ब्रेस्ट कैंसर का उपचार आमतौर से सर्जरी का प्रकार निर्धारित करने के साथ शुरू होता है। पूरा स्तन निकलवाने (मास्टेक्टॉंमी) या केवल कैंसरयुक्त लम्प और इसके आसपास के स्वस्थ टिश्युओं की कुछ मात्रा निकलवाने (लम्पेमक्टामी) के दो विकल्प हैं। सर्जरी के बाद आपके डॉक्टर रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी या इन थेरेपीज के मिले-जुले उपचार की सिफारिश कर सकते हैं। अतिरिक्त थेरेपी कराने से कैंसर के फिर से होने या फैलने का खतरा घट जाता है।
रेडिएशन थेरेपी
आमतौर से लम्पेक्टॉमी के बाद पीछे बचने वाली किसी कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट करने और कैंसर को फिर से होने से रोकने के लिए की जाती है। रेडिएशन थेरेपी के बिना कैंसर फिर से होने की आशंका 25 प्रतिशत बढ़ जाती है। कीमोथेरेपी की जरूरत इस पर निर्भर करती है कि कैंसर कितना फैल चुका है। कुछ मामलों में कीमोथेरेपी की सिफारिश सर्जरी कराने से पहले की जाती है ताकि बड़े ट्यूमर को सिकुड़ाया जा सके जिससे सर्जरी से यह आसानी से निकाला जा सके।
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कीमोथेरेपी
कैंसर फिर से होने पर कीमोथेरेपी आमतौर से जरूरी हो जाती है। कीमोथेरेपी के एक प्रकार को हार्मोनल कीमोथेरेपी भी कहते हैं इसकी सिफारिश तब की जाती है जब पैथालॉजी रिपोर्ट में कैंसर के एस्ट्रोजेन-रिसेप्टर पॉजिटिव होने का पता चला हो। हार्मोनल कीमोथेरेपी में प्राय: टैमोक्सी-फेन (नोल्वाडेक्स) दवा का उपयोग किया जाता है। टैमोक्सीमफेन, एस्ट्रोजन को स्तन कैंसर वाली ऐसी कोशिकाओं से बाहर रोक देती है जो एस्ट्रोजेन-रिसेप्टर पॉज़िटिव होती हैं जिससे कैंसर के फिर से होने की दर 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
हार्मोनल थेरेपी
एरोमाटेज इनहिबिटर्स जैसी दवाएं, हार्मोनल थेरेपी का अन्य प्रकार हैं। इन दवाओं में शामिल हैं: एनास्ट्राज़ोल (आरिमिडेक्स), एक्सेमेस्टेन (एरोमासिन) और लेट्रोज़ोल (फीमेरा)। ये ओवरी के अलावा सभी अन्य टिश्युओं में एस्ट्रोजन का बनना रोककर शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा घटा देती हैं। ये दवाएं मेनोपॉज वाली महिलाओं में बहुत लाभदायक हैं क्योंकि मेनोपॉज के बाद ओवरी में एस्ट्रोजन का बनना रुक जाता है।
डीसीआईएस का उपचार लम्पेक्टॉमी से किया जाता है जिसके बाद रेडिएशन थेरेपी या सरल मास्टेएक्टॉमी की जाती है जिसमें लिम्फ नोड्स को सीमित संख्या में हटा दिया जाता है। डीसीआईएस एक से अधिक लोकेशन पर होने पर या बॉयोप्सी में ट्यूमर कोशिकाओं की स्थिति चिंताजनक प्रतीत होने पर मास्टेक्टॉपमी की सिफारिश की जा सकती है। हालांकि मास्टेक्टॉमी का कई बार डीसीआईएस के उपचार में अभी तक उपयोग किया जाता है। रेडिएशन के साथ एक लम्पे्क्टॉममी का भी उपयोग सामान्यतया किया जाता है।
कुछ महिलाओं में बिना रेडिएशन के भी लम्पेक्टॉमी प्रभावी होती है। एलसीआईएस, कैंसर उत्पन्न नहीं करता इसलिए इसका उपचार आवश्यक नहीं होता। हालांकि इस समस्याओं से ग्रस्त महिलाओं के स्तन के दूसरे हिस्सों में कैंसर पनपने की आशंका अधिक होती है इसलिए उनको नियमित मैमोग्राम और किसी डॉक्टर से स्तन की जांच करानी चाहिए। स्तन कैंसर का खतरा घटाने के लिए कुछ महिलाओं में टैमोक्सीफेन जैसी हार्मोनल थेरेपी का उपयोग किया जाता है।
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