हम दांतों से अपना भोजन चबाते हैं, लेकिन कभी-कभार ही ऐसा होता है, जब हमारी जीभ दांतों के बीच आती है। कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि 32 दांतों के बीच रहते हुए भी हमारी जीभ को कोई क्षति क्यों नहीं पहुंचती। जीभ दांतों की चक्की चलते हुए भी सेफ कैसे रह जाती है। आखिर बिना हड्डी की यह नरम सी कोशकीय संरचना कैसे दिन भर खतरे में रहने के बाद भी बिना किसी नुकसान के रह लेती है।
अब शोधकर्ताओं ने इस समस्या का हल तलाशने का दावा किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मस्तिष्क के विद्युत परिपथ तंत्र के कारण हमारी जीभ दांतों के बीच भी सुरक्षित रहती है।
शोधकर्ताओं ने कहा है कि जबड़े और जीभ की मांसपेशियों की गतिविधियों को मोटोन्यूरॉन्स नाम की एक खास तंत्रिका नियंत्रित करती है। और इस पूरी प्रक्रिया को एक अन्य तंत्रिका प्रीमोटर न्यूरॉन्स द्वारा नियंत्रित किया जाता है। लेकिन, इस पूरी प्रक्रिया के असल संबंधों को अभी समझा जाना बाकी था। यह अभी तक पता नहीं चल पाया था कि आखिर क्या है, जो प्रीमोटर न्यूरॉन्स को मोटोन्यूरॉन्स से जोड़ता है। इस शोध के मुख्य शोधकर्ता एडवर्ड स्टेनक चतुर्थ का कहना है कि चबाना ऐसी गतिविधि है, जिसे आप अपनी मर्जी से नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन लोग अगर इस पर ध्यान देना बंद कर दें, तो मस्तिष्क के ये आपस में जुड़े हुए न्यूरॉन्स उसके लिए यह काम कर सकते हैं।
इस शोध में यह भी कहा गया है कि मुंह की मांसपेशियों की गतिविधियों को समझने की दिशा में यह एक छोटा सा कदम भर है। जब भी हम कुछ खाते या पीते हैं, तो आमतौर पर यही समझा जाता है किे इसके पीछे केवल दो मांसपेशीय गतिविधियां शामिल हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं है। हमारे खाने-पीने और यहां तक कि बोलने के पीछे कम से कम दस अन्य मांसपेशियां काम करती हैं।