
किशोरी जब तक मानसिक रूप से परिपक्व न हो, तब तक उसे बच्चे को जन्म नहीं देना चाहिए। यदि कोई महिला 19 साल से कम उम्र में बच्चे को जन्म देती है तो यह किशोर गर्भावस्था कहलाती है। कम उम्र में महिला द्वारा बच्चे को जन्म देना मां और नवजात शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
देश में मां और बच्चे के उच्च मृत्यु दर का प्रमुख कारण कम उम्र में किशोरियों द्वारा गर्भधारण और बच्चे को जन्म देना दोनों है। किशोर गर्भावस्था के मामलों में लगातार बढोतरी हो रही है और यह एक गंभीर समस्या का रूप ले रही है। किशोर गर्भावस्था की रोकथाम के लिए सरकार कई योजनाएं भी बना रही हैं। इस लेख के जरिए हम आपको देते हैं किशोर गर्भावस्था से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां।
कम उम्र में मां बनना अपराध
किशोर गर्भावस्था यानी 19 वर्ष से कम उम्र में ही मां बन जाना। अनचाहा गर्भधारण और कम उम्र में मां बनना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आता है। किशोर गर्भावस्था से मां तथा नवजात दोनों के स्वास्थ्य को खतरा बना रहता है। बहुत सी किशोरियां कम उम्र में शारीरिक व मानसिक रुप से बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं होती, लेकिन कई बार दबाव के आगे ऐसा करना उनकी मजबूरी बन जाती है।
किशोर गर्भावस्था में पैदा होने वाले शिशु
आंकड़ों पर गौर किया जाएं तो भारत में हर पांचवे शिशु का जन्म किशोर गर्भावस्था में होता है। इतना ही नहीं मां गी कम उम्र में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या देश में करीब 17 फीसदी है। साथ ही कम उम्र में मां बनने वाली महिलाओं में कुछ ऐसी भी महिला हैं जिन्हें बच्चे के जन्म के बाद या पहले उचित चिकित्सीय उपचार नहीं मिल पाता।
किशोर गर्भावस्था की रोकथाम के उपाय
किशोर गर्भावस्था को रोकने के लिए जरूरी है कि युवतियों को यौन शिक्षा दी जानी चाहिए। इससे किशोर गर्भावस्था के मामलों में कमी आएगी। हालांकि किशोर गर्भावस्था को पूरी तरह तो नहीं रोगा जा सकता, इसके आंकड़ों में जरूर गिरावट आ सकती है। किशोर गर्भावस्था को रोकने के लिए कुछ जरूरी चीजें निम्न लिखित हैं।
बच्चे की गतिविधियों पर नजर
आपका बच्चा क्या करता है या कहां जाता है, इन सब बातों की जानकारी आपको होना बहुत जरूरी है। आपका बच्चा घर से अलग कहां पर जाता है, इस बात पर भी नजर रखें। यह भी ध्यान रखें कि आपका बच्चा किसी से अकेले में तो मिलने नहीं जाता। साथ ही अपने बच्चे के लिए ग्रुप एक्टिविटी पर जोर दें।
सरकारी योजनाएं
किशोर गर्भावस्था के आंकड़ों में कमी लाने के लिए सरकार को विभिन्न योजनांए चलानी चाहिए। जागरूकता फैलाने के लिए सरकार ग्रामीण और शहरी इलाकों में कैंप लगाकर या फिर नुक्कड़ नाटक के जरिए भी जागरूकता फैलाई जा सकती है। इससे किशोर व किशोरियों के साथ अन्य लोग भी जागरूक हो सकेंगे।
इलाज और चेकअप की व्यवस्था
महिलाओं और किशोरियों के लिए संपूर्ण इलाज और चेकअप की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे किशोर गर्भावस्था के दौरान जच्चा की मौत न हो और नवजात भी पूरी तरह स्वस्थ रहे। गर्भावस्था के दौरान और पूर्व पूरी चिकित्सा मिलनी चाहिए।
दबाव में न आएं किशोरी
अक्सर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं, जिनसे यह पता चलता है कि कई बार किशोरियों को ससुराल पक्ष के दबाव मे आकर गर्भधारण करना पड़ता है। किशोर गर्भावस्था से बचने के लिए यह जरूरी है कि किशोरियां किसी दबाव में न आएं। गर्भधारण के लिए महिला का मानसिक और शारीरिक रूप से परिपक्व होना बहुत जरूरी है।
किशोर गर्भवस्था एक बड़ी समस्या है। इस समस्या का निदान हम सभी की जिम्मेदारी है, इसके लिए यौन शिक्षा के साथ ही सामाजिक जागरूकता भी जरूरी है।
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