कहीं दोस्ती में बिगड़ तो नहीं रहा आपका बच्चा, इन 10 बातों पर जरूर दें ध्यान

इस उम्र में बच्चों पर परिवार से ज्यादा असर दोस्तों का होता है और दोस्ती में ही बच्चे कई अच्छी-बुरी आदतें सीख लेते हैं। दोस्ती एक प्यारा रिश्ता है मगर बचपन में बच्चों को अच्छे दोस्तों और बुरे दोस्तों का फर्क नहीं पता होता है।
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कहीं दोस्ती में बिगड़ तो नहीं रहा आपका बच्चा, इन 10 बातों पर जरूर दें ध्यान

छोटे बच्चे अपने आस-पास मौजूद लोगों और अपने परिवार के लोगों से बहुत कुछ सीखते हैं। बच्चे जब थोड़ा बड़े हो जाते हैं, तो अपने घर के आस-पास या स्कूल में उनकी दोस्ती कुछ दूसरे लड़को से होती है। इस उम्र में बच्चों पर परिवार से ज्यादा असर दोस्तों का होता है और दोस्ती में ही बच्चे कई अच्छी-बुरी आदतें सीख लेते हैं। दोस्ती एक प्यारा रिश्ता है मगर बचपन में बच्चों को अच्छे दोस्तों और बुरे दोस्तों का फर्क नहीं पता होता है।

माता-पिता अकसर अपने बच्चों के व्यवहार को लेकर चिंतित रहते हैं। वे समझ नहीं पाते कि बच्चे के व्यवहार को कैसे समझें। लेकिन माता-पिता को चिंति‍त होने के बजाय इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए। बच्चों की भावनाओं से लेकर बच्चे के विकास तक पर ध्यान देना भी ज़रूरी है। बच्चा कब कहां से क्या सीख रहा है, बच्चे में आए दिन होने वाले बदला क्या-क्या है, अपने बच्चों को अटेंशन दें। इतना ही नहीं बच्चों से संतोषजनक दोस्ती करें जिससे आप अपने बच्चे से अच्छी तरह से घुल-मिल पाएं। आइए जानें बच्चे को समझने के लिए आप क्या–क्या उपाय अपना सकते हैं।

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बच्चों की दोस्ती संबंधी इन 10 बातों पर ध्यान दें

  • कई बार घर में पूरी तरह से बच्चें को स्पेस न मिलने के कारण बच्चों की दोस्ती ऐसे बच्चों से हो जाती है, जो व्यवहार में तेज होते हैं और गालियां देते हैं, मारपीट करते हैं। यदि आपके बच्चे की ऐसे किसी बच्चे से दोस्ती हो गई है तो निश्चित रूप से कुछ दिनों के भीतर ही आपके बच्चे में भी ये गुण दिखाई देंगे जो कि बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए हानिकरक है।
  • बहुत पुरानी कहावत है कि बच्चे मन के सच्चें होते हैं। यह बहुत हद तक सही भी है। बच्चे मन के तो सच्चे होते हैं, लेकिन नासमझी में दूसरों की आदतों को अपनाने में भी उन्हें देर नहीं लगती। नतीजन बच्चों का गलत संगत में पड़ना।
  • बच्चे जो कुछ भी सीखते हैं वह घर में या घर के आसपास के माहौल में ही सीखते हैं। यदि आपको अपने बच्‍चे में कोई बदलाव दिखे या आपका बच्चा कभी अभद्र भाषा का प्रयोग करें तो आपको उसे तुरंत टोकना चाहिए और बच्चों को टोकने का कारण बताएं। ताकि वा दोबारा ऐसा करने से पहले सोचें।
  • कई बार बच्चे अटेंशन पाने के लिए भी गलत काम करने लगते है, लेकिन बाद में ये उनकी आदतों में शुमार हो जाता है। ऐसे में आपको अपने बच्चे को प्यार के साथ-साथ पूरी देखभाल भी करनी चाहिए।
  • ध्यान रखें कि आपका बच्चा टीवी पर कैसे प्रोग्राम्स‍ देख रहा है, टीवी से क्या वह कुछ गलत तो नहीं सीख रहा।
  • बच्चे के कौन-कौन से फ्रेंड्स है, बच्चे के फ्रेंड्स से बातें करें, उन्हें घर पर आने का निमंत्रण दें और बच्चे के दोस्तों को पहचानने की कोशिश करें।

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  • एक बात ध्यान में रखें बच्चे के फ्रेंड्स के सामने उसे गलत बात पर बिल्कुल न डांटे बल्कि उसके फ्रेंड्स के जाने के बाद उसको समझाए कि उसने क्या गलती की थी।
  • बच्चों से दोस्ती बढ़ाए जिससे कोई भी समस्या आने पर आपका बच्चा आपसे अपनी बातें शेयर कर सकें।
  • अपनी बोलचाल की भाषा पर भी ध्यान दें क्योंकि बच्चा जो कुछ भी सीखता है, उसमें पैरेंट्स का हाथ अधिक होता है। कभी भी आपके मुंह से गलती से भी बुरे शब्द निकले जाएं तो तुरंत ही ‘सॉरी’ बोलें।
  • ज्वाइंट फैमिली में ज्यादा लाड़-प्यार मिलने से भी बच्चे जिद्दी हो जाते हैं। इसके लिए बच्चों के लिए आपके प्यार, डांट का संतुलन होना जरूरी है।
  • अपने बच्चों से रोज बातचीत करें और उन्हें क्वालिटी टाइम दें। बच्चों की एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करें और जानने की कोशिश करें कि बच्चे अपनी डेली-लाइफ में क्या-क्या करते हैं। उनके फ्रेंड्स को क्या पसंद है। दिनभर की कोई नई बात या फिर फ्रेंड ने कुछ खास बात की हो। ऐसी सभी बातें अपने बच्चे से शेयर करें। ऐसा करके आप अपने बच्चे को गलत हाथों में जाने से रोक पाएंगी और अपने बच्चे को हमेशा अपने करीब पाएंगी।

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