
आपको अचानक ज्यादा भूख लगने लगी है तो आपके शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ रहा है। कोर्टिसोल हार्मोन के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
कोर्टिसोल मानव शरीर में बहुत ही अहम हार्मोन है। इसे तनाव यानी स्ट्रेस हार्मोन भी कहते हैं। इसकी शरीर की कई क्रियाओं में अहम भूमिका होती है। कोर्टिसोल की ज्यादा और कम मात्रा दोनों ही नुकसानदायक होती है। यह शरीर की क्रियाओं पर सीधा असर डालता है। लंबे समय तक शरीर में कोर्टिसोल की ज्यादा मात्रा बने रहने पर यह खतरनाक भी हो सकता है।शरीर में ज्यादा मात्रा में कोर्टिसोल होने पर तनाव के साथ ही मोटापा भी बढ़ता है। इसकी मौजूदगी शरीर में ऊर्जा के संचार को भी प्रभावित करती है। कोर्टिसोल शरीर में ग्लूकोज रिलीज होने के साथ ही फैट और एमिनोएसिड को भी संतुलित रखता है। यदि आप ज्यादा तनाव लेकर जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं या फिर तनाव का सामना कर रहे हैं तो साफ है कि कोर्टिसोल आपकी जिंदगी पर लंबे समय के लिए असर डाल रहा है। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे हैं कोर्टिसोल हार्मोन के बारे में विस्तार से।
आखिर क्या है कोर्टिसोल
कोर्टिसोल एक स्टेरॉइड है और यह तनाव का शुरूआती हार्मोन है। इसका उत्पादन अंत: स्रावी प्रणाली में होता है। कोर्टिसोल का स्राव अधिवृक्क ग्रंथियों के माध्यम से होता है। अधिवृक्क ग्रंथियां किडनी के पास स्थित होती हैं। इसे स्ट्रेस यानी तनाव हार्मोन भी कहते है। शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर 24 घंटे में ही कम और ज्यादा हो जाता है।
कई बार रात में सोने के दौरान इसका निम्न स्तर होता है और सुबह उठने तक यह धीरे-धीरे बढ़ जाता है। सुबह में कोर्टिसोल की ज्यादा मात्रा होने पर पूरे दिन इसकी गिरावट का सिलसिला बना रहता है। इसकी आदर्श स्थिति यही होती है कि आपके शरीर का कोर्टिसोल लेवल न तो स्थिर हो, न उच्च और न ही कम होना चाहिए। इसका घटना- बढ़ना एक सामान्य क्रिया है।
कोर्टिसोल और मोटापे के बीच संबंध
शरीर का लगातार ज्यादा मात्रा में कोर्टिसोल उत्पन्न करना नुकसानदायक होता है। आमतौर पर शरीर में सुबह के समय कोर्टिसोल की ज्यादा मात्रा और शाम के समय कम मात्रा होती है। यह प्रक्रिया शरीर के हिसाब से बदल भी सकती है। कोर्टिसोल शरीर में ऊर्जा के संचार में भी सहायक है। कोर्टिसोल की मौजूदगी शरीर में कार्बोहाइड्रेट और फैट को प्रभावित करती है। यह शरीर में इन्सुलिन रिलीज करने में भी सहायक होता है। इसकी अंदरूनी गतिविधियां भूख को बढ़ाती है।
शरीर में लंबे समय तक कोर्टिसोल की अधिक मात्रा बने रहने पर भूख का ज्यादा अहसास होता है। तनाव में होने पर कोर्टिसोल के कारण ब्लड शुगर का लेवल बढ़ता है। तनाव के दौर से गुजर जाने के बाद भी ब्लड शुगर का उच्च स्तर बना रहता है। ग्लूकोज की ज्यादा मात्रा होने पर मोटापा बढ़ने लगता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन व्यक्तियों में कोर्टिसोल के कारण मोटापे की समस्या होती है, उनके शरीर के अन्य अंगों के मुकाबले पेट पर ज्यादा चर्बी होती है। शरीर में कोर्टिसोल की ज्यादा मात्रा होने पर और भी समस्याएं हो सकती हैं। जो कि निम्नलिखित हैं।
- दिल संबंधी रोग
- उदासी बने रहना
- अल्जाइमर रोग
- डायबिटीज
- तनाव बना रहना
कोर्टिसोल बढ़ने के लक्षण
कोर्टिसोल हार्मोन की उचित मात्रा शरीर की पाचन क्रिया के साथ ही ब्लड शुगर, फैटी एसिड और प्रोटीन को मेनटेन रखती है। कई ऐसे लक्षण हैं जिनसे आप पता लगा सकते हैं कि शरीर में कोर्टिसोल की मात्रा बढ़ रही है।
- खाना खाने की ज्यादा इच्छा होना
- तेजी के साथ वजन का बढ़ना
- शरीर की फैट बढ़ना
- हड्डियों का घनत्व कम होना
- जल्दी-जल्दी मूड बदलना यानी चिड़चिड़ापन और गुस्सा
- चिंता और तनाव का बढ़ जाना
- सेक्स में रूचि घटना
- पाचन तंत्र का सही से काम न करना
- याददाश्त कम होना
- अनियमित मासिक धर्म
- उच्च रक्तचाप
- शरीर में आलस्य का बना रहना
- अक्सर सिरदर्द की समस्या रहना
- छाले होना
- थकान महसूस होना
Read More Articles On Weight Gain In Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।