स्वस्थ इंसान वह जो शारीरिक रूप से रिलैक्स, मानसिक तौर पर अलर्ट अर्थात सचेत, भावानात्मक तौर पर शांत व आध्यत्मिक तौर पर सजग है। क्योंकि पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने के लिए मानसिक और भावानात्मक पक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना कि शारीरिक पक्ष। ध्यान इसके लिए रामबाण की तरह होता है। यह किसी बीमारी के उपचार का अभिन्न होता है और संपूर्ण स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ध्यान के माध्यम से कई प्रकार के रोगों का इलाज संभव है। चलिये विस्तार से जानें कैसे -
क्या है मेडिटेशन
किसी परिभाषा की तरह से बोला जाए तो विचारों को दिशा देना सीखना और दिमाग व शरीर की कार्य प्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करना ही मेडिटेशन कहलाता है। और यदि सामान्य भाषा में कहें तो मेडिटेशन वह अभ्यास है जिसके माध्यम से कोई इंसान अपने दिमाग को प्रशिक्षित कर बेहतर बनाता है। इससे कुछ खास तरह के लाभ होते हैं। इसे 'ध्यान' भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे 'स्पिरिचुअल एक्सरसाइज' यानी आध्यात्मिक व्यायाम भी मानते व कहते हैं, जिसके अंतर्गत जागरुकता, एकाग्रता और सतर्कता आदि आते हैं।
कैसे होता है ध्यान से रोगों का इलाज
ध्यान योग की आठ क्रियाओं में से एक है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धरना और समाधि अन्य क्रियायें हैं। मेडिटेशन किसी शिक्षा, धर्म या संप्रदाय तक सिमटा नहीं है। ध्यान करने के कई आसान से उपाय हैं, जिन्हें आसानी से अपनाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि इसे प्राप्त करने की सबसे बड़ी कोशिश दिमाग और सभी इंद्रियों का नियंत्रण में रखने की होती है।
दरअसल आयुर्वेद और भारतीय दर्शन शात्रों में दिमाग को छठी इंद्री कहा गया है, जिसका सभी अन्य पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण होता है। यही कारण है कि इसे 'सर्वेंद्रिय परम' अर्थात सभी इंद्रियों में सर्वोपरि कहा व माना गया है। सभी इंद्रियों के बीच सामंजस्य बैठाने और नियंत्रण करने के अलावा, दिमाग एक ऐसे अंग की तरह भी काम करता है, जिसका अनुमान लगाना, इच्छा करना, बोलना, विचार, क्रियाकलाप, भावनाएं, व्यवहारगत आदतें आदि रोजमर्रा के काम होते हैं। इसी के चलते ये माना भी गया है कि अधिकांश बीमारियों का संबंध दिमाग और व्यवहार से होता है।
भावनात्मक तनाव एक शारीरिक प्रतिक्रिया होती है जो कि शरीर हॉरमोन्स और बॉयो केमिकल्स के स्राव के जरिए सामने आती है। प्रारम्भ में यह कई अलग-अलग और सामान्य से लगने वाले लक्षणों जैसे नींद न आना, डायरिया, उल्टी, सिरदर्द, भूख न लगना आदि के रूप में सामने आती है, लेकिन बाद में यह काफी जटिल और गंभीर बीमारियों के रूप में बदल जाती है।
मेडिटेशन और बीमारियों का इलाज
मेडिटेशन एंग्जाइटी और तनाव को बढ़ाने वाले रसायनों के स्तर को कम करता है। साथ ही नकारात्मक भावनाओं जैसे डर, आक्रामकता और गुस्से, को भी कम करता है। यह दिमाग को स्पष्टता देता है और भावनात्मक संतुलन और शारीरिक लचीलापन प्रदान करता है। यह दरअसल अच्छे स्वास्थ्य की दिशा में किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिस्सा अर्थात सेल्फ-हीलिंग का आरंभ करता है।
मेडिटेषन द्वारा मानसिक सेहत
हमारा मस्तिष्क अकसर काम से बोझिल रहता है। आज का जीवन बहुत कठिनाइयों व उलझन/तनाव भर चुका है। आज सभी के पास करने को बहुत से काम हैं, लेकिन अभाव है तो केवल समय का। हम में से कुछ लोग ऐसा काम करते हैं, जहां अत्यधिक समय व जिम्मेदारी की आवश्यकता रहती है। काम के बोझ के कारण अकसर लोग चिड़चिड़े व क्रोधित हो जाते हैं। वे अपने मौलिक व्यक्तित्व से अलग कुछ अजीब सा व्यवहार कर बैठते हैं, कई बार तो अपने प्रियजनों के साथ भी।
मेडिटेशन की मदद से हम मानसिक दबाव से उभरकर, मुश्किल परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन कायम रख सकते हैं।
मस्तिष्क की गतिविधियों का शोध करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया कि मानसिक दबाव की परिस्थियों में हमारा मस्तिष्क 13-20 हर्ट्ज की मानसिक तरंगों पर काम कर रहा होता है, भले ही कार्य का बोझ हो, या ट्रैफिक में गाड़ी चलाने का।
वहीं मेडिटेशन के दौरान मस्तिष्क की तरंगें 5-8 हर्ट्ज मापी गई हैं, जिसे की एक, ‘‘महाविश्राम’’ की स्थिति भी कहा जा सकता है। इस ‘‘महाविश्राम’’ द्वारा मस्तिष्क को शांति का अनुभव होता है, जिस कारण शरीर भी शांत होता है। मेडिटेशन द्वारा हमारी मनोस्थिति बेहतर होती है व अपेक्षाकृत अधिक प्रभावषाली व शांतिपूर्ण तरीके से हम अपने सभी कार्य सम्पन्न कर पाते हैं।
मेडिटेशन के भावनात्मक लाभ
भावनात्मक पीड़ा की स्थिति में अकसर लोग डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक, साईकेट्रिस्ट व ऐसे ही कुछ अन्य लोगों की मदद लेते हैं। मेडिटेशन इस स्थिति में एक परिपूरक की तरह काम करता है। मेडिटेशन द्वारा ध्यान अपने अंदर केंद्रित कर हम अपने आप को बेहतर जान पाते हैं। हम अपनी भावनात्मक तकलीफों का सही कारण जान पाते हैं और उनके निवारण हेतु बेहतर तरह से सक्षम बनते हैं।
मेडिटेशन के आध्यात्मिक लाभ
मेडिटेशन की मदद से हम हमारे भीतर मौजूद प्रभु की ज्योति व श्रुति से जुड़ जाते हैं, प्रभु प्रेम के स्त्रोत से संपर्क साध लेते हैं व परमानंद का अनुभव करते हैं। मेडिटेशन द्वारा हमारे आत्मज्ञान व आत्मचेतना का विकास होता है, हम जान पाते हैं कि हमारी परिस्थितियों का कारण क्या है व किस क्षेत्र में हमें अपने ऊपर सुधार कार्य करने की जरूरत है।
Read Next
आकर्षण के नियम के 5 चरण
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version