण करना चाहिए, ताकि दिमाग को रिलैक्स महसूस करवाया जा सके। वहीं, जो लोग फोकस बढ़ाने के लिए ध्यान करना चाहते हैं वह इस क्रिया को 15 से 20 मिनट भी कर सकते हैं।

जो लोग डिप्रेशन, एंजाइटी या किसी तरह की अन्य मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं उम्मीद करते हैं, वह ध्यान और अध्यात्म की मदद से इससे बाहर निकल पाएंगे। ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके साथ शेयर कर रहे हैं, ताकि आप हर परिस्थिति के लिए आप मानसिक तौर पर हमेशा तैयार रहें। इस सीरीज में हम आपके साथ टीवी, सोशल मीडिया और बड़े पर्दे के स्टार द्वारा फेस की गई मेंटल प्रॉब्लम्स और उन्होंने उससे कैसे छुटकारा पाया, इसके बारे में बताएंगे।

With Inputs: By Dr Jaya Sukul, Consultant- Clinical Psychology at Marengo Asia Hospitals, Sector 16, Faridabad NCR Pic Credit: Instagram

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