आप सेहतमंद नहीं हैं तो समझिए जिंदगी नीरस है। अच्छा स्वास्थ्य होगा तभी आप जिंदगी का लुत्फ उठा सकेंगी। सेहतमंद होंगी तो आपके आसपास का माहौल खुशनुमा हो जाएगा। हमारे बताए कार्यक्रम को नियम से दो सप्ताह करके देखें। फिर देखिए, कैसे आप स्वयं को स्वस्थ और सुखमय अनुभव करती हैं।
प्रतिदिन के नियम
रात को खिड़की खोलकर सोएं
हर दिन खिड़की खोलकर सोना स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। मैक्स मेड सेंटर के कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा का कहना है कि रात में खिड़की को थोड़ा खुला रखिए। सोते समय आपके फेफड़े कार्बन डाइऑक्साइड और कई प्रकार के टॉक्सिन छोड़ते हैं। कमरा पूरी तरह से बंद होगा तो आप इसी कार्बन डाइऑक्साइड या नुकसानदेह टॉक्सिन को अपनी सांस में वापस समेट लेती हैं। खिड़की खोल कर सोने से आप कार्बन डाइऑक्साइड के दुष्प्रभाव से बची रहेंगी। सुबह तरोताजा होकर उठेंगी।
सुबह एक गिलास पानी जरूर पिएं
मैक्स मेड सेंटर की डाइटीशियन संध्या पांडेय कहती हैं कि सुबह सोकर उठने पर एक गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। ऐसा करने से पेट साफ रहता है। वैसे, जब भी प्यास लगे पानी जरूर पिएं। कई लोगों के शरीर में पानी की कमी होती है। इससे वे जल्दी थक जाते हैं। पानी शरीर के लिए कई प्रकार से उपयोगी है। यह ऊर्जा का परिचालक है और हाजमा बनाए रखता है।
कुछ देर टहलें जरूर
डाइटीशियन संध्या के अनुसार सुबह-शाम टहलना फायदेमंद साबित होता है। लेकिन भोजन के तुरंत बाद टहलना नहीं चाहिए। तेजी से चलने पर हृदय तेजी से धड़कने लगता है और एक तरह से इसका व्यायाम हो जाता है। चूंकि यह शरीर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है इसलिए इसका व्यायाम बहुत जरूरी है। टहलने से बदहजमी की शिकायत भी नहीं होती। पाचन शक्ति ठीक रहती है।
अनुकूल खान-पान का सिद्धांत बनाएं
सुबह का नाश्ता जरूर करना चाहिए। संध्या पांडेय कहती हैं कि इतनी व्यस्त जीवनशैली में अमूमन लोग नाश्ता नहीं कर पाते लेकिन यह गलत है। रात भर के लंबे अंतराल के बाद पेट एकदम खाली हो जाता है और शरीर को क्रियाशील रहने के लिए जरूरी पोषक तत्वों और विटामिन की जरूरत होती है। इसलिए नाश्ता जरूर करना चाहिए। जहां तक हो सके अपने आहार में फल जरूर शामिल करें। फलों का जूस पीने के बजाय फल खाने से रेशे पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं जिससे पाचन शक्ति ठीक रहती है और शरीर को जरूरी फाइबर भी मिल जाते हैं। दोपहर और शाम का भोजन संतुलित होना चाहिए। खाने के साथ सलाद जरूर लेना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपका भोजन गरिष्ठ न हो बल्कि सुपाच्य हो ताकि आसानी से पच जाए।
पांच मिनट तक प्रतिदिन ध्यान लगाएं
आप रोजाना कम से कम पांच मिनट मौन बैठकर अपने भीतर झांकें । ध्यान करें कि आपका अंतर्मन कैसा है। अपने अंतर को टटोलना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे आत्मिक शक्ति बढ़ती है। आप स्वयं को पहचान जाती हैं कि आपकी क्षमताएं और सीमाएं क्या हैं, आपकी आवश्यकताएं और अपेक्षाएं क्या हैं। आपके लक्ष्य क्या हैं और इन सबके प्रति अपनी सोच और दृष्टि को जिस पल आप जान गई तो समझिए कि जैसे आपने जीवन का सत्य खोज लिया। बाहरी दीन-दुनिया से बेखबर हो अपने अंतर्मन में झांकेंगी तो बेवजह की इच्छाएं दिखलाई पड़ेंगी और इसी क्रम में दूर होती जाएंगी। नकारात्मक सोच को आप भुला पाएंगी।
सप्ताह में एक दिन
प्राकृतिक आहार लें
हफ्ते में कम से कम तीन दिन केवल प्राकृतिक आहार जैसे सलाद आदि लें। अंकुरित दालों, टमाटर, गाजर, खीरा आदि का सलाद खाना बेहतर होता है। सुबह जूस लें। सब्जी या फलों का सलाद दोपहर और शाम को भोजन के रूप में खाएं। सर्दी के दिनों में पिपरमिंट मिली चाय भी गुणकारी होती है। नारियल पानी, मिल्क शेक और फलों के रस पिएं।
गर्म पानी से स्नान करें
तेज रफ्तार जिंदगी में नहाना-धोना बस निपटा लिया जाता है। इसलिए जरूरी है कि मौसम अगर बेहद गर्म न हो तो किसी एक दिन गर्म पानी से बिना जल्दबाजी किए कम से कम 15-20 मिनट नहाएं। इस दौरान हलका संगीत भी सुन सकती हैं। गर्म पानी से भरे टब में कुछ देर बैठे रहने से शरीर की थकान उतरेगी। फिर खुरदुरे तौलिए या स्क्रब से त्वचा को साफ करेंगी तो शरीर के रोम छिद्र खुल जाएंगे। त्वचा की सतह पर जमी मृत कोशिकाएं हट जाएंगी।
देर तक सोकर उठें
डॉक्टर संदीप कहते हैं कि हफ्ते में किसी एक दिन देर तक सोकर उठें। जिस रात देर से सोई हों उसकी अगली सुबह देर तक सोकर नींद पूरी करना हितकर होता है। हम जब सोते हैं तो हमारा शरीर अपनी स्नायु शक्ति का पुन: निर्माण कर लेता है। यही वह ऊर्जा है, जिसके बल पर शरीर तमाम प्रतिक्रियाओं को प्रभावी ढंग से निपटा पाता है। ध्यान रखें कि विश्राम और निद्रा मानव को प्रकृति प्रदत्त उपहार है। क्यों न इनका सुख लें। हफ्ते में एक बार ही सही पूरी नींद सोएं।
पार्क में घूमें
पार्क या प्राकृतिक स्थल पर घूमने से मन को सुकून मिलेगा। नई आशाओं का संचार होगा। प्रकृति की गोद में निश्चित ही व्यक्ति को तनावों से मुक्ति मिलती है। प्रकृति के निकट मानव-मन सहज हो जाता है।
परिवार, मित्र-संबधियों के साथ समय गुजारें
परिवार और अपने सामाजिक दायरे के लिए कम से कम एक दिन का समय तो निकाल ही लीजिए। उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताइए। साथ-साथ खाइए, हंसिए, बोलिए और मौज-मस्ती कीजिए। जीवन को नई ऊर्जा मिलेगी। सेपरिवार और सामाजिक मेल-मिलाप से आपके बच्चों का विकास भी होता है।
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