किशोर गर्भावस्था को शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से ठीक नही समझा जाता है। जब किशोरियां 19 वर्ष से कम आयु में गर्भवती होती हैं तब उसे टीनेज प्रेग्नेंसी यानी किशोर गर्भावस्था कहते हैं।
कम उम्र में किशोरियां मानसिक और शारीरिक रुप से बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं होती हैं, ऐसे में उनके सामने कई जटिलायें आती हैं। किशोर गर्भावस्था में गर्भपात, समय पूर्व प्रसव होने की ज्यादा संभावना होती है। इसके अलावा बच्चा कम वजन का, मानसिक रूप से अस्वस्थ भी हो सकता है। आइए हम आपको किशोर गर्भावस्था से जुड़ी कुछ अनजानी बातों की जानकारी देते हैं।
किशोर गर्भावस्था और समस्यायें
स्वास्थ्य लिए नुकसानदेह
प्रजनन स्वास्थ्य के अनुसार 19 साल से कम उम्र की महिला द्वारा बच्चे को जन्म देना मां और नवजात शिशु दोनों के लिये खतरनाक हो सकता है। हमारे देश में उच्च मातृ-मृत्यु दर तथा उच्च शिशु मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है किशोर गर्भावस्था। इसके पीछे सबसे ज्यादा जिम्मेदार बाल विवाह हैं।
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व्यक्तिगत विकास
किशोर गर्भावस्था दौरान मां शारीरिक और मानसिक रूप से नयी जिम्मेदारी उठाने के काबिल नही हो पाती है। छोटी उम्र में मां बनने से जीवन की सारी योजनाएं प्रभावित होती हैं चाहे वह शिक्षा हो, रोजगार हो या फिर भविष्य की अन्य योजनायें हों। पढ़ने-लिखने की उम्र में मां बनने से वे आगे नही आ पाती हैं।
पोषण में कमी
गर्भावस्था के दौरान ज्यादा पोषण की आवश्यकता है, यदि पर्याप्त पोषण न दिया जाये तो मां के साथ बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। एक आंकडे के अनुसार, प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण होने वाले मृत्यु में समान्य महिलाओं की अपेक्षा 15 से 19 साल की किशोरियों की संख्या दोगुनी तथा 10 से 14 साल के किशोरियों की संख्या पांच गुनी तक है।
शरीर की लंबाई और वजन
जो लड़कियां किशोरावस्था में गर्भवती होती हैं और उनका शारीरिक भार 38 किग्रा से कम और ऊंचाई 145 सेमी से कम है तो उन्हें गर्भावस्था के दौरान ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इस स्थिति में उनका शारीरिक विकास हो रहा होता है। उनके कमर की श्रोणिय हड्डियां अभी पूरी तरह विकसित नहीं रहती जिससे प्रसव के समय बाधा उत्त्पन हो सकती है जो बच्चे और मां दोनो के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
शिशु का वजन
किशोर मां का प्रसव के दौरान कम वजन के बच्चे के होने की संभावना ज्यादा होती है। अगर शिशु का जन्म के समय वजन 2500 ग्राम से कम होता है तो उसे कम भार का शिशु माना जाता है। लेकिन 20 साल से कम उम्र में गर्भवती होने के दौरान ज्यादातर बच्चे का वजन कम होता है। किशोर गर्भवतियों द्वारा समयपूर्व प्रसव होने की ज्यादा संभावना होती है।
गर्भपात और संक्रमण
किशोरावस्था में गर्भधारण के बाद गर्भपात की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा प्रसव संबंधी समस्याओं के कारण किशोरियों को संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। उस स्थिति में यह खतरा और भी बढ़ जाता है जब प्रसव चिकित्सकों की देख रेख के बिना सही जगह पर प्रसव न कराया गया हो। इस दौरान टेटनस और वैक्टीरिया जनित संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
किशोरावस्था मे प्रसव के बाद भी महिला को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्यायें होती हैं। प्रसूतिकालीन प्रसव पीड़ा, स्थायी रुप से प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा गर्भाशय का फटना, संक्रमण, प्रसूति संबंधी समस्याएं आदि हमेशा के लिए हो सकती हैं।
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