आपका शरीर बन जाएगा बीमारियों का घर अगर बिगड़ गया इन 3 हार्मोन का संतुलन, जानें होने वाली परेशानियां

Hormone Imbalance:  आपके शरीर को स्वस्थ रखने में हार्मोन काफी मदद करते हैं लेकिन जब ये हार्मोन अंसतुलित हो जाते हैं तो आप कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसलिए हमेशा इन हार्मोन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। 
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आपका शरीर बन जाएगा बीमारियों का घर अगर बिगड़ गया इन 3 हार्मोन का संतुलन, जानें होने वाली परेशानियां


क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप कोई जरूरी काम कर रहे हों और अचानक आपको चक्कर आने लगे या फिर आप कुछ भूल गए हों? या फिर अचानक थोड़ी देर के लिए आपका सिर घूमने लगे और आपकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया हो?  आम भाषा में इसे 'ब्रेन फॉग' कहा जाता है, जो कहीं भी और कभी भी हो सकता है।  ब्रेन फॉग एक ऐसी स्थिति है, जिससे भ्रम, ध्यान भटकना, मन विचलित रहना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जब भी आपके साथ ऐसा होता है तो आपकी कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है और आप मन लगाकर काम नहीं कर पाते। ऐसा होने के पीछे का एक प्रमुख कारण है हार्मोन असंतुलन। जब आपके हार्मोन संतुलन में होते हैं, तो आप बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं, लेकिन जब इनमें अंसतुलन हो जाता है, तो यह आपके पूरे शरीर के कार्य को प्रभावित कर देते हैं। इसलिए आपको अक्सर शरीर के इन 3 हार्मोन स्तरों पर हमेशा ध्यान देने के लिए कहा जाता है। यह तीनों हार्मोन आपके शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इनका संतुलन में रहना ही आपको स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। 

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थायराइड

थायराइड का कम स्तर आपके मस्तिष्क के कामकाज में बाधा पैदा कर सकता है। तितली के आकार का थायराइड अंग जब पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता है, तो यह स्पष्ट रूप से भूलने की बीमारी और अन्य परेशानियों का कारण बन सकता है। थायराइड का स्तर कम होने के कारण मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता धीमी हो जाती है और आपके मस्तिष्क चीजों को याद रखने में भी कम सक्रिय रह पाता है। थायराइड स्तर में असंतुलन से संज्ञानात्मक हानि, वजन बढ़ने, कमजोरी, अवसाद और चिड़चिड़ेपन का कारण बन सकता है।

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कोर्टिसोल

हर कोई कभी न कभी किसी समय में  उदास और तनावग्रस्त जरूर महसूस करता है, लेकिन अगर ऐसा रोजाना होने लगे तो आप तनाव का शिकार हो चुके हैं। बहुत अधिक तनाव में रहने से कोर्टिसोल हार्मोन का उत्पादन होता है, जो आपको ब्रेन फॉग की ओर ले जाता है। आपका कोर्टिसोल स्तर अच्छी तरह से संतुलित होना चाहिए क्योंकि तनाव हार्मोन की अधिकता और कमी दोनों ही आपके समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। तनाव हार्मोन में अंसतुलन भी चिंता, अवसाद और याददाश्त संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसके अलावा, यह माइटोकॉन्ड्रिया (सेल का पावरहाउस) को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे आप कमजोर और थका-थका महसूस करते हैं।

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एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टिन

40 साल के आसपास की महिलाओं में ब्रेन फॉगिंग एक आम बात है। यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण होता है। इन दोनों हार्मोनों में उतार-चढ़ाव आपके लिए अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने को मुश्किल बना सकता है। हार्मोनल असंतुलन यहां तक कि वजन बढ़ने, मूड में बदलाव, रात को पसीना आना और यौन इच्छा में कमी जैसे अन्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।

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