गर्भवती महिला का हफ्ते में तीन बार मछली खाना आने वाली संतान के दिमाग के लिए फायदेमंद होता है। मछली खाने से दमाग तेज होने की बात पहले कई बार आई है लेकिन हाल ही में हुए एक शोध से अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि, गर्भावस्था के दौरान मछली खाने से होने वाले बच्चे का मस्तिष्क स्वस्थ रहता है।
जापान के तोहोकू विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने हाल ही में इस बात की पुष्टि की है कि, मस्तिष्क के विकास के लिए ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का संतुलन जरूरी है जो मछली में प्रचुर मात्रा में मौजूद है। मछली में मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क को तेज करने का काम करते हैं। इसलिए गर्भावस्था में माताओं का मछली खाना बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए फायदेमंद है।
चूहों पर किया गया है शोध
तोहोकु विश्वद्यिालय की प्रोफेसर नोरिको सूमि के अनुसार, गर्भवती महिला द्वारा संतुलित मात्रा में वसा का सेवन करना भ्रूण के मस्तिष्क विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। उनके अनुसार, वसा या लिपिड में मौजूद फैटी एसिड जैसे ओमेगा-6 और ओमेगा-3 जानवरों और मनुष्यों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से हैं। यह शोध मादा चूहों पर परीक्षण कर किया गया है। मादा चूहों को जब ओमेगा-6 युक्त और ओमेगा-3 युक्त आहार नहीं खिलाया गया तो उनकी जन्म लेने वाले संतानों ने छोटे मस्तिष्क के साथ जन्म लिया। इसके अतिरिक्त उन संतानों में वयस्क होने पर असामान्य व्यवहार भी पाया गया।
सूमी के मुताबिक, चूहों के मस्तिष्क में असमान्यता की वजह भ्रूण के मस्तिष्क की मूल कोशिकाओं का समय से पहले बूढ़ा होना है। यह स्थिति ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड के असंतुलन से होती है।
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लेकिन मर्करीयुक्त मछली से बचें
समुद्री भोजन उन सारे न्यूट्रेंट्स का सबसे बड़ा स्रोत होता है जो मस्तिष्क के विकास के लिए जरूरी होते हैं। लेकिन इसमें पर्यावरण में मौजूद मर्करी की भी कुछ मात्रा होती है जो न्यूरोटॉक्सिक का एक रुप है। ये मस्तिष्क और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए मर्करी युक्त मछली जैसे कैटफिश, शार्क, स्वॉर्डफिश, आदि गर्भावस्था के दौरान नहीं खाने चाहिए।
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