आंखों में सूखापन महसूस होना, खुजली व जलन का एहसास, हर वक्त इन्हें मलते रहने की जरूरत महसूस होना, ऐसा महसूस होना जैसे कि आंखों में कुछ गिर गया हो, बिना कारण आंखों से पानी निकलना, बिना कारण आंखों में थकान या सूजन व इनका सिकुड़ कर छोटा हो जाना दरअसल आंखों में सूखापन यानि ड्राई आई सिन्ड्रोम के लक्षण होते हैं।
आंखों में सूखापन नेत्रों के लिए काफी तकलीफदेह समस्या है। बढ़ता प्रदूषण, कम्प्यूटर का प्रयोग, ए.सी. की लत, दर्द निवारक, तनाव, उच्च रक्तचाप व अवसाद दूर करने वाली दवाओं का अधिक प्रयोग तथा विटामिन-ए की कमी आदि ड्राई आई सिन्ड्रोम के प्रमुख कारण होते हैं। हालांकि इसके कई अन्य कारण भी होते हैं। कई बार इस बीमारी के कारण का पता नहीं चलता है।
ड्राई आई सिन्ड्रोम के कारण
ड्राई आई सिन्ड्रोम में या तो आंख में आंसू कम बनने लगते हैं या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। आंसू, आंख के कोर्निया एवं कन्जक्टाइवा को नम व गीला रख कर उसे सूखने से बचाते हैं। दरअसल इंसान की आंखों में अश्रु-पर्त होती है। ये अश्रु-पर्तन यानि टीयर फिल्म तीन परतों से मिलकर बनी होती है। इस फिल्म की सबसे अंदरूनी व महीन परत को म्यूकस लेयर कहा जाता है। आंसू पानी, सोडियम क्लोरइड, शुगर व प्रोटीन से मिल कर बनते हैं, जिसमें पानी मुख्य रूप से मौजूद होता है। साथ ही आंसू में संक्रमण से बचाव करने वाले एंटीबैक्टीरियल पदार्थ, जैसे लायसोजाइम, लेक्टोफेरिन भी मौजूद होते हैं। टीयर फिल्म की सबसे बाहरी परत को लिपिड या आयली लेयर कहा जाता है। लिपिट लेयर आंसू के उड़ने या सूखने की समस्या से बचाती है। लिपिड या आयली लेयर आंख की पलकों को चिकनाई प्रदान करती है, जिससे किसी इंसान को पलक झपकने में आसानी होती है।
टॉप स्टोरीज़
पर्याप्त आंसुओं का उत्पादन न होने के पीछे निम्न कारण भी हो सकते हैं -
50 वर्ष से अधिक आयु
उम्र बढ़ने के साथ आंसू के उत्पादन में भी कमी आने लगती है। इसलिए 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में कई बार आंसुओं का उत्पादन घट जाता है।
रजोनिवृतोत्तर
महिलाओं में आमतौर पर यह समस्या देखी जाती है, विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के बाद। संभवतः ऐसा हार्मोनल परिवर्तन की वजह से हो सकता है।
कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या
किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या, जैसे मधुमेह, संधिशोथ, ल्यूपस, स्क्लेरोडर्मा, स्जोग्रेन्स सिंड्रोम, थायराइड विकार तथा विटामिन ए की कमी आदि।
लेजर नेत्र शल्य चिकित्सा के कारण
रिफरेक्टिव आई सर्जरी जैसे, लेज़र-असिस्टेड इन-सीटू केटमिलेउसिस (LASIK) आदि आंसू के उत्पादन मं कमी और सूखी आंखों का कारण हो सकते हैं। इन प्रक्रियाओं से संबंधित ड्राई आई के लक्षण आमतौर पर अस्थायी होते हैं।
आंसू ग्रंथि क्षति के कारण
सूजन या विकिरण से आंसू ग्रंथियों को पहुंचा किसी प्रकार का नुकसान आंसू उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। जिसके चलते आंसुओं के उत्पादन में कमी आ सकती है।
पलक संबंधी समस्याएं
लगातार पलकें झपकते रहने से आंखों की सतह भर आंसू की एक सतत पतली फिल्म बनती है। तो यदि आपको कोई पलक झपकने में कोई समस्या है तो आंसू ठीक तरीके से फैल कर आंख के भीतर सतत पतली फिल्म नहीं बना पाता है, और तेजी से लुप्त हो सकता है। जिस कारण ड्राई आई की समस्या हो सकती है।
ड्राई आई का कारण हो सकती हैं ये दवाएं
- उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं
- एंटीथिस्टेमाइंस और डोंगेस्टंट्स
- हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
- कुछ अवसादरोधी दवाएं
- मुंहासे के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली इसोट्रेटिनॉइन दवाएं
कुछ अतिरिक्त कारण
- तेज ठंड़ी हवा
- सूखी हवा
- लगातार काफी देर तक बिना पलकें झपके कंप्यूटर पर काम करने, ड्राइविंग करने या पढ़ने से
कड़ाके की सर्दियों में यदि आपकी आंखों में जलन हो, चीजें धुंधली दिखाई दें या फिर देखने में दिक्कत हो रही हो तो इसे आंखों की सामान्य समस्या के तौर पर न लें। तेज सर्दियों में भी लोगों में ड्राई आई अर्थात आंखो के रूखेपन की परेशानी होती है। एक अध्ययन के अनुसार 50 वर्ष से अधिक आयु की तकरीबन 32 लाख महिलाएं और 17 लाख पुरुष गंभीर ड्राई-आई सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
जैसे कि आंखों में कुछ गिर गया हो, बिना कारण आंखों से पानी निकलना, बिना कारण आंखों में थकान या सूजन व इनका सिकुड़ कर
छोटा हो जाना दरअसल आंखों में सूखापन यानि ड्राई आई सिन्ड्रोम के लक्षण होते हैं।
आंखों में सूखापन नेत्रों के लिए काफी तकलीफदेह समस्या है। बढ़ता प्रदूषण, कम्प्यूटर का प्रयोग, ए.सी. की लत, दर्द निवारक, तनाव,
उच्च रक्तचाप व अवसाद दूर करने वाली दवाओं का अधिक प्रयोग तथा विटामिन-ए की कमी आदि ड्राई आई सिन्ड्रोम के प्रमुख कारण
होते हैं। हालांकि इसके कई अन्य कारण भी होते हैं। कई बार इस बीमारी के कारण का पता नहीं चलता है।
ड्राई आई सिन्ड्रोम के कारण
ड्राई आई सिन्ड्रोम में या तो आंख में आंसू कम बनने लगते हैं या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। आंसू, आंख के कोर्निया एवं
कन्जक्टाइवा को नम व गीला रख कर उसे सूखने से बचाते हैं। दरअसल इंसान की आंखों में अश्रु-पर्त होती है। ये अश्रु-पर्तन यानि टीयर
फिल्म तीन परतों से मिलकर बनी होती है। इस फिल्म की सबसे अंदरूनी व महीन परत को म्यूकस लेयर कहा जाता है। आंसू पानी,
सोडियम क्लोरइड, शुगर व प्रोटीन से मिल कर बनते हैं, जिसमें पानी मुख्य रूप से मौजूद होता है। साथ ही आंसू में संक्रमण से बचाव
करने वाले एंटीबैक्टीरियल पदार्थ, जैसे लायसोजाइम, लेक्टोफेरिन भी मौजूद होते हैं। टीयर फिल्म की सबसे बाहरी परत को लिपिड या
आयली लेयर कहा जाता है। लिपिट लेयर आंसू के उड़ने या सूखने की समस्या से बचाती है। लिपिड या आयली लेयर आंख की पलकों
को चिकनाई प्रदान करती है, जिससे किसी इंसान को पलक झपकने में आसानी होती है।
पर्याप्त आंसुओं का उत्पादन न होने के पीछे निम्न कारण भी हो सकते हैं -
50 वर्ष से अधिक आयु
उम्र बढ़ने के साथ आंसू के उत्पादन में भी कमी आने लगती है। इसलिए 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में कई बार आंसुओं का
उत्पादन घट जाता है।
रजोनिवृतोत्तर
महिलाओं में आमतौर पर यह समस्या देखी जाती है, विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के बाद। संभवतः ऐसा हार्मोनल परिवर्तन की वजह से हो
सकता है।
कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या
किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या, जैसे मधुमेह, संधिशोथ, ल्यूपस, स्क्लेरोडर्मा, स्जोग्रेन्स सिंड्रोम, थायराइड विकार तथा विटामिन
ए की कमी आदि।
लेजर नेत्र शल्य चिकित्सा के कारण
रिफरेक्टिव आई सर्जरी जैसे, लेज़र-असिस्टेड इन-सीटू केटमिलेउसिस (LASIK) आदि आंसू के उत्पादन मं कमी और सूखी आंखों का
कारण हो सकते हैं। इन प्रक्रियाओं से संबंधित ड्राई आई के लक्षण आमतौर पर अस्थायी होते हैं।
आंसू ग्रंथि क्षति के कारण
सूजन या विकिरण से आंसू ग्रंथियों को पहुंचा किसी प्रकार का नुकसान आंसू उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। जिसके चलते आंसुओं
के उत्पादन में कमी आ सकती है।
पलक संबंधी समस्याएं
लगातार पलकें झपकते रहने से आंखों की सतह भर आंसू की एक सतत पतली फिल्म बनती है। तो यदि आपको कोई पलक झपकने में
कोई समस्या है तो आंसू ठीक तरीके से फैल कर आंख के भीतर सतत पतली फिल्म नहीं बना पाता है, और तेजी से लुप्त हो सकता है।
जिस कारण ड्राई आई की समस्या हो सकती है।
ड्राई आई का कारण हो सकती हैं ये दवाएं
उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं
एंटीथिस्टेमाइंस और डोंगेस्टंट्स
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
कुछ अवसादरोधी दवाएं
मुंहासे के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली इसोट्रेटिनॉइन दवाएं
कुछ अतिरिक्त कारण
तेज ठंड़ी हवा
सूखी हवा
लगातार काफी देर तक बिना पलकें झपके कंप्यूटर पर काम करने, ड्राइविंग करने या पढ़ने से
कड़ाके की सर्दियों में यदि आपकी आंखों में जलन हो, चीजें धुंधली दिखाई दें या फिर देखने में दिक्कत हो रही हो तो इसे आंखों की
सामान्य समस्या के तौर पर न लें। तेज सर्दियों में भी लोगों में ड्राई आई अर्थात आंखो के रूखेपन की परेशानी होती है। एक अध्ययन
के अनुसार 50 वर्ष से अधिक आयु की तकरीबन 32 लाख महिलाएं और 17 लाख पुरुष गंभीर ड्राई-आई सिंड्रोम से पीड़ित हैं।