अकेले रहने वाले पुरुषों में अकाल मृत्‍यु का खतरा अधिक

अकेलापन दिल से सम्बंधित बीमारियों, टाइप 2 डायबिटीज, अर्थराइटिस तथा अल्जाइमर्स के लिए भी जिम्मेदार है। लेकिन हाल ही में हुए शोध से पता चला हैं कि अकेलापन पुरुषों की सेहत के ज्‍यादा नुकसानदायक होता है।
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अकेले रहने वाले पुरुषों में अकाल मृत्‍यु का खतरा अधिक

अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसमें लोग खालीपन और एकान्त का अनुभव करते हैं। जिससे लोगों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने लगती है। और इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। अकेलापन दिल से सम्बंधित बीमारियों, टाइप 2 डायबिटीज, अर्थराइटिस तथा अल्जाइमर्स के लिए भी जिम्मेदार है। लेकिन हाल ही में हुए शोध से पता चला हैं कि अकेलापन पुरुषों की सेहत के ज्‍यादा नुकसानदायक होता है। यह बात स्‍वीडन के शलग्रेन्‍सका एकाडेमी में हुए शोध से सामने आई।  


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शोध की मानें तो

शोध के अनुसार, लंबे समय तक अकेले रहने वाले पुरुषों को समय से पहले मृत्यु यानी अकाल मृत्यु का खतरा अधिक होता है और अधिकतर मामले में इसकी वजह स्ट्रोक होती है।

शोधकर्ता पेट्रा रेडफोर्स के अनुसार, "हमने लगभग 1,090 स्ट्रोक के मरीजों पर लंबे समय तक अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला है और पाया है कि अधिकतर पुरुषों की मृत्यु 70 साल की औसतन आयु के पहले हो जाती है।"

इस अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, साथी के साथ रहने वाले 17 फीसदी रोगियों की तुलना में अकेले रहने वाले 36 फीसदी मरीजों की 12 साल के भीतर ही मौत हो गई। पुरुषों में यह अंतर महिलाओं के 14 फीसदी के मुकाबले 44 फीसदी पाया गया।

 

शोध के निष्‍कर्ष

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर इस बात को भी माना कि अकेले रहने पुरुष अन्‍य पुरुषों की तुलना में शारीरिक श्रम अपेक्षाकृत कम करते हैं। साथ ही उनमें एल्कोहल के सेवन का खतरा अधिक होता है इसलिए दिल से जुड़े रोगों, खासतौर पर स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। अन्य जोखिम कारकों के अलावा मधुमेह या कोरोनरी धमनी की बीमारी का खतरा भी अधिक रहता है।

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पुरुषों में अकेलेपन से रोग का खतरा

रेडफोर्स के अनुसार, "अकेले रहने वाले पुरुषों का जीवन विवाहित या परिवार के साथ रहने वाले पुरुषों की अपेक्षा कम सेहतमंद होता है, और वे अपने प्रति अपेक्षाकृत अधिक लापरवाह होते हैं। उनमें अपनी दवा लेने की इच्छा कम और इलाज के लिए लंबे समय तक इंतजार करने की प्रवृत्ति अधिक दिखती है।" यही कारण है कि ऐसे पुरुषों को रोगों का खतरा भी अधिक होता है।"

शोध के दौरान प्रतिभागियों की याददाश्त, मासिक क्रियाओं आदि से लेकर तरह-तरह के शारीरिक परीक्षण किए गए और सात साल के अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि बड़ी संख्या में स्ट्रोक पीड़ितों में स्मृति, एकाग्रता और ज्ञान संबंधी क्षमता में कमी आती है।

Image Courtesy : Getty Images

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