व्यक्ति का स्मार्टफोन से जुड़ाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत आज की युवा पीढ़ी में साफ दिखाई दे रहा है। इससे न सिर्फ युवा बल्कि बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। स्मार्टफोन अभी तक तो लोग जरूरत पर ही इस्तेमाल करते थे। लेकिन सस्ते इंटरनेट की वजह से लोग स्मार्टफोन के और करीब आ गए हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, यूजर का रोजाना लगभग 6 घंटे का समय स्मार्टफोन पर जाता है। इसकी बढ़ती लत ने स्मार्टफोन को बेडरूम में पहुंचा दिया है। लोग फोन का इस्तेमाल करते-करते सो जाते हैं। या यूं कहें कि अब लोग फोन को साथ रखकर सोने लगे हैं।
सोने से पहले लोग घंटों स्मार्टफोन पर चैटिंग या वीडियो देख रहे होते हैं। इसका असर हमारी आंखों और मस्तिष्क पर सबसे ज्यादा पड़ता है। ब्रिटेन समेत दुनिया की कई युनिवर्सिटी के अध्ययन में मोबाइल फोन और उससे उत्सर्जित होने वाली रेडिएशन के खतरों पर रिपोर्ट तैयार की है जिसमें इसके भयावाह परिणाम सामने आने के संकेत दिए गए हैं। हम आपको इस लेख में स्मार्टफोन से होने वाली उन समस्यओं के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों ने भी पुष्टि की है।
नपुंसकता का खतरा
वर्ष 2014 में प्रकाशित ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी के शोध में स्मार्टफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरणों का नपुंसकता से सीधे संबंध पाया गया था। शोधकर्ताओं ने ये संकेत देते हुए कहा था कि पैंट की जेब में स्मार्टफोन रखने से पुरुषों में न सिर्फ शुक्राणुओं की कमी होने की संभावना होती है बल्कि अंडाणुओं को निषेचित करने की उसकी क्षमता कमजोर पड़ने लगती है, जिससे पुरुषों में नपुंसकता का खतरा हो सकता है।
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कैंसर का खतरा
इंटरनेशनल कैंसर रिसर्च एजेंसी ने स्मार्टफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरणों को संभावित कार्सिनोजन (कैंसरकारी तत्वों) की श्रेणी में रखा है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि स्मार्टफोन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने से मस्तिष्क और कान में ट्यूमर पनपने का खतरा बन सकता है, जो आगे चलकर कैंसर का भी रूप ले सकता है।
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फोन फटने का खतरा
अक्सर खबरों में कई बार फोन फटने या आग लगने की बात देखने और सुनने को मिलती है, जिससे लोग घायल भी होते हैं। कई बार फोन के विस्फोट होने से हाथ, पैर या फेस पर गंभीर चोटें आने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में फोन को दूर रखकर सोएं। चार्ज करते समय फोन से दूर रहें।
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नींद न आने की समस्या
साल 2017 में इजराइल एक यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया गया था। जिसके मुताबिक, स्मार्टफोन को सोने से 30 मिनट पहले ही बंद कर के रख दें, जिससे अच्छी नींद पूरी की जा सके। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कंप्यूटर और टीवी की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी स्लीप हार्मोंस मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकता है। इससे व्यक्ति को न सिर्फ सोने में दिक्कत आती है, बल्कि सुबह उठने पर थकान, कमजोरी और भारीपन की शिकायत भी हो सकती है।
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