अन्ना के अनशन ने लगभग पूरे देश को एकजुट कर दिया है। शायद ही पहले कभी देश में अधिकारों की ऐसी आंधी चली हो, जो आज चल रही है। अन्ना हज़ारे का पूरा नाम है किशन बाबूराव हजा़रे। जन लोकपाल बिल के लिए 77 वर्षीय अन्ना आज अनशन पर हैं और उनका मकसद है जन लोकपाल बिल पास कराना । लोकपाल बिल के माध्योम से एक आम आदमी भी भ्रष्टाचार पर अपनी शिकायत रख सकता है।
सालों पहले अंग्रेजों के खिलाफ अपनी मांगें प्रदर्शित करने के लिए गांधीजी ने भी अनशन का सहारा लिया था । लेकिन अन्नास के अनशन और बापू के अनशन में बहुत अंतर है । आइये जानें क्या अंतर है महात्माप गांधी और अन्ना के अनशन में ।
महात्मा गांधी के लिए अनशन का अर्थ धर्म से जुड़ा हुआ था। इसका लक्ष्य हुआ करता था शरीर और आत्मा की शुद्धि। अपनी आवाज़ को लोगों तक पहुंचाते हुए उन्होंने कहा भी है कि उपवास या अनशन कभी भी गुस्सेश में नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि गुस्सा एक प्रकार का पागलपन है। महात्मा गांधी का कहना था कि अनशन का अर्थ है बिना कुछ कहे अपनी बात लोगों तक पहुंचाना । गांधी के अनशन का मकसद था बिटिशर्स को चेताना । महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भी बापू और अन्ना के अनशन में फर्क माना है । बापू के अनशन का ध्येय अपने दुश्मनों को दोस्त बनाने का रहा और अन्ना का अनशन का ध्येय है दुश्मनों का बहिष्कार । हां अन्ना और बापू का ध्येय एक इसलिए है क्योंकि दोनों ही अहिंसा के मार्ग पर चले।
इसमें कोई संदेह नहीं कि हम पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं और अब हमें भ्रष्टाचार मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। सवाल यह उठता है कि अन्ना हज़ारे के आमरण अनशन को सहमति मिलनी चाहिए या नहीं। अन्ना जिन्हें आज दूसरा गांधी कहा जा रहा है उन्हें के 15 दिनों के अनशन की अनुमति सरकार द्वारा मिल गयी है। लेकिन क्या ऐसा होना चाहिए।
इसका एक जवाब यह हो सकता है कि हर नागरिक को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी बातें सरकार के सामने रख सके। दूसरी तरफ अगर कोई नागरिक अपना जीवन खतरे में डालता है, तो इसे रोका जाना चाहिए।