हर मां चाहती है कि उसका बच्चा हष्ट-पुष्ट रहे। ऐसे में गर्भावस्था में महिलाओं का खास ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। लेकिन कई बार गर्भवती महिलाओं की प्रतिरोधक क्षमता कम होने से वे स्वाइन फ्लू या अन्य महामारी का शिकार हो जाती है। गर्भावस्था में महिलाओं को स्वाइन फ्लू न हो या वे बीमार न पड़े इसके लिए उन्हें अतिरिक्त देखभाल और सावधानी की जरूरत पड़ती है। किसी भी गर्भवती महिला में स्वाइन फ्लू के सिम्पटम्स पाए जाते हैं या आशंका होती है तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। गर्भावस्था में महिलाओं को स्वाइन फ्लू न हो इसके लिए उन्हें कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं कैसे बचें स्वाइन फ्लू से।
- गर्भवती महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है ऐसे में उनका स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने का खतरा अधिक बना रहता है। यदि कोई गर्भवती महिला स्वाइन फ्लू से ग्रसित हो जाती हैं तो उसे सामान्य व्यक्ति के मुकाबले अधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
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- गर्भावस्था के दौरान स्वाइन फ्लू होने पर मां और अजन्मे बच्चे दोनों के लिए खतरनाक स्थिति हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव न हो इसके लिए उन्हें साफ-सफाई पर खासा ध्यान रखना चाहिए।
- गर्भावस्था में महिलाओं को कोई भी काम करने के बाद अच्छी तरह से एंटीबायोटिक क्लींरजर या साबुन से हाथ धो लेने चाहिए। कुछ भी खाने से पहले खासतौर पर हाथ धोने चाहिए।अगर जरूरी न हो तो बेवजह याञा न करें। डॉक्टर से सलाह मशविरा किए बिना बार-बार अस्पताल न जाए। यानी जितना संभव हो सके अस्पताल से दूर रहें।
- गर्भवती महिलाएं सर्दी-खांसी वाले लोगों से दूर ही रहे तो अच्छा है। यदि घर में कोई स्वाइन फ्लू पीडि़त वयक्ति है तो उसके संपर्क में कम से कम आए। कोशिश करें स्वाइन फ्लू प्रभावित क्षेञ में न जाए यदि ऐसा न हो तो मास्क या फिर साफ-सुथरा रूमाल बांध कर जाएं।
- स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए खांसने वाले व्यक्ति से 3 से 6 फीट दूरी बनाए रखें। गर्भवती महिलाओं में स्वाइन फ्लू के सिम्पटम्स पाए जाने पर या आशंका होने पर डॉक्टर की सलाह पर तुरंत इलाज शुरू कर दें। साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजों का सेवन करें।
- यदि गर्भवती मां को स्वाइन फ्लू हो जाता है तो बच्चे पर इसका खतरा न मंडराए इसके लिए निरंतर डॉक्टर के संपर्क में रहें।यदि गर्भवती स्त्री में स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण उभरे तो अपने आप कोई दवा ने दें।
- गर्भावस्था के दौरान नान स्टिरायडल ऐंटी इंफ्लेमेट्री दवाएं बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए, चाहे स्वाइन फ्लू के लक्षण हो या न हो। स्वाइन फ्लू वायरस का असर कम से कम सात दिन तो रहता ही है इस कारण मरीज को घर के एक ऐसे कमरे में रखें जहां हवा अच्छी तरह आती जाती हो मरीज सिर्फ अपने कमरे में ही रहे बाहर न निकले।
- गर्भावस्था में स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए महिलाओं को न सिर्फ संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए बल्कि हल्की सर्दी-खांसी वाले व्यक्तियों के संपर्क में नहीं आना चाहिए। इसके साथ ही जो व्यक्ति स्मोकिंग करता है उनसे भी दूर रहना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को स्वाइन फ्लू से डरना नहीं चाहिए बल्कि सावधानी बरततें हुए कुछ उपाय करने चाहिए साथ ही स्वाइन फ्लू होने पर उसका सही ढंग से इलाज करना चाहिए।
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