स्किन पर ऊभरी और गुलाबी गांठ हो सकती है इस बीमारी की निशानी, जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार

शरीर पर फोड़े-फुंसी होना बहुत ही सामान्य बात है। लेकिन इस समस्या को इग्नोर करना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।
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स्किन पर ऊभरी और गुलाबी गांठ हो सकती है इस बीमारी की निशानी, जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार


शरीर पर घाव-फोड़े फुंसी होना बहुत ही सामान्य समस्या है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए हम घरेलू उपाय अपनाकर ठीक करने की कोशिश करते हैं। लेकिन घरेलू उपायों से जब समस्या ठीक ना हो, तो यह एक गंभीर समस्या हो सकती है। स्किन पर होने वाली इन्हीं फोड़े-फुंसी की समस्या में से एक है एब्सेस (abscess), एब्सेस स्किन पर होने वाली उभरी और गुलाबी रंग की गांठ होती है। कभी-कभी यह गांठ गहरे लाल रंग की होती है। एब्सेस को आप छूकर भी आसानी से महसूस कर सकते हैं। स्किन केयर एक्सपर्ट डॉक्टर अभिनव सिंह का कहना है कि एब्सेस  एक तरह का स्किन पर होने वाला फोड़ा है, जिसके अंदर पस या मवाद भरा होता है। हमारे शरीर पर फोड़ा कहीं भी हो सकता है। लेकिन आमतौर पर यह आर्मपिट (एक्सिलिया), महिलाओं के प्राइवेट पार्ट के आसपास, रीढ़ की हड्डी के आसपास, आंखों के आसपास एब्सेस की परेशानी हो सकती है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-

एब्सेस के लक्षण? (Symptoms of Abscess)

  • यह एक काफी पेनफुल और लाल रंग की उभरी गांठ होती है। 
  • फोड़े-फुंसी बढ़ने से ऊपरी सिरा नुकीला हो जाता है। अगर यह सिरा खुल जाए, तो इससे पस निकलने लगता है। 
  • अगर इसकी सही से देखभाल ना की गई, तो इसका इंफेक्शन फैलने लगता है और शरीर में फैलने लगता है। 
  • अगर इंफेक्शन शरीर के अन्य टिश्यूज में फैलने लगता है, तो इससे आपको बुखार भी हो जाता है। 

शरीर के बाहरी हिस्से पर फोड़े होने से आप इसकी पहचान आसानी से कर सकते हैं। लेकिन अगर यह अंदर हो जाएं, तो लक्षणों के माध्यम से ही आप इसकी पहचान कर सकते हैं। इसके लक्षण निम्न हैं-

  • शरीर का तापमान बढ़ना
  • प्रभावित हिस्से पर दर्द महसूस होना। 
  • अस्वस्थ महसूस होना।

अगर आपके शरीर में इस तरह के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करेँ। 

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एब्सेस के कारण (causes of Abscess)

स्किन पर फोड़े या एब्सेस होना का कारण स्किन पोर्स का ब्लॉक होना होता है। दरअसल, जब ऑयल ग्लैंड और स्वेट ग्लैंड जब ब्लॉक हो जाता है, तो स्किन पर सूजन आने लगती है। ऐसे में जब ये बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं, तो शरीर की इम्यूनिटी पावर इन्हें मारने की कोशिश करते हैं। इसके कारण इंफ्लमेटरी रिएक्शन होता है, इसी तरह एब्सेस बनता है। एब्सेस के अंदर डेड सेल्स बैक्टीलिया, पस और मवाद इकट्ठे होने लगते हैं। जिसके कारण सूजन आ जाती है और दबाव पड़ने पर दर्द जैसा महसूस होता है।

एब्सेस का जोखिम (Risk factor of Abscess)

इम्यूनिटी कमजोर होने वाले लोगों को फोड़े-फुंसी होने की संभावना अधिक होती है। क्योंकि इनके शरीर में बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता कम होती है। 

  • क्रोहन रोग
  • किसी व्यक्ति को क्रोनिक स्टेरॉयड थेरैपी होती है, तो उन्हें फोड़े होने की संभावना होती है। 
  • डायबिटीज के रोगियों को
  • नशीली चीजों के सेवन से
  • पेरिफेरल वेस्क्युल डिसॉर्डर
  • अधिक मसाले युक्त आहार का सेवन करने वालों को 
  • गंदे वातावरण के संपर्क में आना
  • कैंसर होना
  • सिकल सेल की बीमारी होना
  • ल्यूकेमिया की शिकायत होना
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस
  • जलना महसूस होना
  • स्किन इंफेक्शन
  • पुअर हाइजीन और पुअर सर्क्युलेशन होने से व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है।

एब्सेस का निदान (Diagnosis of abscess)

एब्सेस का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मेडिकल हिस्ट्री जानने की कोशिश करते हैं, जिसमें वे आपसे निम्न सवाल कर सकते हैं-

  • कितने समय से आपको फोड़ा है?
  • क्या प्रभावित हिस्स पर कभी आपको चोट लगी है?
  • क्या आप इसके लिए किसी तरह की दवा ले रहें हैं? 
  • क्या आपको कोई अन्य बीमारी है? 
  • क्या आपको खाने की किसी चीज से एलर्जी है?
  • धूल-मिट्टी से एलर्जी है?
  • किन चीजों के संपर्क में आने से आपको यह समस्या हुई?

इन सलावों के बाद डॉक्टर आपके फोड़े की जांच करेंगे। इसके साथ-साथ यूरिन और मल टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर किडनी टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। 

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फोड़े का कैसे किया जाता है इलाज (Treatment of Abscess)

स्किन पर छोटे-छोटे फोड़े-फुंसी होना सामान्य होता है। ये अपने आप सिकुड़कर सूख जाते हैं। इसको किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती है। हालांकि कुछ मामलों में बिना इलाज के फोड़े-फुंसी ठीक नहीं हो पाते हैं। इस मामले में डॉक्टर सर्जरी करके फोड़े को साफ करने की सलाह देते हैं। 

सर्जरी करने के लिए डॉक्टर प्रभावित हिस्से को सुन्न करके फोड़े पर चीरा लगाकर उसकी सफाई करते हैं। अगर फोड़ा अधिक बड़ा होता है, तो आपको नींद की गोलियां दी जाती हैं। ताकि दर्द का अनुभव कम हो। इसके साथ ही प्रभावित हिस्से पर एंटीसेप्टिक सॉल्युशन लगाकर उस हिस्से की सफाई की जाती है। 


फोड़े को साफ करने के बाद उसपर पट्टी लगाई जाती है। इस पट्टी को 1 से 2 दिन के लिए रखा जाता है। इसके बाद डॉक्टर आपको देखभाल करने के लिए दिशा-निर्देश दे सकते हैं। दर्द से राहत पाने के लिए आपको पेनकिलर दिया जा सकता है। 

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