कैंसर जानलेवा बीमारी है। पहले कैंसर की समस्या एक उम्र के बाद ही सुनने में आती थी, लेकिन अब यह रोग बड़ों के साथ बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि बच्चों को कैंसर होने पर किस तरह उनकी देखभाल करनी चाहिए।कैंसर के रोगी के साथ जिंदगी जीना और तालमेल बनाएं रखना काफी मुश्किल भरा होता है। साथ ही बच्चे की कोमल उम्र में कैंसर होने पर उसकी देखभाल करना निराशाजनक भी होता है। बच्चे को कैंसर की पुष्िट होने पर उसकी जिंदगी किशोरावस्था शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाती है। जिस तरह बड़ों को कैंसर शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होता है, उसी तरह बच्चों में भी यह समस्या होती है। हालांकि बड़ों और बच्चों को होने वाले कैंसर में अंतर होता है। बच्चों में कैंसर का अचानक से पता चलता है। बच्चों में कैंसर के पहले से कोई लक्षण नहीं होते जिन्हें देखकर या पहचान कर आप कैंसर का आभास लगा सकें।
वहीं किशोरावस्था या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में कुछ लक्षणों से कैंसर होने की आशंका जताई जा सकती है। ल्यूकेमिया यानी अधिश्वेत रक्तता बच्चों में होने वाला कैंसर का आम प्रकार है। अन्य प्रकार के कैंसर में ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा और सॉफ्ट टिश्यू सर्कोमा भी हैं। बच्चे में कैंसर की पुष्िट होने पर यदि आप कैंसर रोगी की देखभाल के लिए उसे विशेष रूप से बनें कैंसर केंद्रों में उपचार कराएं तो ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। कैंसर सेंटर में आपके बच्चे का अन्य बच्चों के साथ बेहतर देखभाल हो सकेगी।
स्पेशल केयर सेंटर
कैंसर से पीडि़त बच्चों की देखभाल के लिए स्पेशल केयर सेंटर बनाएं जाते हैं। बच्चे और बड़ें दोनों के लिए कैंसर काफी कष्टप्रद रोग होता है। किसी भी बच्चे को यह रोग होने पर उसकी विशेष रूप से देखभाल की जानी चाहिए। ऐसे में कई बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। हालांकि बच्चों में अभी कैंसर के मामले कम देखने को मिले हैं।
यदि किसी बच्चे में कैंसर की पुष्िट हो गई है तो उसे विशेष रूप से तैयार किए गए केंद्रों में देखभाल के लिए रखना चाहिए। इन केंद्रों में बच्चों की हर जरूरत को ध्यान में रखा जाता है। यहां पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा विशेष तरह के प्रोग्राम के तहत कैंसर की देखभाल की जाती है और बच्चे को विशेष सुरक्षा भी दी जाती है। यहां पर की गई देखभाल से बच्चा लंबे समय तक कैंसर कोशिकाओं से लड़ सकता है।
कैंसर में केयर के प्रकार
कैंसर की पुष्िट होने के बाद आपको कई बार लगता है कि आप बच्चे की सही तरीके से देखभाल नहीं कर सकते। ऐसे में आपका ध्यान बच्चों में होने वाले परिवर्तनों पर होना चाहिए। चिकित्सक आपसे बच्चे की जरूरतों को समय पर पूरा करने के लिए कहता है, लेकिन आप समय के अभाव और जानकारी की कमी के चलते ध्यान नहीं दे पाते। बच्चों में कैंसर होने पर निम्नलिखित प्रकार से देखभाल की जा सकती है।
पल्लीएटिव केयर
पल्लीएटिव केयर में कैंसर रोगी की किसी भी चरण में देखभाल की जा सकती है। इस तरह से रोगी की देखभाल या केयर होने पर कैंसर के लक्षण और साइड इफेक्ट कम हो जाते हैं। इस तरह से की गई देखभाल के द्वारा बच्चा आराम से जिंदगी बिता सकता है। छोटी उम्र में होने वाला कैंसर बहुत ही तकलीफदेह होता है। पल्लीएटिव केयर में बच्चे और उसके परिजनों की मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तरीके से देखभाल की जाती है। हालांकि इससे कैंसर का उपचार तो नहीं होता, लेकिन इससे आपको राहत जरूर मिलती है।
हास्पिस केयर
हास्पिस केयर पल्लीएटिव केयर का ही एक प्रकार है। हास्पिस केयर आमतौर पर उन रोगियों के लिए ज्यादा कारगर साबित होती है जिनके छह महीने या इससे भी कम जीवित रहने की आशंका होती है। इसके साथ ही इसमें ऐसे रोगियों की भी देखभाल की जाती है जो कैंसर के उपचार के लिए दवा का सेवन नहीं कर रहे होते। हास्पिस केयर में रोगी और उसके परिजनों पर पड़ने वाले शारीरिक और भावनात्मक असर को कम करने की कोशिश होती है।
बच्चे की उपरोक्त प्रकार से देखभाल से भी बेहतर यह होगा कि आप बच्चे से धीरे-धीरे मौजूदा स्थिति और भविष्य में घटना वाली बातों के बारे में बात करें। हालांकि ये आपके लिए मुश्किल हो सकता है, फिर भी आप बच्चे से बात करके उसे जितना समझा सकें, समझाने की कोशिश करें।
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