कहीं दिल्ली का प्रदूषण सड़ा न दे आपके दांत, इन 3 तरीकों से करें अपने दांतों की देखभाल

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) की रिपोर्ट बताती है कि प्रदूषण न केवल हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह हमारे दांतों को भी सड़ाने का काम करता है। एक्सपर्ट से जानें दांतों की देखभाल के टिप्स।
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कहीं दिल्ली का प्रदूषण सड़ा न दे आपके दांत, इन 3 तरीकों से करें अपने दांतों की देखभाल

दिवाली बीतने के बाद पूरा दिल्ली-एनसीआर धुंध से घिर गया है। पर्यावरण रक्षा की तमाम कोशिशों, अपीलों के बावजूद पटाखे छोडे़ गए। केन्द्र सरकार के सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) की रिपोर्ट बताती है कि दिवाली के अगले दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 506 के अंक पर पहुंच गया जो कि गंभीर श्रेणी में आता है। प्रदूषण का बढ़ता स्तर न केवल लोगों के समग्र स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि उनके शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान भी पहुंचाता है। प्रदूषण न केवल हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह हमारे दांतों को भी सड़ाने का काम करता है। क्लोव डेंटल के ओएमआर डेंटिस्ट डॉ. पुनीत अहूजा प्रदूषण से दांतों को पहुंचने वाले नुकसान और उससे बचने के तरीके के बारे में बता रहे हैं। आप डॉ. पुनीत के बताए सुझावों के साथ बढ़ते प्रदूषण में भी अपने दांतों को सड़ने से बचा सकते हैं।

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लोगों को घरों के भीतर रहने की दी सलाह

इस रिपोर्ट के चलते लोगों को भीतर रहने की सलाह दी गई है। यह तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि प्रदूषण की वजह से सांस और त्वचा की समस्याएं हो सकती हैं लेकिन हमें यह नहीं मालूम की प्रदूषण की वजह से हमारे मौखिक स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।

पटाखों की विषैली गैस से दांत होते हैं खराब

आतिशबाजी में हमें इतने आकर्षक रंग इसलिए दिखाई देते हैं क्योंकि बारुद में कॉपर, कैडमियम, सल्फर, ऐल्युमीनियम और बैरियम होता है। इनके जलने से विषैली गैसें निकलती हैं। ये ज़हर हवा और पानी, दोनों में घुलमिल जाता है और आगे चलकर यह प्रदूषण खानेपीने की चीजों के जरिए मानव शरीर में प्रवेश कर जाता है और जिसका नतीजा दांतों की खराबी के रूप में होता है। यहां तक कि प्रदूषित हवा के सीधे सम्पर्क में आने से भी मौखिक स्वास्थ्य खराब होता है, जिससे दांतों की ऊपरी परत (ऐनामल) क्षतिग्रस्त हो जाती है इस कारण दांत सड़ने लगते हैं।

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छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटने लगते हैं दांत

क्लोरीन एक प्रमुख प्रदूषक है जो दांतों में पिगमेंटेशन की वजह बनता है। यह ऐनामल को नाज़ुक कर देता है जिससे दांत छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में टूटने लगते हैं। अगर किसी इलाके में हवा और पानी पर प्रदूषण जम कर बैठा रहे तो उसका मौखिक सेहत पर बहुत चिंताजनक असर होता है इससे न केवल मसूड़ों की बीमारियां और दांतों का गिरना हो सकता है बल्कि मुंह का कैंसर तक हो सकता है।

गर्भवती महिलाओं को रहना चाहिए दूर

यदि कोई गर्भवती स्त्री प्रदूषण के सम्पर्क में आ जाए तो गर्भ में मौजूद बच्चे के मौखिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है क्योंकि प्रदूषण के चलते दांतों को आवश्यक खनिज नहीं मिल पाते और हाइपोडोंटिया भी हो सकता है यानी दांतों की संख्या कम हो जाना। दाढ़ का दांत देरी से निकलना भी इसी का असर है।

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लोगों को जागरूक किए जाने की जरूरत

प्रदूषण के प्रभावों से बचाने के लिए हमारे पास बहुत से उपाय हैं लेकिन इस पहलू पर मौखिक स्वास्थ्य पर सबसे कम ध्यान दिया जाता है। काबिले गौर है कि मजबूत दांत होने का मतलब है कि आपका समग्र स्वास्थ्य अच्छा है। लोगों को जागरुक करने तथा मौखिक स्वास्थ्य के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है।

इन तरीकों से करें दांतों की देखभाल

प्रदूषण के खराब असर से सुरक्षा पाने के लिए तब तक बाहर जाने से परहेज करना चाहिए जब तक ’एयर क्वालिटी इंडेक्स’ में सुधार न हो जाए। दांतों के लिए कुछ सरल उपाय हैं जिन पर जरूर अमल करना चाहिए-

  • दिन में दो बार दांत ब्रश करें। 
  • नियमित अंतराल पर पानी से कुल्ले करें। 
  • दांतों की ठीक से फ्लॉसिंग करना।

हालांकि अपना ध्यान खुद रखना ही सबसे अच्छी देखभाल होती है लेकिन दीवाली के बाद संपूर्ण ओरल चैकअप के लिए एक बार डेंटिस्ट के पास जरूर जाएं।

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