किडनी से संबंधित रोग तेजी से फैल रहे हैं। खासतौर पर पुरुषों को क्रॉनिक किडनी की बीमारी तेजी से अपनी चपेट में ले रही हैं। किडनी रोगों के परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं। इसलिए क्रॉनिक किडनी डिजीज के लक्षणों की पहचान कर रोकथाम के उपाय करना जरूरी है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि पुरुषों में क्रॉनिक किडनी डिजीज के लक्षणों के बारे में।
किडनी (गुर्दा) शरीर में खून से दूषित पदार्थ व अनावश्यक पानी को निकालकर उसे साफ करता है। किडनी शरीर में रक्तचाप नियंत्रण, सोडियम व पोटेशियम की मात्रा का नियंत्रण एवं रक्त की अम्लीयता को नियंत्रित रखता है। मानव शरीर के रक्त का अधिकतर हिस्सा किडनी से होकर गुजरता है। किडनी में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त छानकर शुद्ध करती हैं। रक्त के अशुद्ध भाग को मूत्र के रूप में अलग भेजती हैं। किडनी के ठीक से काम न करने पर रक्त की शुद्धता पर असर पड़ता है।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान और मोटापा जैसे कारणों के कारण क्रोनिक किडनी डिजीज हो सकती है। किडनी की बढ़ती बीमारियां व किडनी फेल्योर पूरी दुनिया में बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत में प्रत्येक 10 में से एक व्यक्ति को किसी न किसी रूप में क्रोनिक किडनी डिजीज होने की आशंका रहती है। इनमें पुरुषों की संख्या ज्यादा होती है। गंभीर होने पर क्रोनिक किडनी डिजीज इलाज से पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती। अंतिम अवस्था में इसका उपचार केवल डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) से ही संभव है।
डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण काफी महंगा उपचार है, इसके लिए भारत में कानून पेचीदगियां भी हैं। इसलिए इस तरह से उपचार केवल 5 से 10 फीसदी मरीज ही करा पाते हैं। किडनी की समस्याओं ही इसका सबसे अच्छा उपचार है। बीमारी का समय से पता चलने पर इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है। पुरुषों व महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज में ज्यादा फर्क नहीं होता।
पुरुषों में क्रॉनिक किडनी डिजीज के लक्षण
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- पैरों, चेहरे और आंखों के चारों तरफ सूजन (यह सुबह में ज्यादा दिखाई देती है) आना।
- भूख कम लगना, मितली व उल्टी आना, कमजोरी लगना, थकान होना एवं शरीर में रक्त की कमी।
- कम उम्र में उच्च रक्तचाप होना या अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होना।
- सामान्य से कम पेशाब आना।
- ऊतकों में तरल पदार्थ रुकने से सूजन आना। इस स्थिति को "IH-डी-muh" कहते हैं।
- ज्यादा थका हुआ महसूस करना या अधिक नींद आना।
- भूख न लगना, वजन कम होना और सोने में परेशानी होना।
- सिर दर्द या किसी चीज के बारे में सोचने में परेशानी होना।
- कमर में पसलियों के नीचे के हिस्से में दर्द होना।
मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप क्रोनिक किडनी डिजीज के लिये सर्वाधिक जिम्मेदार होते हैं। लंबे समय से हाईपरटेंशन से पीडि़त लोगों को किडनी डिजीज होने का खतरा तीन से चार गुना बढ़ जाता है। धूम्रपान, मोटापा और 50 वर्ष से अधिक उम्र एवं दर्द निवारक दवाओं का अधिक इस्तेमाल भी क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण हो सकता है।
यदि आपको उपरोक्त में से कोई भी समस्या है तो नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से सलाह लें और सुनिश्चित करें कि ये समस्याएं किडनी की बीमारियों के कारण तो नहीं हो रही हैं। जिन व्यक्तियों को किडनी डिजीज का जोखिम अधिक होता है, उन्हें समय-समय पर पर जांच करानी चाहिए। यदि क्रोनिक किडनी फेल्योर का उपचार किया जाए तो किडनी को फेल होने से बचाया जा सकता है। साथ ही इसके कारण होने वाले हृदय रोगों के खतरे को भी टाला जा सकता है।