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पाइल्स (बवासीर) में फायदेमंद हैं ये 2 योग मुद्राएं, जानें करने का तरीका

Yoga Mudras for Piles: बवासीर एक दर्दनाक बीमारी है, जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी होती है। छुटकारा पाने के लिए करें ये योग मुद्राएं।
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पाइल्स (बवासीर) में फायदेमंद हैं ये 2 योग मुद्राएं, जानें करने का तरीका


बवासीर गलत खानपान और लाइफस्टाइल के कारण होने वाली एक दर्दनाक बीमारी है। यह समस्या इन दिनों लोगों में काफी तेजी से बढ़ रही है। खराब पाचन, कब्ज की समस्या और लंबे समय तक बैठे रहने के कारण काफी लोग इसका शिकार हो रहे हैं। बवासीर के मरीजों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जैसे- शौच करने, बैठने और लेटने में तकलीफ। सर्टिफाइड न्यूट्रिशनिस्ट और योगाचार्य जूही कपूर की मानें तो अगर किसी व्यक्ति को पाइल्स की समस्या है, तो उसे अपने खानपान का खास ध्यान रखने और चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत होती है। लेकिन अगर आप इसके साथ कुछ योग मुद्राओं का अभ्यास करते हैं तो आपको काफी आराम मिल सकता है। इन मुद्राओं का अभ्यास करने से पाचन संबंधी समस्याओं, कब्ज और दर्द में काफी राहत मिलती है। इस लेख में हम आपको ऐसी दो मुद्राओं के बारे में बता रहे हैं जिनका अभ्यास बवासीर रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

Yoga Mudra for piles

बवासीर रोगियों के लिए योग मुद्राएं (Yoga Mudras for Piles Patient In Hindi)

1. सहज शंख मुद्रा (Sahaj Shankh Mudra For for Piles)

सहज शंख मुद्रा का अभ्यास बवासीर रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद मिलती है, कब्ज दूर होती है और दर्द में भी आराम मिलता है।

कैसे करें अभ्यास

  • सबसे पहले पालती मारकर बैठ जाएं।
  • अब अपने दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक कर लें और अपने अंगूठों को साथ में रखें।
  • अब दोनों अंगूठों को उंगलियों के ऊपर रखें और दबाएं।
  • हाथों की मुद्रा को बनाए रखते हुए इसे अपनी नाभि के ऊपर रखें। इस दौरान सांस लेते और छोड़ते रहे हैं।
  • इस मुद्रा का अभ्यास कम से कम 15 मिनट तक करें।

 

 

 

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2. प्राण मुद्रा (Prana Mudrafor Piles)

पेट संबंधी समस्याओं में प्राण मुद्रा का अभ्यास बहुत फायदेमंद है। इससे कब्ज और एसिडिटी को दूर करने में मदद मिलती है। पेट में जलन की समस्या में आराम मिलता है और दर्द में भी राहत मिलती है।

कैसे करें अभ्यास

  • प्राण मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाएं।
  • अब अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें। हथेलियों को ऊपर की तरफ रखें।
  • अपनी कनिष्ठिका और अनामिका उंगली के सिरों को अंगूठे के सिरे से मिलाएं।
  • इस दौरान आपकी मध्यमा और तर्जनी उंगली एकदम सीधी रहेगी।
  • अब आप किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं, इसके अलावा लंबी गहरी सांस भी ले सकते हैं।
  • इस मुद्रा को करते समय आपकी आंखें बंद होनी चाहिए। इसका अभ्यास 10-15 मिनट जरूर करें।

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एक्सपर्ट क्या सलाह देते हैं

जूही कपूर के अनुसार इन मुद्राओं का अभ्यास आप सप्लीमेंट के तौर पर कर सकते हैं, लेकिन यह मेडिकल ट्रीटमेंट का कोई विकल्प नहीं है। सिर्फ बवासीर रोगी ही नहीं, बल्कि स्वस्थ रहने के लिए कोई भी व्यक्ति इन मुद्राओं का अभ्यास कर सकता है।

All Image Source: Freepik.com

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