आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन दोष होते हैं - वात, पित्त और कफ। इसे त्रिदोष के नाम से भी जाना जाता है। स्वस्थ रहने के लिए शरीर में इन तीनों दोषों का संतुलन बना रहना बहुत जरूरी होता है। जब शरीर में इन दोषों का संतुलन बिगड़ जाता है, तो व्यक्ति को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वात, पित्त और कफ दोष असंतुलन से कई गंभीर रोग हो सकते हैं। अब सवाल यह है कि इन तीनों दोषों को संतुलित कैसे किया जाए? योग की मदद से वात, पित्त और कफ दोष को संतुलित किया जा सकता है। आज हम आपको शरीर के तीन दोषों को संतुलित करने के लिए योगासन बताने जा रहे हैं (Yoga poses for balancing vata pitta kapha doshas) -
पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)
पश्चिमोत्तानासन, दो शब्दों 'पश्चिम' और 'उत्तानासन' से मिलकर बना है। इसमें पश्चिम का अर्थ है ‘पीछे’ या ‘पश्चिम दिशा’ और उत्तानासन का अर्थ 'शरीर के पीछे वाले हिस्से को आगे की ओर खींचना' है। पश्चिमोत्तानासन के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचार तेजी से होता है। इससे पीठ और रीढ़ से जुड़ी समस्याओं में काफी लाभ होता है। यह आसान डायबिटीज, बांझपन और बौनेपन को दूर करने के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए भी इसका नियमित अभ्यास किया जा सकता है।
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पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका (How To Do Paschimottanasana)
- पश्चिमोत्तानासन करने के लिए सबसे पहले जमीन या योग मैट पर बैठ जाएं।
- अपने दोनों पैरों को फैलाकर एक-दूसरे से सटाकर रखें।
- अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। इस दौरान अपनी रीढ़ को सीधा रखें।
- अब कूल्हे से आगे की ओर झुकते हुए, दोनों हाथों की उंगलियों से अपने पैरों के दोनों अंगूठे पकड़ें।
- इस आसन में कुछ देर रुकें।
सेतुबंधासन (Setu Bandhasana)
सेतुबंधासन को 'ब्रिज पोज' के नाम से भी जाना जाता है। इस आसान में शरीर सेतु समान आकार में हो जाता है। सेतुबंधासन के आसान पीठ की मांसपेशियां मजबूत और लचीली होती हैं। इस आसन के नियमित अभ्यास से ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और थायरॉइड जैसी बीमारियों में लाभ होता है।
सेतुबंधासन करने का तरीका (How To Do Setu Bandhasana)
- इस आसान को करने के लिए फर्श या योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अपने पैरों को मोड़ें और हाथों से टखनों को पकड़ें।
- फिर धीरे-धीरे नितंबों, कमर और पीठ के ऊपरी हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं।
- इस अवस्था में कुछ देर तक रहें।
- फिर सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
पर्वतासन (Parvatasana)
पर्वतासन करने से शरीर में रक्त संचार संतुलित रहता है। इस आसान को करने से कंधे और गर्दन के दर्द से राहत मिलती है। इस आसान के नियमित अभ्यास से फेफड़ों को लाभ पहुंचता है। कमर की चर्बी को दूर करने में भी पर्वतासन लाभकारी है। पर्वतासन को माउंटेन पोज के नाम से भी जाना जाता है।
पर्वतासन करने का तरीका (How To Do Parvatasana)
- पर्वतासन को करने के लिए जमीन या योगा मैट पर वज्रासन में बैठ जाएं।
- अब अपने दोनों हाथों और पैरों के पंजो को जमीन पर रखें।
- अपनी कमर को उठाते हुए, त्रिकोणीय आकार का बनाएं।
- इस स्थिति में कुछ देर तक रहें।
- सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं।
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शरीर में वात, पित्त और कफ दोष का संतुलित रहना बहुत जरूरी होता है। इन तीनों दोषों को संतुलित करने में योग बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। वात, पित्त और कफ दोष को संतुलित करने के लिए आप पश्चिमोत्तानासन, पर्वतासन और सेतुबंधासन का अभ्यास कर सकते हैं।