बहुत उपयोगी है ग्रीन थेरेपी

कुदरत का साथ कितनी बीमारियों से बचा सकता है। यह हमारे तन, मन और आत्‍मा की त्रिवेणी को स्‍वच्‍छ व निर्मल रखता है। आइए जानें कैसे ग्रीन थेरेपी कर सकती है आपकी कई तकलीफों का अंत।
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बहुत उपयोगी है ग्रीन थेरेपी

कुदरत का आंचल हमें कितनी ही तकलीफों से बचाकर रखता है। आज भले ही इनसान उस आंचल से दूर हो गया हो, लेकिन फिर भी कई बीमारियों का इलाज कुदरत के पास है।

हरियाली से शरीर की तकलीफों का इलाज, इसी को ग्रीन थेरेपी कहते है। आपका खान-पान ही नहीं, रहन-सहन भी हरियाली से ही जुड़ा है। कई परेशानियों को आप हरियाली के बीच रह कर स्वयं काफी हद तक कम कर सकते है। प्रकृति के करीब होना मन-मस्तिष्क को प्रसन्न कर देता है। सच तो ये है कि हम हरियाली से अलग होने के बारे में सोच नहीं सकते। ग्रीन थेरेपी से हम अपने आप को कैसे स्वस्थ और चुस्त रख सकते है आइए हम आपको बताते हैं।

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हरियाली में चलना

अच्छे स्वास्थ्य के लिए जॉगिंग यानी टहलना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन जॉगिंग कहीं भी कर लेना ठीक नहीं, माहौल भी होना चाहिए। पार्क जाइए, हरियाली देखिये और फूलों को सहलाइए। हरियाली के बीच सुबह का टहलना न केवल तनाव से मुक्ति दिलाता है, बल्कि दिल के लिए भी अच्छा है। हृदय रोगियों को हरियाली के बीच टहलना चाहिए।


ऊर्जा का निर्माण

ग्रीन थेरेपी से शरीर में ऊर्जा का निर्माण होता है। हरियाली के बीच टहलने पर पसीना निकलता जिससे शरीर में जमा वसा जलती और ऊर्जा मिलती है। टहलते हुए जब शरीर अतिरिक्त ऑक्सीजन की मांग करता है तो हृदय तेजी से पंपिंग करता है और जल्दी से फेफड़ों से ऑक्सीजन की सप्लाई मांगता है। ऐसे करने से हृदय और फेफड़े दोनों का काम होता हैं। इसे कहते हैं ग्रीन थेरेपी का कमाल।


तनाव कम

आप जितनी देर और जितना अधिक हरियाली के बीच रहेंगे, उतने ही स्वस्थ और तनावरहित रहेंगे। हरियाली का प्रभाव हमें सुरक्षा का एहसास दिलाता है, जो धीरे-धीरे मांसपेशियों का खिंचाव कम करता है और तनावरहित बनाता है। ग्रीन थेरेपी से मस्तिष्क की शक्ति भी बढ़ती है।


मधुमेह में उपयोगी

मधुमेह रोगियों के लिए हरियाली के बीच बैठना, टहलना और उसे देखना बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसे लोगों में कोई भी घाव आसानी से नहीं भरता, परन्तु मधुमेह रोगी यदि हरियाली के बीच रह कर नियमित गहरी सांस लेते हुए टहले तो शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति से समस्या से निजात पाया जा सकता है।

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छींक, एलर्जी का इलाज

ग्रीन थेरेपी का मुख्य अंग है हरी-भरी घास पर नंगे पैर चलना या बैठना। सुबह-सुबह ओस में भीगी घास पर चलना बहुत बेहतर माना जाता है। जो पांवों के नीचे की कोमल कोशिकाओं से जुड़ी तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक राहत पहुंचाता है। घास पर कुछ देर प्यार भरी भावना से बैठ जाने से तनाव, एलर्जी और छींक तक दूर हो जाती है।


आंखों की रोशनी तेज

सुबह-सुबह ओस में भीगी घास पर चलने से आंखों की रोशनी भी तेज होती हैं। जो लोग चश्मा लगाते है कुछ दिन नंगे पैर हरी घास पर चलने से उनका चश्मा उतर जाता है या चश्मे का नम्बर कम हो जाता है। ये भी ग्रीन थेरेपी का चमत्कार है।


प्रदूषित वायु से बचाव

जो लोग देर तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहते है, उनमें सांस रोग होने की संभावना ज्यादा होती है, यह वायु उनके मस्तिष्क पर भी असर डालती है। व्यक्ति में याद रखने की क्षमता घटने लगती है। यहां भी ग्रीन थेरेपी काम आती है। यदि आप अपने कार्यस्थल के आस-पास हरियाली रखेंगे, तो प्रदूषणकारी तत्व आप तक नहीं पहुंच पाएंगे।

इस प्रकार से आप ग्रीन थेरेपी का प्रयोग कर स्वस्थ रह सकते हैं और हरियाली का आनंद उठा सकते हैं।

 

Image Source : Getty

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