COVID-19: कोरोना से लड़ने में क्या कारगर हो सकती हैं ये 69 दवाएं? साइंटिस्ट ने की पहचान, अभी टेस्ट होना बाकी

COVID-19: सांइटिस्ट ने 69 दवाओं की पहचान की है, जो कोरोना से लड़ने में मदद कर सकती हैं। हालांकि अभी डब्लूएचओ ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
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 COVID-19: कोरोना से लड़ने में क्या कारगर हो सकती हैं ये 69 दवाएं? साइंटिस्ट ने की पहचान, अभी टेस्ट होना बाकी


एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोनावायरस की दहशत में जीने के लिए मजबूर है और कोई वैक्सीन या फिर उपचार नहीं मिल पा रहा है वहीं दूसरी तरफ भारतीय मूल के कुछ साइंटिस्टों सहित एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने ऐसी 69 दवाओं की पहचान की है, जो कोरोनावायरस से लड़ने में मदद कर सकती हैं। हालांकि अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इनकी पुष्टि नहीं की है। ये सभी अभी टेस्ट की जानी बाकी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुछ दवाएं पहले से ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के उपचार में ही प्रयोग हो रही है और नए टीके को विकसित करने के प्रयास की तुलना में कोरोना से जल्दी निपटा जा सकता है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ट्वीट कर लोगों से कोरोना के लिए हड़बड़ी या जल्दबाजी में किसी प्रकार की दवाई नहीं खरीदने की सलाह दी है। साथ ही ये भी कहा है कि कोई दवा विशेष रूप से कोरोना से बचाव नहीं कर सकती है। 

वेबसाइट  bioRxiv पर प्रकाशित इस नए अध्ययन में साइंटिस्ट ने कोरोनावायरस के 29 में  से 26 जीन का पताा लगाया है,  जो सीधा वायरल प्रोटीन का उत्पादन करते हैं। वेबसाइट में प्रकाशित इस अध्ययन की भी पुष्टि खुद वेबसाइट ने भी नहीं की है। 

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के क्वांटेटिव बायोसाइंस इंस्टीट्यूट की कम्युनिकेशन एंड इवेंट की सहायक निदेशक जीना टन्गूवेन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि टीम ने एक अलग रुख अपनाया है। टीम वायरस के बनाने वाले प्रोटीन को निशाना बना रही है न कि वायरल प्रोटीन को। मानव कोशिकाओं में कोरोना के 29 वायरल प्रोटीन में से 26 का अध्ययन किया गया ताकि ये पता लगाया जा सके कि वे किन प्रोटीन के साथ संपर्क में आते हैं। 

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यूसीएसएफ के शोधकर्ता अदाविट सुब्रमणियन, श्रीवत्स वेंकटरमानन और ज्योति बत्रा का कहना है कि अध्ययन में पाया गया कि करीब मानव शरीर में पाए जाने वाले 332 प्रोटीन कोरोना के प्रोटीन के संपर्क में आते हैं।  ये वहीं प्रोटीन हैं, जिन्हें वायरस अपना शिकार बनाता है और अब तक करीब 21 हजार लोगों को मौत के घाट उतार चुका है और दुनियाभर में 4,71,000 लोगों को संक्रमित बना चुका है। 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ये वायरस बार-बार बनता रहता है और लोगों में संक्रमण फैलाता रहता है।

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जीना टी न्गूवेन ने बताय कि ऐसी 69 दवाओं की पहचान की गई है, जो इन प्रोटीन को निशाना बना सकती है और इनमें से 25 को पहले से ही अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिन्सट्रेशन से मंजूरी प्राप्त है। इसके साथ ही इनका प्रयोग बाहर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पहचान की गई दवाओं में रुछ ऐसी हैं, जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज, कैंसर और हाइपरटेंशन जैसी स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में सफलता पूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। 

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शोधकर्ताओं ने बताया कि कुछ वायरस प्रोटीन ऐसे  होते हैं, जो एक मानव प्रोटीन को निशाना बनाते हैं जबकि कुछ में दर्जनों सेल प्रोटीन को निशाना बनाने की काबिलियत होती है। उन्होंने बताया कि फिलहाल कोई भी ऐसी एंटी-वायरल दवा और न ही कोई टीका है, जो कोरोना की रोकथाम में प्रभावी साबित हुआ है। 

टीम ने अपने लिखे पत्र में कहा कि दुर्भाग्यवश साइंटिस्ट समुदाय के पास कोरोना संक्रमण के मॉलिक्यूलर विवरण की जानकारी बहुत कम है। 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, वायरस संक्रमण की मध्यस्थता करने वाले वायरस कारकों की पहचान कोरोना वायरस के खिलाफ व्यापक रूप से एंटीवायरल थेरेपी विकसित करने के लिए प्रभावी आणविक लक्ष्यों में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।

सोर्स (पीटीआई)

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