गर्भावस्‍था से पूर्व परीक्षण कराने से जटिलताओं पर पा सकते हैं नियंत्रण

गर्भावस्था से पहले किये जानें वाले परीक्षणों से गर्भधारण में हो सकने वाली किसी प्रकार की समस्या का पता चलता है। इस लेख को पढ़ें और अधिक जानें।
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गर्भावस्‍था से पूर्व परीक्षण कराने से जटिलताओं पर पा सकते हैं नियंत्रण

गर्भावस्था से पहले कई प्रकार की जांच आवश्यक होती हैं। इन जांचों की सहायता आपके गर्भधारण की क्षमता व पुष्टी आदि की जानकारी मिलती है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं गर्भावस्‍था से पूर्व की जाने वाले परिक्षण और देखभाल के बारे में।   

garbhavastha se purva parikshan aur dekhbhal

गर्भावस्था से पहले किये जाने वाले परीक्षणों से बर्थ कैनाल की किसी प्रकार की असमान्यता, वृद्धि या संक्रमण का पता चलता है। आर एच फैक्टर की जांच के लिए यदि आपका रक्त आर एच निगेटिव है तो यह प्रसव के दौरान मुश्किलें बढा सकता है। ऐसे में आपको उपयुक्त इलाज की आवश्यकता होती है।

गर्भधारण होने की पुष्टी करने के लिए गर्भ परीक्षण कराया जाता है। इस परिक्षण में रक्त अथवा मूत्र में उस विशिष्ट हॉरमोन को जांचा व परखा जाता है जो गर्भवती होने पर ही महिला में होता है। इस गर्भ हारमोन को ह्यूमक कोरिओनिकॉ गोनाडोट्रोपिन अर्थात (एचसीजी) कहते हैं। जब अण्डा गर्भाषय से जुड़ जाता है तो महिला के शरीर में एच सी जी नामक गर्भ हॉरमोन बनता है। सामान्यतः गर्भधारण के छह दिन बाद ऐसा होता है।

 

एचसीजी जांच किट

इससे मिलता जुलता ही एक परिक्षण है 'गृह गर्भ परीक्षण'। यह परिक्षण खुद ही घर पर किया जा सकता है। इस परिक्षण को करने के लिए इसकी कीमत 40 से 50 रुपये तक होती है। इस टेस्ट के करने के लिए महिला को एक साफ शीशी में अपना 5 मिली मूत्र लेना होता है और परीक्षण के लिए किट में दी गयी जगह में दो बूंद मूत्र डालना होता है। उसके बाद कुछ मिनट तक इन्तजार करना होता है। इस परिक्षण के लिए बजार में कई कंपनियों की किट मिलती हैं। इस लिए ही अलग-अलग ब्रांड के किट में करिक्षण के इन्तजार का समय अलग अलग होता हैं। इस परिक्षम के लिए निर्धारित समय खतम हो जाने पर रिजल्ट विंडों पर परिणाम देखा जा सकता है।  यदि एक लाईन या प्लस का चिन्ह देखने को मिले तो समझ लें कि आपने गर्भ धारण कर लिया है। लाईन हल्की हो तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

 

रूबेला और वैरिसेल चिकनपाक्स से प्रतिरक्षा

यह जांच रुबेला और चिकेन पॉक्स के प्रति आपके शरीर की रक्षा तंत्र की क्षमता का पता लगाता है। इन रोगों से संक्रमित गर्भवती महिला के होने वाले बच्चे के जन्म के समय अनेक समस्याएं हो सकती हैं।

 

यूरीन की जांच

इस जांच से युराइनरी ट्रैक के संक्रमण और डायबिटीज़ का पता चलता है । ऐसे संक्रमण के कारण गर्भपात , समय से पहले डिलिवरी और नवजात शिशु में वज़न की समस्या हो सकती है। अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी वे जानकारियां जो डॉक्टर को बताना जरूरी है-

 

पारिवारिक चिकित्सकीय इतिहास

मां और पिता के परिवारों में चली आ रही बीमारियां जैसे डायबिटीज़, मिर्गी, उच्च रक्तचाप, मानसिक विकलांगता आदि सम्बन्धी जानकारी अगर दंपत्ति में किसी के परिवार में कोई वंशानुगत समस्या है तो उन्हें जेनेटिक काउंसिलिंग की आवश्यकता पड़ सकती है।

 

व्यक्तिगत स्वास्‍‍थ्य

स्व‍यं की स्वास्‍थ्‍य परिस्थितियों से सम्बन्धी जानकारी रखें और उनके इलाज के लिए चिकित्सक से सम्पर्क करें । चिकित्सक से गर्भ के दौरान होने वाली समस्या‍ओं के साथ–साथ गर्भावस्था के दौरान सावधानियों के बारे में भी परामर्श लें। किसी भी महिला को अपने आहार में विटामिन, आयरन और कैलशियम की जरूरत रहती है, खासतौर पर जब आप मैं बनने के बारे में सोच रही हों। आयरन फोलिक और कैलशियम की गोलियां सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त उपलब्ध रहती हैं। ये दवाएं आमतौर पर सुविधा से उपलब्ध होती हैं कौन सी दवा लेनी है इसका सुझाव डॉक्टर से जरूर ले लेना चाहिए। पोष्टिक आहार लें। नियमित व्याम करें और किसी भी प्रकार से नशे से दूर रहें।

 

अगर बात ग्रभधारण के बाद की की जाए तो यदि निम्नलिखित संकेतों में से कोई भी नजर आए तो वह समस्या का सूचक माना जाता है।

  • योनि से रक्तस्राव या धब्बे लगना
  • अचानक वज़न बढ़ना
  • लगातार सिर में दर्द
  • दृष्टि का धूमिल होना
  • हाथ पैरों का अचानक सूजना
  •  बहुत समय तक उल्टियां
  • तेज बुखार और सर्दी लगना
  • भ्रूण की गतिविधि को महसूस न करना।

गर्भधारण के पहले और बाद में डॉक्टर से सलाह व सभी आवश्यक जांच करना बहुत जरूरी होता है। साथ ही नियमित व्यायाम व खान-पान का बेहतर ध्यान रख कर कई संभावित परेशानियों से बचा जा सकता है। 

 

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