भारतीय कैसे दूर करें अपनी नकारात्‍मकता

हर चीज में शिकायत, हर चीज में बुराई। यह हमारी आदत जो बन गई है। हम खुश और सकारात्‍मक रहना तो भूल ही गए हैं। हम भूल गए हैं कि जीवन सिर्फ कांटों भरा रास्‍ता नहीं है, यहां फूल भी खिलते हैं और खुशबू भी बिखरती है।
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भारतीय कैसे दूर करें अपनी नकारात्‍मकता


सकारात्‍मकता सबसे शक्तिशाली ऊर्जा है। यदि आप सकारात्‍मक हों तो अंधेरे में भी आप अपने लिए रास्‍ता निकाल सकते हैं। और शायद हम भारतीय इस कला को भूल गए हैं। हमारी चाहतें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। और उन चाहतों के पूरा न होने से हमें हमेशा एक अधूरापन सा लगता है। गलैप पोल के सर्वे के अनुसार सकारात्‍मकता के मामले में भारतीय दुनिया में 78वें पायदान पर हैं। इस सर्वे में कुल 139 देश शामिल थे।

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लेकिन, यह तो हमारी प्रवृत्ति नहीं। हम तो हर मुसीबत को प्रभु-इच्‍छा कहकर जीने वाले लोग हैं। मुश्किल से मुश्किल वक्‍त को कर्मों का फल कहना ही तो हमारी आदत है। आखिर हमें क्‍या हो गया है। कहां भूल गए हैं हम अपनी परंपरायें। खुशी के मामले में लातिन अमेरिकी देश काफी आगे नजर आते हैं। लातिन अमेरिका के सात देश इस लिस्‍ट में काफी ऊपर स्थित हैं। वहीं सीरिया और ईराक जैसे युद्ध की विभिषिका झेल रहे मुल्‍कों से सकारात्‍मकता की उम्‍मीद करना जरा बेमानी होगा। वे इस लिस्‍ट में काफी नीचे हैं।


खुशी का पैमाना मापने वाले इस पोल में हर देश के नागरिकों से क्‍या आप कल अच्‍दे से आराम किया ? क्‍या आपने कल सबको सम्‍मान दिया ? क्‍या कल आप खुश रहे ? क्‍या कल आपने कोई नयी चीज सीखी ? जैसे सामान्‍य सवाल पूछे। और जितने फीसदी लोगों ने इसका जवाब हां में दिया, उसी हिसाब से खुशी का आधार तय किया गया।


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अब इस आधार पर कहें तो सर्वे में भाग लेने वाले भारत के 78 फीसदी लोग सकारात्‍मक और खुश थे। लेकिन, क्‍या यह काफी है। अपने खुद के स्‍वास्‍थ्‍य और सेहत के लिए हमें इस आंकड़े में सुधार करना चाहिए। शायद हमें 'ना' कहने की आदत जो पड़ गई है। और ना को हां में बदलना इतना आसान नहीं। खासतौर पर तब जब हम खुद अपनी नकारात्‍मकता के कारण हों। लेकिन, यह नामुमकिन भी नहीं। आखिर पराउग्‍वे ने साबित किया है कि वह दुनिया का सबसे खुश और सकारात्‍मक देश है।


कैसे रहें सकारात्‍मक

कई बार एक अंधेरी सुरंग सी लगती है जिंदगी। जिसके दूसरी ओर का सिरा नजर ही नहीं आता। आपकी लाख कोशिशों के बावजूद मुश्किलात कम ही नहीं होतीं। गहरे होते हैं दुख और अवसाद के बादल। और हम हिन्‍दुस्‍तानी तो हर चीज को दिल से लगाने के आ‍दी जो होते हैं। तो गम को भी दिल से लगा लेते हैं। लेकिन, जिंदगी से इतना निराश क्‍यों हुआ जाए। छोटी-मोटी परेशानियों के अलावा भी जिंदगी है। और आप उनका दामन थामकर खुश रह सकते हैं।

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शिकायतें न करें

हर बात से शिकायत अच्‍छी आदत नहीं। हम हिन्‍दुस्‍तानी कितनी आसानी से हर बात की शिकायत करते हैं। हमारा शहर गंदा है, या भीड़ बहुत है, हमें हर चीज से शिकायत है। हालांकि, हम यह आसानी से भूल जाते हैं कि इन सब परेशानियों के जिम्‍मेदार कहीं न कहीं हम भी हैं। अगर आप इन हालात को नहीं बदल सकते, तो कम से कम अपना नजरिया बदलिये। इससे बहुत फायदा होगा। भीड़ देखकर गुस्‍सा करने की जगह आप कह सकते हैं कि वाह यहां कितने सारे खूबसूरत लोग हैं। याद रखिये नजर बदलते ही नजारा बदल जाएगा।

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चुगली न करें

मुश्किल हालातों के साथ न बहें। और न ही गलत लोगों के साथ रहें। चुगली करना हम हिन्‍दुस्‍तानियों के लिए वक्‍त बिताने का सबसे अच्‍छा तरीका हो सकता है, लेकिन यह आदत अच्‍छी नहीं। किसी ने आपके साथ बुरा भी किया हो, तो भी उसके साथ प्‍यार से बात करें। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते, तो ऐसे लोगों से बात करना बंद कर दें। उनके बारे में बुरी बातें न कहें।

 

शुक्रगुजार रहें

हम जिंदगी में उन चीजों की शिकायत करते हैं जो हमें नहीं मिलीं। लेकिन, अकसर उन चीजों को अनदेखा कर देते हैं, जो कुदरत ने हमें बख्‍शी हैं। हम भूल जाते हैं कि हमारे पास परिवार है, साथी हैं, और भी बहुत सी खुशियां हैं। लेकिन हम उन चीजों का रोना रोते हैं, जो हमारे पास नहीं हैं।

 

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ईर्ष्‍या न करें

बेशक, कई बार किसी को आगे बढ़ता देख आपको जलन होती है। लेकिन, ये चीजें आपके नियंत्रण में नहीं हैं। हमें दूसरों की कामयाबी देखकर बुरा लगता है। हम दूसरों से आगे बढ़ने के प्रयास के लिए आवश्‍यक मेहनत करने से बचते हैं। लेकिन, दूसरों की कामयाबी के पीछे हमें कई दूसरे कारण नजर आने लगते हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। ईर्ष्‍या बुद्धि और विवेक को खा जाती है। इस बारे में हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है।

 


याद रखिये हम हिन्‍दुस्‍तानी वसुधैव कुटुम्‍बकम में यकीन रखते हैं और सकारात्‍मकता व सहयोग का इससे बड़ा उदाहरण शायद दूसरा न हो। तो अगली बार हमें इस लिस्‍ट में टॉप पर आना है।

 

 

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