डायबिटीज के इलाज में रुकावट पैदा कर सकते हैं ये 5 मिथ, जानें इनसे बचाव का तरीका

भारत को विश्व का डायबिटीज केपिटल के रूप में भी देखा जाने लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां लाखों लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं या इसका अच्छे से इलाज नहीं करवा पा रहे। डायबिटीज को रोकने के लिए जरूरी ये भी है लोग अपने डॉक्टर पर भरोसा करें और किसी भी तरह के मिथकों पर भरोसा करने से बचें।
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डायबिटीज के इलाज में रुकावट पैदा कर सकते हैं ये 5 मिथ, जानें इनसे बचाव का तरीका


मधुमेह सबसे आम और पुरानी लाइफस्टाइल बीमारियों में से एक है, जिससे आज भारत के लाखों लोग पीड़ित हैं। डायबिटीज आपको तब होती है जब आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अध्याधिक मात्रा में बढ़ जाती है। ब्लड शुगर हमारे शरीर का ऊर्जा स्रोत है और मुख्य रूप से आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से आता है। ग्लूकोज जो भोजन के माध्यम से लिया जाता है और तुरंत उपयोग नहीं किया जाता है, तब उसे संग्रहित रूप में पेनक्रियाज इंसुलिन नामक हार्मोन द्वारा ग्लाइकोजन और फैट के रूप में बदल देता है। इंसुलिन की अनुपस्थिति में इन दोनों प्रक्रियाओं से ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज ब्लड में सर्कुलेट हो जाता है और एक स्तर पर आकार व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित हो जाता है। अच्छी बात ये है कि आज डायबिटीज को लेकर लोग जागरूक हो गए हैं और अपने जीवनशैली पर ध्यान देने लगे हैं। पर कुछ लोगों में डायबिटीज से जुड़े कुछ मिथक भी हैं। आइए हम आपको ऐसे पांच मिथकों और इनके पीछे के तथ्यों के बारे में बताते हैं। 

Inside_myths about diabetes

मिथक 1 : अधिक वजन वाले लोगों को ही टाइप 2 डायबिटीज होता है

सामान्य तौर पर, लोग मानते हैं कि केवल वे लोग जिनका वजन अधिक है उन्हें ही डायबिटीज होता है। लेकिन ये पूरू तरह से गलत है। सच्चाई ये है कि लगभग 20% आबादी, जिन्हें मधुमेह है वे सामान्य वजन या कम वजन के लोग हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें खाने-पीने से कोई मतलब नहीं है पर उन्हें डायबिटीज है। ऐसे लोगों में डायबिटीज के कई अनुवांशिक कारण भी होते हैं। इसके अलावा लोगों को लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के अलावा कई और तरह की परेशानियां होती हैं, जिसके कारण भी उन्हें डायबिटीज हो जाता है। 

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मिथक 2 : डायबिटीक लोगों को चावल खाने से बचना चाहिए

यह मधुमेह के बारे में सबसे आम मिथकों में से एक है, कि इस स्थिति वाले लोगों को केवल चावल रहित आहार का पालन करना चाहिए। लेकिन वास्तव में ये सही नहीं है। दरअसल लोगों को एक संतुलित आहार लेने कि जरूरत है  जिसमें ज्यादा कार्बोहाइड्रेट के स्रोत शामिल न हो। हालाँकि ब्राउन राइस, गेहूं और बाजरा जैसे कार्बोहाइड्रेट के वैकल्पिक स्रोतों में एक बेहतर ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है (ग्लूकोज सामग्री के टूटने और पचने में आसानी) इसलिए डायबिटीज के मरीज इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। ये जरूरी नहीं कि वे पूरी तरह से चावल खाना बंद कर दें बस वो इसकी मात्रा का ख्याल रखें। वहीं कार्बोहाइड्रेट के सभी रूपों को प्रोटीन, फैट और सब्जियों के स्वस्थ अनुपात के साथ कम मात्रा में खाया जाना चाहिए। इसके लिए डायबिटीज के मरीज को इसे छोटे भागों में फलों और सब्जियों के रूप में लेना चाहिए, ताकि शरीर को आवश्यक खनिज और विटामिन भी प्राप्त हो। 

मिथक 3 : डायबिटीज की दवा किडनी को नुकसान पहुंचाती है

यह एक सामान्य गलतफहमी है, जिसके कारण डायबिटीज के कई मरीज दवाइ खाने से बचते हैं। रोगियों को लगता है कि डायबिटीज की दवा नहीं खाने से उनके किडनी को कम नुकसान होगा। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। अगर आप डायबिटीक हैं और दवाई नहीं खा रहे हैं तो ये मधुमेह को अनियंत्रित कर सकती है और आगे चलकर आंख, गुर्दे और हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप वक्त पर दवा का उपयोग करें। साथ ही आपको इस बात का भरोसा रखना चाहिए कि चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली सभी एलोपैथिक दवाएं अच्छी तरह से परखा जाता है और तब इसे रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपयोग करने की अनुमति दी जाती है। तो इसलिए अपने डॉक्टर द्वारा सुझाई गई खुराक पर भरोसा करें और टाइम से दवा लें।

मिथक 4: आहार और व्यायाम से ही डायबिटीज ठीक हो सकता है

हालांकि नियमित व्यायाम के साथ कार्बोहाइड्रेट में कम स्वस्थ आहार ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है पर डायबिटीज को ठीक नहीं कर सकता। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मधुमेह एक बीमारी की स्थिति है, जिसके परिणामस्वरूप इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है और शरीर शुगर को पचा नहीं पाता है। इसलिए आहार और व्यायाम के साथ डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवा की हमेशा एक मुख्य भूमिका होती है। इन दवाओं की मदद से ही शरीर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर पाता है और इससे व्यक्ति को अन्य नुकसान कम होता है।

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मिथक 5 : टाइप 2 डायबिटीज उतना खतरनाक नहीं होता

एक और आम मिथक है कि लोग टाइप 2 मधुमेह के लक्षणों या दवा को नजरअंदाज करते हैं। वास्तव में, यह सच नहीं है। वास्तव में, मधुमेह का कोई भी रूप कम हानिकारक नहीं है। यदि इस प्रकार की मधुमेह को बिना दवाइयों के यूं ही छोड़ दिया गया, तो यह गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकती है। लेकिन, एक संतुलित आहार का पालन करके और शरीर में शुगर लेवल की जांच करके निश्चित रूप से डायबिटीज के प्रभाव को कम किया जा सकता है और शरीर को होने वाले अन्य खतरों से भी बचाया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि डायबिटीज से जुड़े इन तथ्यों को अपने मन में न रखें और डायबिटीज का सही तरीके से इलाज करवाएं।

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